मस्अला:- नमाजी ने अपने इमाम के सिवा किसी दूसरे को लुकमा दिया, तो नमाज़ फासिद हो गई, और जिसको लुकमा दिया, वोह नमाज में हो या न हो या'नी, वोह नमाज़ में कुरआन पढ़ता हो, या बैरूने नमाज़ या'नी नमाज़ के बाहर कुरआन पढता हो।
मस्लन करीब में बैठकर कोई शख़्स कुरआने-मजीद की तिलावत कर रहा था और तिलावत में गलती की और उस की गलती पर नमाजी ने उस को लुकमा दिया, तो लुकमा देने वाले की नमाज़ फासिद हो गई। इलावा अज़िं वोह गलत पढ़नेवाला नमाज़ में चाहे मुनफरिद हो, या मुक्तदी हो, या किसी दूसरे का इमाम हो।
#(दुर्रे मुख़्तार; बहारे शरीअत; फतावा रिज़वीया जिल्द-1 सफ़ा-226)
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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