🌀 पोस्ट- 43  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत खालीद बिन वलीद (रजी अल्लाहु अन्हु) जो अल्लाह की तलवारो मे से एक तलवार थे। आप जिस मैदाने जंग भे तशरिफ ले जाते। अपने टोपी को जरुर सर पर रख कर ले जाते और हमेशा फतह ही पाकर लौटते। कभी शिकस्त का मुंह न देखते।

एक मर्तबा जंगे यरमुक मे जबकि मैदाने जंग गर्म हो रहा था हजरत खालीद की टोपी गुम हो गयी। आपने लड़ना छोड़कर टोपी की तलाश शुरु कर दी। लोगो ने जब देखा की तीर और पत्थर बरस रहे है। तलवार और नेजा अपना काम कर रहे है। मौत सामने है । इस आलम मे खालीद को अपनी टोपी की पड़ी है। वह उसी को ढ़ुंढ़ने मे मसरुफ हो गये, तो उन्होने हजरत खालीद से कहा: जनाब टोपी का ख्याल छोड़ीये और लड़ना शुरु किजीए। हजरत खालीद ने उनकी इस बात की परवाह ना की और टोपी की बदस्तुर तलाश शुरु रखी।

आखीर टोपी उनको मिल गयी तो उन्होने खुश होकर कहा: भाईयों! जानते हो मुझे यह टोपी इतनी अजीज क्यों है? जान लोश मैने आज तक जो जंग भी जीती इसी टोपी के तुफैल । मेरा क्या है? सब इसी की बर्कत है। मै इसके बेगैर कुछ भी नही। अगर यह मेरे सर पर हो तो फिर दुश्मन मेरे सामने कुछ भी नही । लोगो ने कहा आखीर इस टोपी मे क्या खुबी है ??

फरमाया: यह देखो क्या है?

यह हुजुर सरवरे आलम ﷺ के सरे अनवर का बाल मुबारक है जो मैने इसी मे सी रखे है। हुजुर ﷺ एक मर्तबा उमरा बजा लाने को बैतुल्लाह तशरिफ ले गये। सरे मुबारक का बाल उतरवाए तो उस वक्त हममे से हर एक शख्स बाल मुबारक लेने की कोशीश कर रहा था और हर एक दुसरे पर गिरता था तो मैने इसी कोशीश मे
आगे बढ़कर चंद बाल मुबारक हासील कर लिए थे। फिर इसी टोपी मे सि लिए। यह टोपी अब मेरे लिए जुम्ला बर्कत व फुतुहात का जरिया है। मै इसी के सदके मे हर मैदान का फातेह बनकर लौटता हुं। फिर बताओ यह टोपी अगर न मिलती तो मुझे चैन कैसे आता?

📜 हुज्जतुल्लाहुल आलमीन, सफा-686


🌹 सबक ~
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हुजुर सरवरे आलम ﷺ की जुम्ला बर्कत व इनाआमात का जरिया है। आपका बाल शरिफ बर्कत व रहमत है।

यह भी मालुम हुआ की सहाबा_ए_किराम हुजुर ﷺ से मुतअल्लिक अशिया का बतौर तबर्रुक आपने पास भी रखते थे। जिसके पास आपका बाल मुबारक होता अल्लाह तआला उसे कामयाबीयों से सरफराज फरमाता था l

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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