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प्यारे प्यारे सुन्नी भाइयों, मालूम होना चाहिये, जिस सुहानी घड़ी मक्का में तैबा का चांद चमका और तमाम आलम पर नूर छाया, और हर तरफ बहार आई, व बहरो बर, बर्गो समर, शजर व हजर खुशी से झूमने लगे, ऐसे मुबारक दिन जान-ए-शैतान पर कयामत टूट पड़ी और वह बदबख़्त जलन व हसद में मातम करके खूब रोया ।

इससे यह साबित हो गया, सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की यौमे विलादत पर खुशी का इजहार न करना और मातम करना, और जल-जल कर ऐतराज करना, शैतान की पैरवी करना है।

निसार तेरी चहलपहल पर हजारों ईदें रबीयुल अव्वल ।
सिवाये इब्लीस के जहां में सभी तो खुशियां मना रहे हैं ।।

रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:9
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वीअह्-लिया मोहतरमा

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