🌀 पोस्ट- 47 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ सिद्दिके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) ने अपनी आखरी मर्ज मे हजरत अली (रजी अल्लाहु अन्हु) को बुलाया और वसीयत फरमायी की ऐ अली! जब मेरी वफात हो जाये तो मुझे तुम अपने हाथो से गुस्ल देना क्योंकी तुमने इन हाथों से हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) को गुस्ल दिया है।
फिर मुझे मेरे पुराने कपड़ो मे कफन देकर उस हुजरे शरिफ के सामने रख देना। जिसमे हुजुर का मजारे मुकद्दस है। अगर बेगैर कुंजीयों के ताले खुद खुल जाये तो अंदर दफन कर देना वरना आम मुस्लमानो के कब्रस्तान मे ले जाकर दफन करना।
📜 सिरतुस सालिहीन, सफा-91
🌹 सबक ~
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सिद्दिके अकबर जिनके फिराक मे जान दे रहे हैं, चाहते हैं की विसाल के बाद मुझे उसी महबुब की आगोशे
रहमत में जगह मिले।
मालुम हुआ कि सिद्दिके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के दिल व जान से चाहने वाले सच्चे मुहीब थे।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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