🌀 पोस्ट- 52  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ एक मर्तबा हजरत इमाम हसन और इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हुम) ने बचपन मे 2 तख्तीयो पर कुछ लिखा और दोनो एक दुसरे से कहने लगे की मेरा खत अच्छा है।

चुनांचे दोनो इस बात पर फैसला कराने के लिए हजरत अली (रजी अल्लाहु अन्हु) के पास पहुंचे! मौला अली ने ये फैसला हजरत फातीमा (रजी अल्लाहु अन्हा) के पास पहुंचा दिया!

हजरत फातीमा (रजी अल्लाहु अन्हा) ने फरमाया बेटो! इस बात का फैसला तुम अपने नाना जान! हुजुर मुहम्मदुर्ररसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) से कराओ।

```हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया: तुम्हारा ये फैसला जिब्राइल करेगें!
जिब्राइल अमीन हाजीर हुए और कहने लगे
"या रसुल्ललाह! खुदा तआला ये फैसला खुद फरमायेगा।```

चुनांचे:-
खुदा तआला का जिब्राइल को हुक्म हुआ की जिब्राइल जन्नत से सेब ले जाओ। ओ सेब उन तख्तीयो पर डाल दो सेब जिसकी तख्ती पर ठहर जाए वही खत अच्छा है।
चुनांचे जिब्राइल ने जन्नत से सेब लाकर उन तख्तीयो पर गिरा दिया तो खुदा के हुक्म से दो टुकड़े हो गये। एक
टुकड़ा हजरत हसन (रजी अल्लाहु अन्हु) की तख्ती पर और दुसरा हजरत हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) तख्ती पर जा गिरा और फैसला हुआ की दोनो के तख्ती अच्छा है।

📜 नुज्जाहतुल मजालिस, जिल्द-2, सफा-391


🌹सबक ~
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हजरत इमाम हसन और हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) को खुदा तआला अपने महबुब के इन शहजादों की दिल शिकनी नही चाहता।

फिर जो शख्स इन शहजादों की किसी किस्म की तौहीन करे तो वह किस कद्र जालीम है।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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