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〽️ शेर को अरबी में असद कहते हैं इब्ने खाल्विया लिखते हैं कि शेर के 500 नाम है और अली बिन क़ासिम बिन जाफर लगवी ने इसमें 130 नामों का और इज़ाफा किया है, किसी के ज़्यादा नाम उसकी अज़मत के दलायल होते हैं इसी बात से शेर की अज़मत का पता चलता है, शेर एक ताक़वर बहादुर चालाक दिलेर जुर्रातमन्द और बेहतरीन हमला आवर जानवर है।
इसकी पैदाईश का भी अजीब तरीका है शेरनी एक गोश्त का बेजान लोथड़ा पेट से निकालकर जमीन पर फेंकती है जिसे वो 3 दिन तक हिफाज़त में रखती है चौथे दिन से शेर उसके नथुनों में फूंक मारता रहता है यहां तक कि उसमे रूह पड़ जाती है अब उसके आज़ा बनते हैं जिसे शेरनी अपने दूध से पालती है, बच्चा 7 दिन के बाद ही अपनी आंख खोलता है और 6 महीने में पूरा शिकारी हो जाता है।
शेर भूख में सब्र करता है पानी बहुत कम पीता है किसी जानवर का झूठा नहीं खाता यहां तक कि अपना पेट भर जाने के बाद खुद उसी शिकार से दोबारा कुछ नहीं खाता, शेर कुत्ते का झूठा पानी कभी नहीं पीता उसकी गरज से सारे जानवर डरते हैं मगर गधा इतना डर जाता है कि भाग भी नहीं पाता, शेर मुर्गे की बांग मोर की ठोंग और बिल्ली से बहुत डरता है आग देखकर हैरान होता है, जब ये बीमार होता है तो बन्दर खाता है और ठीक हो जाता है इसके बुढ़ापे की अलामत इसके दांतों का गिरना है, ये चाहे कितना भी भूखा हो मगर किसी हैज़ वाली औरत के करीब भी नहीं जाता उम्र बहुत लम्बी पाता है और इसका बदन हमेशा गर्म रहता है।
📕 हयातुल हैवान, जिल्द 1, सफह 53-57
📕 अजायबुल हैवानात, सफह 20
◼️ जब कश्ती में तमाम जानवरों के साथ शेर सवार हुआ तो सारे जानवर दहशत में आ गए तो मौला ने शेर को बुखार में जकड़ दिया ये पहला जानवर है जो बीमार हुआ ।
📕 अलबिदाया वननिहाया, जिल्द 1, सफह 111
◻️ कश्तिये नूह में कुछ जानवरों की पैदाईश बताई जाती है जो कि इस तरह है जब कश्ती में जानवरों ने
गोबर वग़ैरह करना शुरू किया तो कश्ती बदबू से भर गयी लोगों ने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की बारगाह में शिकायत की तो मौला ने फरमाया कि हाथी की दुम हिलाओ जब आपने ऐसा किया तो 2 सुअर नर और मादा बरामद हुए और नजासत खाने लगे, इब्लीस को मौक़ा मिला और उसने सुअर के पेशानी पर हाथ फेरा तो 2 चुहे नर व मादा पैदा हुए जिन्होंने कश्ती को कुतरना शुरू कर दिया, जब हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने देखा तो खुदा की बारगाह में अर्ज़ किया तो मौला फरमाता है कि तुम शेर की पेशानी पर अपना हाथ फेरो जब उन्होंने ऐसा किया तो शेर को छींक आई और बिल्ली का जोड़ा निकला जिससे कि चूहे दुबक कर बैठ गये ।
📕 माअरेजुन नुबूवत, जिल्द 1, सफह 75
📕 अजायबुल हैवानात, सफह 21
◼️ किताबुल हुलियतुल औलिया में हज़रत अबु नुऐम अस्फहानी फरमाते हैं कि मेरे पास ये रिवायत पहुंची कि शेर को सिर्फ हराम खोर पर ही मुसल्लत किया जाता है और दलील के तौर पर आपने हज़रते सफीना रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का वाकिया पेश किया है।
📕 हयातुल हैवान, जिल्द 1, सफह 58
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
🔴इस उनवान के दीगर पार्ट के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/sher-hindi.html
〽️ शेर को अरबी में असद कहते हैं इब्ने खाल्विया लिखते हैं कि शेर के 500 नाम है और अली बिन क़ासिम बिन जाफर लगवी ने इसमें 130 नामों का और इज़ाफा किया है, किसी के ज़्यादा नाम उसकी अज़मत के दलायल होते हैं इसी बात से शेर की अज़मत का पता चलता है, शेर एक ताक़वर बहादुर चालाक दिलेर जुर्रातमन्द और बेहतरीन हमला आवर जानवर है।
इसकी पैदाईश का भी अजीब तरीका है शेरनी एक गोश्त का बेजान लोथड़ा पेट से निकालकर जमीन पर फेंकती है जिसे वो 3 दिन तक हिफाज़त में रखती है चौथे दिन से शेर उसके नथुनों में फूंक मारता रहता है यहां तक कि उसमे रूह पड़ जाती है अब उसके आज़ा बनते हैं जिसे शेरनी अपने दूध से पालती है, बच्चा 7 दिन के बाद ही अपनी आंख खोलता है और 6 महीने में पूरा शिकारी हो जाता है।
शेर भूख में सब्र करता है पानी बहुत कम पीता है किसी जानवर का झूठा नहीं खाता यहां तक कि अपना पेट भर जाने के बाद खुद उसी शिकार से दोबारा कुछ नहीं खाता, शेर कुत्ते का झूठा पानी कभी नहीं पीता उसकी गरज से सारे जानवर डरते हैं मगर गधा इतना डर जाता है कि भाग भी नहीं पाता, शेर मुर्गे की बांग मोर की ठोंग और बिल्ली से बहुत डरता है आग देखकर हैरान होता है, जब ये बीमार होता है तो बन्दर खाता है और ठीक हो जाता है इसके बुढ़ापे की अलामत इसके दांतों का गिरना है, ये चाहे कितना भी भूखा हो मगर किसी हैज़ वाली औरत के करीब भी नहीं जाता उम्र बहुत लम्बी पाता है और इसका बदन हमेशा गर्म रहता है।
📕 हयातुल हैवान, जिल्द 1, सफह 53-57
📕 अजायबुल हैवानात, सफह 20
◼️ जब कश्ती में तमाम जानवरों के साथ शेर सवार हुआ तो सारे जानवर दहशत में आ गए तो मौला ने शेर को बुखार में जकड़ दिया ये पहला जानवर है जो बीमार हुआ ।
📕 अलबिदाया वननिहाया, जिल्द 1, सफह 111
◻️ कश्तिये नूह में कुछ जानवरों की पैदाईश बताई जाती है जो कि इस तरह है जब कश्ती में जानवरों ने
गोबर वग़ैरह करना शुरू किया तो कश्ती बदबू से भर गयी लोगों ने हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की बारगाह में शिकायत की तो मौला ने फरमाया कि हाथी की दुम हिलाओ जब आपने ऐसा किया तो 2 सुअर नर और मादा बरामद हुए और नजासत खाने लगे, इब्लीस को मौक़ा मिला और उसने सुअर के पेशानी पर हाथ फेरा तो 2 चुहे नर व मादा पैदा हुए जिन्होंने कश्ती को कुतरना शुरू कर दिया, जब हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने देखा तो खुदा की बारगाह में अर्ज़ किया तो मौला फरमाता है कि तुम शेर की पेशानी पर अपना हाथ फेरो जब उन्होंने ऐसा किया तो शेर को छींक आई और बिल्ली का जोड़ा निकला जिससे कि चूहे दुबक कर बैठ गये ।
📕 माअरेजुन नुबूवत, जिल्द 1, सफह 75
📕 अजायबुल हैवानात, सफह 21
◼️ किताबुल हुलियतुल औलिया में हज़रत अबु नुऐम अस्फहानी फरमाते हैं कि मेरे पास ये रिवायत पहुंची कि शेर को सिर्फ हराम खोर पर ही मुसल्लत किया जाता है और दलील के तौर पर आपने हज़रते सफीना रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का वाकिया पेश किया है।
📕 हयातुल हैवान, जिल्द 1, सफह 58
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
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