मस्अला:- चार (4) रकअत वाली नमाज़ पढ़ रहा था और दो (2) रकअत वाली नमाज़ पढ़ रहा हूं, येह समझकर दो (2) रकअत पर सलाम फेर दिया, तो नमाज़ फासिद हो गई। उस पर 'बिना' भी जाइज़ नहीं। अज़-सरे-नौ (फिरसे) पढ़े।
#(आलमगीरी; बहारे-शरीअत हिस्सा-3 सफ़ा-149)
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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