🌀 पोस्ट- 46 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ एक सहाबी हजरत हबीबुल्लाह बिन फदीक (रजी अल्लाहु अन्हु) कहीं जा रहे थे की उनका पांव इत्तेफाकन एक जहरिले सांप के अंडे पर पड़ गया और वह पिस गया। उसके जहर के असर से हजरत हबीब बिन फदीक (रजी अल्लाहु अन्हु) की आँखें बिलकुल सफेद हो गयी नजर जाती रही।
यह हाल देखकर उनके वालीद बहुत परिशान हुए और उन्हे लेकर हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की खिदमत में पहुंचे। हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने सारा किस्सा सुनकर अपना थुक मुबारक उनकी आँखो मे डाला तो हजरत हबीब बिन फदीक की अंधी आंखे फौरन रौशन हो गई और उन्हे नजर आने लगा।
रावी का ब्यान है की मैने खुद हजरत फादीक को देखा। उस वक्त उनकी उम्र 80 साल की थी और आंखे तो उनकी बिल्कुल सफेद थी मगर हुजुर के थुक मुबारक के असर से नजर इतनी तेज थी की सुई मे धागा डाल लेते थे।
📜 दलाइलुल नुबुव्व ,सफा-167
🌹 सबक ~
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हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की मिस्ल बनने वालो के लिए मकामे गौर है की हुजुर वह है जिनकी
थुक मुबारक से अंधी आंखो मे बिनाई और नुर पैदा हो जाए
और वह वह है की उनकी थुक के मुतअल्लिक रेलवे स्टेशन मे यह लिखा होता है की थुको मत इससे बिमारी फैलती है।
फिर मर्ज व शिफा दोनो बराबर कैसे हो सकती है ??
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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