मस्अला:- इस तरह मुक्तदी के सिवा किसी दूसरे का लुकमा लेने से भी नमाज फासिद हो जाती है।
मस्लन इमाम ने किरअत में गलती की, या मुनफरिद ने किरअत में गलती की, या इमाम ने अरकाने-नमाज़ में कोई गलती की, मिसाल के तौर पर एक रकअत के बाद का'दा कर लिया और इमाम की गलती पर ऐसे शख्स ने लुकमा दिया जो जमाअत में शरीक (शामिल) नहीं, और इमाम ने उसका लुकमा कुबूल कर लिया, तो नमाज़ फासिद हो जाएगी।
#(दुर्रे मुख़्तार; रद्दुल मोहतार; फतावा रिज़वीया जिल्द-1 सफ़ा-226)
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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