मस्अला:- नमाज़ की हालत में दर्द, तकलीफ या मुसीबत की वजह से मुंह से 'आह' या 'ओह' या 'उफ' या 'तुफ' या 'हाए' अल्फाज़ (शब्द) निकले, या आवाज़ से रोया (रूदन-Cry) और रोने में किसी तरह के हर्फ पैदा हुए (या'नी मुंह से निकले), तो इन तमाम सूरतों में नमाज़ फासिद हो जाएगी और अगर रोने में सिर्फ आंसू निकले और आवाज तथा हर्फ न निकले तो हर्ज नहीं और अगर अल्लाह तआला के खौफ (डर) से रोया और आवाज़ निकली, तो नमाज़ फासिद नहीं होगी।

#(दुर्रे मुख्तार; बहारे शरीअत)
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वीअह्-लिया मोहतरमा

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