🌀पोस्ट- 80, ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ जिस दिन लशकरे यजीद ने मदीना मुनव्वरा पर चढ़ाई की उन दिनो तीन दिन मस्जिदे नब्वी मे अजान न हो सकी। हजरत सईद बिन मुसय्यब (रजी अल्लाहु अन्हु) ने यह तीन दिन मस्जिदे नब्वी मे रहकर गुजारे।
आप फरमाते हैं कि नमाज का वक्त हो जाने का मुझे कुछ पता न चलता था। मगर इस तरह की जब नमाज का
वक्त आता कब्र अनवर से हल्कि सी अजान की अवाज आने लगती।
📕»» मिश्कात शरिफ, सफा-537
🌹सबक ~
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हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) कब्र अनवर में भी जिन्दा है। जो शख्स हुजुर को मर कर मिट्टी मे मिल जाने वाला लिखता है वह बड़ा बे-अदब और गुस्ताखे रसुल है।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
🔴और भी हिंदी हिक़ायत पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/sacchi-hikaayat.html
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〽️ जिस दिन लशकरे यजीद ने मदीना मुनव्वरा पर चढ़ाई की उन दिनो तीन दिन मस्जिदे नब्वी मे अजान न हो सकी। हजरत सईद बिन मुसय्यब (रजी अल्लाहु अन्हु) ने यह तीन दिन मस्जिदे नब्वी मे रहकर गुजारे।
आप फरमाते हैं कि नमाज का वक्त हो जाने का मुझे कुछ पता न चलता था। मगर इस तरह की जब नमाज का
वक्त आता कब्र अनवर से हल्कि सी अजान की अवाज आने लगती।
📕»» मिश्कात शरिफ, सफा-537
🌹सबक ~
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हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) कब्र अनवर में भी जिन्दा है। जो शख्स हुजुर को मर कर मिट्टी मे मिल जाने वाला लिखता है वह बड़ा बे-अदब और गुस्ताखे रसुल है।
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