🌀 पोस्ट- 55  |  ✅ सच्ची हिकायत ✅_____________________________________


〽️ हजरत सिद्दिके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) ने अपने विसाल मुबारक से पहले हजरत अली (रजी अल्लाहु अन्हु) को फरमा दिया था की मेरे जनाजा को तैयार करके हुजरा शरिफ (जिसमे हुजुर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम का मजारे अनवर है) के सामने रखकर अर्ज करना "अस्सलामु अलैकुम या रसुलल्लाह" यह अबु-बक्र आपके दरवाजे पर हाजिर है फिर जैसा हुक्म हो वही करना।

चुनाँचे आपकी वसीयत के मुताबिक आपके जनाजे को हुजरे के सामने रखकर अर्ज किया गया या रसुलल्लाह! यह आपके यारे गार अबु-बक्र आपके दरवाजे पर हाजीर है। इनकी तमन्ना आपके हुजरे शरिफ मे दफन होने की है।अगर इजाजत हो तो हुजरा शरिफ मे दफन किया जाये??

यह सुनकर हुजरा शरिफ का दरवाजा जो पहले बंद था खुद-ब-खुद खुल गया और अवाज आयी -

हबीब को हबीब से मिला दो कियोंकी हबीब को हबीब से मिलने का इश्तियाक है।

जब हुजरा शरिफ मे हजरत अबु बक्र (रजी अल्लाहु अन्हु) के दफन करने की इजाजत हुई तो जनाजाए मुबारक
को अंदर ले गये और(सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के कन्धे मुबारक के करिब आपको दफन कर दिया।

📜 सिरतुस सालिहीन सफा-92


🌹 सबक ~
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सिद्दिके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) की बुलन्दी व बाला इसी बात से जाहीर है कि आप ही सानी यसनैन फिलगार है। आप ही सानी यसनैन फिलमजार भी हुए।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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