मस्अला:- फूंकने में अगर आवाज़ पैदा न हो तो वोह मिस्ल सांस के है और उससे नमाज़ फासिद नहीं होगी, मगर कस्दन (जान-बूझकर) फूंकना मकरूह है और अगर फूंकने में दो (2) हर्फ पैदा हुए मस्लन 'उफ' या 'हूफ' या 'तुफ' या 'हुश' तो नमाज़ फासिद हो जाएगी।

#(गुन्या शरहे मुन्या)
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वीअह्-लिया मोहतरमा

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