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इब्ने जौज़ी अलैहिर्रहमतु रिज़वान फरमाते हैं-

वह अबू लहब जिसकी मज़म्मत पर कुरआन उतरा है उसे नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्ल की विलादत पर खुशी करने के सबब से जहन्नम में बदला दिया गया, तो फिर उस मुसलमान का क्या हाल होगा जो मीलादुन्नबी के मौके पर खुशियाँ मनाता है। ऐसे (आशिके रसूल) शख्स को अल्लाह तआला अपने फ़ज़्लों करम से जन्नतुन नईम में दाखिल फरमायेगा।

मज़ीद फरमाते हैं- "महफिले मीलाद की बरकत से सारा साल अम्न व अमान रहता है और तमाम जाइज़ ख्वाहिशात पूरी होने की जल्द बिशारत मिलती है।'' #(मा सबता बिस्सुन्नह)

प्यारे प्यारे सुन्नी भाइयों, ईदे मीलादुन्नबी की खुशी में घरों में चरागाँ करने व सजाने और मुसलमानों को खाना खिलाने, अल्लाह रसूल की राह में दिल खोलकर खर्च करने की सआदत सिर्फ उनको ही नसीब होती है जिनपर अल्लाह जल्ला शानहू का खुसूसी करम होता है।

बन्दों को ऐश-ए-शादी, अअदा को नामुरादी।
कुड़कीत का कड़का, सुहे शबे विलादत।।

रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:11-12
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वीअह्-लिया मोहतरमा

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