🌀पोस्ट- 75,  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हुजुर सरवरे आलम (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के विसाल शरिफ का जब वक्त आया तो मलकुल मौत जिब्राइल के साथ हाजीर हुए। जिब्रइल अमीन ने अर्ज किया:-

या रसुलल्लाह! यह मलकुल मौत आया है और आप से इजाजत तलब करता है। हुजुर! इसने आज तक कभी न किसी से इजाजत ली है और न आपके बाद किसी से इजाजत लेगा। हुजुर इजाजत दे तो अपना काम करे। हुजुर ने फरमाया मलकुल मौत को आगे आने दो।

चुनांचे:-
मलकुल मौत आगे बढ़े और अर्ज करने लगे
या रसुलल्लाह! अल्लाह तआला ने मुझे आपकी तरफ भेजा है। मुझे यह हुक्म दिया है कि मैं आपका हर हुक्म मानु और जो आप फरमाये वही करुं। लिहाजा आप अगर फरमाये तो मैं रुहे मुबारक कब्ज करुं वरना वापस
चला जाऊं।

जिब्रइल ने अर्ज किया- हुजुर! खुदावंदे करीम ने आपके लिए विसाल को चाहता है। हुजुर ने फरमाया:-
ऐ मलकुल मौत! तुम्हे जान लेने की इजाजत है।

जिब्रइल बोले:- हुजुर! अब जबकी आप तशरिफ लिये जा रहे हैं तो फिर जमीन पर मेरा यह आखरी फेरा है। इसलिए की मेरा मकसुद तो आप ही थे। इसके बाद मलकुल मौत कब्जे रुह अनवर के शर्फ से मुशर्रफ हुआ।

📕»» मवाहीब लदुन्निया जिल्द-4, सफा-571, मिश्कात शरिफ, सफा-541


🌹सबक ~
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हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की इतनी बड़ी शान है की वह मलकुल मौत जिसने कभी किसी बड़े से बड़े बादशाह से भी इजाजत नही ली। हमारे हुजुर की खिदमत मे हाजीर होकर पहले इजाजत तलब करता है।

युँ कहता है की आप फरमाइये तो जान लुं वरना वापस चला जाऊ। खुदा उसे यह हुक्म देकर भेजता है की मेरे महबुब की इताअत करना, जो फरमाये वही करना।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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