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〽️ मसनवी शरीफ में शेर से मुताल्लिक़ कुछ सबक़ आमेज़ रिवायतें दर्ज हैं उनमें से कुछ का तज़किरा यहाँ करता हुँ ~


✳️ शेर और खरगोश : एक जंगल में एक शेर ने तमाम जानवरों को हुक्म दिया कि तुम लोग रोज़ाना पर्ची निकालो और जिसके नाम की पर्ची आ जाये तो वो खुद ही मेरे पास आ जाये ताकि मैं उसे खाकर अपनी भूख मिटाऊं और उसके अलावा किसी और को परेशान ना करूं सारे जानवर इस पर राज़ी हो गए।

एक दिन एक चालाक खरगोश का नाम निकल आया पहले तो उसने जाने में आनाकानी की मगर जब दूसरे जानवरो ने तम्बीह की तो वो जाने को तैयार हो गया, वो कुछ देर से शेर के पास पहुंचा शेर ने गुस्से में उसे देर से आने की वजह पूछी तो कहने लगा कि हुज़ूर मैं और मेरा भाई दोनों आपके पास आने को निकले ही थे कि रास्ते में एक और शेर मिल गया और उसने मेरे भाई को रोक लिया मैं जान बचा कर आपके पास आया हुँ।

शेर ने जब ये सुना तो मारे गुस्से के कहने लगा कि मुझे उसके पास ले चलो तो खरगोश उसे लेकर एक कुंअे की मुंडेर पर आया और कहा कि वो देखिये वो इसमें घुसा बैठा है और मेरा भाई भी है, जब शेर ने कुंअे में झांका तो उसका अक्स और खरगोश का अक्स उसमे नज़र आया तो उसने कुंअें में छलांग लगा दी और डूबकर मर गया, खरगोश अपनी अक़्लमंदी से अपनी जान बचाकर वापस आ गया।

🌹सबक़- इससे दो सबक़ मिलते हैं पहला तो ये कि अगर चे मुसीबत सर पर ही क्यों ना आ जाये मगर इंसान को अपनी तदबीर नहीं छोड़नी चाहिये और कोशिश करते रहना चाहिये और दूसरी ये कि जिस तरह शेर ने अपने अक्स को दूसरा समझ कर उसे नुक्सान पहुंचाने की गर्ज़ से हमला किया और खुद ही नुक्सान उठाया उसी तरह एक मुसलमान का अपने मुसलमान भाई को नुक्सान पहुंचाना दर असल उसको नहीं बल्कि खुद को ही नुक्सान पहुंचाना है जिसकी कीमत उसे आखिरत में चुकानी होगी ।


🔆 शेर और लोमड़ी : एक शेर बूढ़ा हो गया तो एक गुफा में रूपोश हो गया जब कुछ दिन उसका आतंक नहीं दिखा तो जानवर उसकी तरफ से मुतमईन हो गए, एक रोज़ उसकी बीमारी की खबर जंगल में फैल गयी तो जानवर उसकी इयादत को गुफा में जाने लगे मगर जो भी जाता वो वापस ना आता, फिर एक लोमड़ी वहां पहुंची और बाहर से ही शेर की हाल खैरियत पूछी तो शेर ने अन्दर आने को कहा तो वो बोली कि मुझे लगता है कि आपकी खैरियत बाहर से पूछने में आफियत है क्योंकि मैं जानवरों के अंदर जाने के क़दमों के निशान तो देख रही हुँ मगर बाहर आने का कोई निशान नहीं है ।

🌹सबक़- दूर अंदेशी से काम लेना हमेशा फायदेमंद होता है ।


✳️ शेर और भेड़ : एक भेड़ छत पर चढ़कर नीचे से गुज़रते हुए शेर को गालियां देने लगी तो शेर बोला कि तेरी क्या मजाल कि तू मुझे गालियां दे बस ये छत पर चढ़कर तू बेबाक हो गयी है ।

🌹सबक़- वैसे ही कुछ कमज़र्फ लोग अपनी पोस्ट और ओहदे को पाकर अपने से आला को गालियां देते
परेशान करते हैं मगर ये उनकी ताक़त नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ उनका ओहदा है, इसकी जीती जागती मिसाल आज मुसलमानो के हाल से ली जा सकती है कि आज पूरी दुनिया में हर कोई सिर्फ मुसलमानो को आंख दिखा रहा है, डरा रहा है मार रहा है हालांकि दुनिया वाले इसकी क़ुदरत नहीं रखते हैं मगर क्या करें बस वही ओहदे पर फायज़ होने से वो बेबाक हो गये हैं ।

📕 अजायबुल हैवानात, सफह 151-156

खत्म......🔚🔚🔚

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)

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