🌀 पोस्ट- 39 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ हजरत बिलाल (रजी अल्लाहु अन्हु) एक हब्शी गुलाम थे। यह मुस्लमान हुए तो इनके मालिक उमय्या ने जो बड़ा दुश्मने रसुल काफिर था, हजरत बिलाल (रजी अल्लाहु अन्हु) को बड़ी सख्त तकलिफे देना शुरू की।
सिद्दिके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) को पता चला तो आपने बहुत बड़ी किमत का सोना देकर हजरत बिलाल (रजी अल्लाहु अन्हु) को आजाद कराया।
सिद्दिके अकबर का यह ईसार अल्लाह तआला को बड़ा पसन्द आया। कुरआन मे ईरशाद फरमाया की वह (सिद्दिक) महज अल्लाह की रजा के लिए माल खर्च करता है और अनकरीब वह राजी होगा।
📕 कुरआन करीम, पारा-30, रुकू-18, रुहुल ब्यान, जिल्द-4, सफा-331
🌹 सबक ~
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सिद्दिके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) ने अपना माल व जर सब कुछ इस्लाम पर कुर्बान कर डाला। खुद खुदा
तआला ने भी कुरआन मे सिद्दिके अकबर की तारिफ फरमाई। फरमाया है की हम इसे राजी करेंगे फिर जो सिद्दिक पर राजी नही तो खुदा उस पर राजी नही।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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