🌀पोस्ट- 70, ✅ सच्ची हिकायत ✅
_____________________________________
〽️ एक मर्तबा हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने हजरत अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु अन्हु) को सदकाए फित्र की हिफाजत के लिए मुकर्रर फरमाया । हजरत अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु अन्हु) रात भर उस माल की हिफाजत फरमाते रहे।
एक रात एक चोर आया और माल चुराने लगा। हजरत अबु हुरैरा ने उसे देख लिया। उसे पकड़ लिया। फरमाया: मैं तुझे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की खिदमत में पेश करुंगा। उस चोर ने मन्नत समाजत करना शुरु कर दी, कहा: खुदारा! मुझे छोड़ दो मै सहाबे अयाल हुँ और मोहताज हुँ। अबु हुरैरा को रहम आ गया और उसे छोड़ दिया।
सुबह अबु हुरैरा जब बारगाहे रिसालत मे हाजीर हुए तो हुजुर ने मुस्कुराकर फरमाया-- "अबु हुरैरा! वह रात वाले तुम्हारे कैदी (चोर) ने क्या अर्ज किया??
अबु हुरैरा ने अर्ज किया या रसुलल्लाह! उसने अपनी अयालदारी और मोहताजी ब्यान की तो मुझे रहम आ गया
और मैने छोड़ दिया।
हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया:- उसने तुमसे झुठ बोला। खबरदार रहना! आज रात वह फिर आयेगा। अबु हुरैरा कहते हैं कि मैं दुसरी रात भी उसके इंतेजार मे रहा। क्या देखता हुँ की वह वकाई फिर आ पहुंचा और माल चुराने लगा। मैंने फिर उसे पकड़ लिया। उसने फिर मन्नत खुशामद की और मुझे फिर रहम आ गया और मैने फिर छोड़ दिया।
सुबह जब हुजुर की बारगाह मे हाजीर हुआ तो हुजुर ने फरमाया:- "अबु हुरैरा वह रात वाले कैदी ने क्या किया??
मैने अर्ज किया कि या रसुलल्लाह! वह अपनी हाजत ब्यान करने लगा तो मुझे रहम आ गया और मैने फिर उसे छोड़ दिया।
हुजुर ने फरमाया:- उसने तुमसे झुठ कहा खबरदार! आज वह फिर आयेगा।
अबु हुरैरा कहते हैं की तिसरी रात वह फिर आया। मैने उसे पकड़कर कहा कमबख्त आज न छोडूँगा और हुजुर के पास जारुर लेकर जाऊंगा।
वह बोला:-अबु हुरैरा! मै तुम्हे चंद ऐसे कलीमात सिखाना चाहता हुं। जिसको पढ़ने से तु नफा मे रहेगा। सुनो! जब सोने लगो तो आयतल-कुर्सी पढ़कर सोया करो। इससे अल्लाह तुम्हारी हिफाजत फरमायेगा और शैतान तुम्हारे नजदिक नही आ सकेगा।
अबु हुरैरा कहते हैं वह मुझे यह कलीमात सिखाकर मुझसे रिहाई पा गया। मैने जब सुबह हुजुर की बारगाह मे यह सारा किस्सा ब्यान किया तो हुजुर ने फरमाया:-
"उसने यह बात सच्ची कही है। हालाँकि खुद वह झुठा है। क्या तु जानता है ऐ अबु हुरैरा! की वह तीन रात आने वाला कौन था??
मैने अर्ज किया नही या रसुलल्लाह! मै नही जानता।
"फरमाया :- वह शैतान था।
📕»» मिश्कात शरिफ सफा-177
🌹सबक ~
=========
हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) गुजरे हुए और होने वाले सब वाकीआत को जानते हैं। अबु हुरैरा के पास रात को चोर आया तो हुजुर ने खुद ही फरमाया की अबु हुरैरा रात के कैदी ने क्या किया? फिर यह भी फरमाया की आज फिर आयेगा।
चुनांचे:-
वही कुछ जो हुजुर ने फरमाया मालुम हुआ की हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) आलिमे मा का न मा यकुन हैं।
--------------------------------------------------------
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
🔴और भी हिंदी हिक़ायत पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/sacchi-hikaayat.html
_____________________________________
〽️ एक मर्तबा हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने हजरत अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु अन्हु) को सदकाए फित्र की हिफाजत के लिए मुकर्रर फरमाया । हजरत अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु अन्हु) रात भर उस माल की हिफाजत फरमाते रहे।
एक रात एक चोर आया और माल चुराने लगा। हजरत अबु हुरैरा ने उसे देख लिया। उसे पकड़ लिया। फरमाया: मैं तुझे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की खिदमत में पेश करुंगा। उस चोर ने मन्नत समाजत करना शुरु कर दी, कहा: खुदारा! मुझे छोड़ दो मै सहाबे अयाल हुँ और मोहताज हुँ। अबु हुरैरा को रहम आ गया और उसे छोड़ दिया।
सुबह अबु हुरैरा जब बारगाहे रिसालत मे हाजीर हुए तो हुजुर ने मुस्कुराकर फरमाया-- "अबु हुरैरा! वह रात वाले तुम्हारे कैदी (चोर) ने क्या अर्ज किया??
अबु हुरैरा ने अर्ज किया या रसुलल्लाह! उसने अपनी अयालदारी और मोहताजी ब्यान की तो मुझे रहम आ गया
और मैने छोड़ दिया।
हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया:- उसने तुमसे झुठ बोला। खबरदार रहना! आज रात वह फिर आयेगा। अबु हुरैरा कहते हैं कि मैं दुसरी रात भी उसके इंतेजार मे रहा। क्या देखता हुँ की वह वकाई फिर आ पहुंचा और माल चुराने लगा। मैंने फिर उसे पकड़ लिया। उसने फिर मन्नत खुशामद की और मुझे फिर रहम आ गया और मैने फिर छोड़ दिया।
सुबह जब हुजुर की बारगाह मे हाजीर हुआ तो हुजुर ने फरमाया:- "अबु हुरैरा वह रात वाले कैदी ने क्या किया??
मैने अर्ज किया कि या रसुलल्लाह! वह अपनी हाजत ब्यान करने लगा तो मुझे रहम आ गया और मैने फिर उसे छोड़ दिया।
हुजुर ने फरमाया:- उसने तुमसे झुठ कहा खबरदार! आज वह फिर आयेगा।
अबु हुरैरा कहते हैं की तिसरी रात वह फिर आया। मैने उसे पकड़कर कहा कमबख्त आज न छोडूँगा और हुजुर के पास जारुर लेकर जाऊंगा।
वह बोला:-अबु हुरैरा! मै तुम्हे चंद ऐसे कलीमात सिखाना चाहता हुं। जिसको पढ़ने से तु नफा मे रहेगा। सुनो! जब सोने लगो तो आयतल-कुर्सी पढ़कर सोया करो। इससे अल्लाह तुम्हारी हिफाजत फरमायेगा और शैतान तुम्हारे नजदिक नही आ सकेगा।
अबु हुरैरा कहते हैं वह मुझे यह कलीमात सिखाकर मुझसे रिहाई पा गया। मैने जब सुबह हुजुर की बारगाह मे यह सारा किस्सा ब्यान किया तो हुजुर ने फरमाया:-
"उसने यह बात सच्ची कही है। हालाँकि खुद वह झुठा है। क्या तु जानता है ऐ अबु हुरैरा! की वह तीन रात आने वाला कौन था??
मैने अर्ज किया नही या रसुलल्लाह! मै नही जानता।
"फरमाया :- वह शैतान था।
📕»» मिश्कात शरिफ सफा-177
🌹सबक ~
=========
हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) गुजरे हुए और होने वाले सब वाकीआत को जानते हैं। अबु हुरैरा के पास रात को चोर आया तो हुजुर ने खुद ही फरमाया की अबु हुरैरा रात के कैदी ने क्या किया? फिर यह भी फरमाया की आज फिर आयेगा।
चुनांचे:-
वही कुछ जो हुजुर ने फरमाया मालुम हुआ की हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) आलिमे मा का न मा यकुन हैं।
--------------------------------------------------------
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
🔴और भी हिंदी हिक़ायत पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/sacchi-hikaayat.html