🌀 पोस्ट- 42  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत सिद्दिके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) ने एक रात ख्वाब देखा की हुजुर ﷺ तशरीफ लाये। आपके बदन मुबारक पर दो सफेद कपड़े थे। थोड़ी देर मे वह दोनो सफेद कपड़े सब्ज रंग के हो गये और इस कद्र चमकने लगे की निगाह उन पर न ठहरती थी ।

फिर हुजुर ﷺ सामने तशरिफ लाकर हजरत अबु-बक्र (रजी अल्लाहु अन्हु) से अस्सलामु अलैकुम फरमाया और मुसाफा किया। अपना नुरानी हाथ हजरत अबु-बक्र के सिने पर रखा जिसके सबब सारी कल्ब और सिना की तकलीफे दुर हुई। फिर फरमाया: कि ऐ अबु बक्र! क्या अभी हमसे मिलने का वक्त नही आया?

हजरत अबु बक्र यह बात हुजुर ﷺ से सुनकर इस कद्र रोये की सारे घरवालो को खबर हो गयी।

फिर अर्ज किया: या रसुलल्लाह! ﷺ देखिये आपकी मुलाकत का शर्फ कब मुझे हासील होता है।

हजरत अबु बक्र का फिराक (जुदाई) मे रोना सुनकर हुजुर ﷺ ने फरमाया : घबराओ नही। अब हमारी तुम्हारी मुलाकत का वक्त करीब है।

इस ख्वाब को देखकर हजरत अबु बक्र बहुत खुश हुए।

📜 सिरतुस सालिहीन, सफा-92


🌹 सबक ~
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सिद्दीके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) को हुजुर ﷺ से और हुजुर ﷺ को सिद्दिके अकबर से
बड़ी मुहब्बत थी।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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