मस्अला:-  छींक, जमाही (बगासु-Yawn), खांसी और डकारने (ओडकार-Bleching) में जितने हुरूफ (अक्षर) निकलते हैं वोह मजबुरन निकलते हैं और मजबूरन निकलने की वजह से मुआफ हैं, नमाज़ फासिद नहीं होती।

#(दुर्रे मुख्तार; बहारे शरीअत हिस्सा-3 सफ़ा-150)
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वीअह्-लिया मोहतरमा

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