🌀 पोस्ट- 59  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) जब मेराज से वापस तश्रिफ लाये तो फरमाया मैनें जन्नत मे एक बहुत बड़ा महल देखा जिसके सहन मे एक औरत बैठी वजु कर रही थी। मैने पुछा यह महल किसका है??
तो मुझे बताया गया की यह महल उमर (रजी अल्लाहु अन्हु) का है।

ऐ उमर! महल के अंदर जाता मगर मै तुम्हारी गैरत को याद करके अंदर नही गया और वापस चला आया। हजरत उमर (रजी अल्लाहु अन्हु) ने अर्ज किया या रसुलल्लाह! (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) क्या मै आप पर गैरत करता?? मेरे मां-बाप आप पर कुर्बान हो। या रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ऐसा कब हो सकता है।? फिर हजरत उमर रोने लगे।

{📜 मिश्कात शरिफ, सफा-549, तरिखुल खुलफा, सफा-83}


🌹सबक ~
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हजरत उमर फारूक (रजी अल्लाहु अन्हु) इतने गैरत वाले थे की हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम)
जो सबके
आका व मौला है। आपकी गैरत की गवाही दे रहे है । फिर जो हजरत उमर (रजी अल्लाहु अन्हु) की जाते गिरामी पर गुस्तखाना हमला करे वह किस कद्र बेगैरत है।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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