🌀 पोस्ट- 51 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ जिस वक्त सहाबा_ए_किराम का लश्कर मुल्के शाम को फतह करने में मसगुल था और दमिश्क फतह करने का मंसुबा था मगर दमिश्क के फतह करने मे जिस कद्र परेशानियां पेश आ रही थी। सहाबा किराम को एक किस्म का शक सा था ऐसी हैरानी के वक्त हजरत अबु-उबैदा (रजी अल्लाहु अन्हु) ने ख्वाब देखा की मेरे खेमे मे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) तशरिफ लाये। अबु-उबैदा को बशारत दि की ऐ अबु-उबैदा! मुस्लमानो मे कह दो की आज यह जगह फतह हो जाएगी इत्मीनान रखो। यह फरमाकर हुजुर ने बहुत जल्द वापसी का इरादा फरमाया। हजरत अबु-उबैदा ने अर्ज किया या रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) इस वक्त हुजुर को इतनी जल्दी क्यों है??
फरमाया अबु-उबैदा! आज अबु बक्र की वफात हो गयी है। मै उसका जानजा तैयार छोड़कर आया हुँ मुझे अभी अबु बक्र के जानजे मे वापस जाना है। यह फरमा कर हुजुर फौरन वापस तशरिफ ले गये।
📜 सिरतुस सालिहीन, सफा-36
🌹 सबक ~
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हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम)
का हजरत सिद्दिके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) से एक खास तअल्लुक था और हुजुर की यहां भी सिद्दिके
अकबर पर एक खास नजरे रहमत रही।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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