🌀पोस्ट- 85,   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ मदीना मुनव्वरा में एक हाशमी औरत रहती थी। उसे बाज लोग इजा दिया करते थे। एक दिन वह हुजुर के रौजए अनवर पर हाजीर हुई।

अर्ज करने लगी :-
या रसुलल्लाह! यह लोग मुझे इजा देते हैं।

रौजए अनवर से अवाज आई :-
" क्या मेरा उस्व-ए-हस्ना तुम्हारे सामने नही। दुश्मनो ने मुझे इजाए दी और मैनें सब्र किया। मेरी तरह तुम भी सब्र करो।"

वह औरत फरमाती है की मुझे बड़ी तस्किन हुई और चंद दिन के बाद मुझे इजा देने वाले
भी मर गये।

📕»» शवाहिदुल हक सफा-165


🌹सबक ~
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हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) सबकी सुनते हैं और हर मजलुम के लिये आप ही का दर जाए पनाह है।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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