🌀पोस्ट- 88, ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ जंगे बदर में हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) अपने हाथ मुबारक में एक तीर पकड़कर मुजाहिदिन की सफे दुरुस्त फरमा रहे थे। हजरत सवाद (रजी अल्लाहु अन्हु) सफ से बाहर निकले हुए थे।
हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने उस तीर से हजरत सवाद की पीठ से छुकर फरमाया:-
ऐ सवाद! सफ के बराबर हो जाओ।
हजरत सवाद (रजी अल्लाहु अन्हु) ने अर्ज किया या रसुलल्लाह! आपके तीर के मेरे बदन के साथ छु जाने से मुझे ठोकर सी लगी है मैं इसका बदला लेना चहता हुँ।
हुजुर आप अद्ल व इंसाफ के चश्मे और खजाने हैं मुझे इसका बदला लेने दिजीए। हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने वही तीर हजरत सवाद को दिया और कहा लो तुम भी इस तीर से मेरे बदन पर ठोकर लगा दो।
हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) बदला देने को अपनी कमीज पुश्त अनवर (पिठ मुबारक) से उठाई तो हजरत सवाद ने हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के बदन अनवर से चिमटकर मोहरे नूबुव्वत को चूम लिया और अर्ज किया मेरे आका! मैनें तो इस बहाने से अपना बदन आपके बदन अनवर से लगाया है ताकी बदने
अनवर की बरकतों से माला माल हो जाऊं।
📕»» नुजहतुल मजालिस जिल्द-23, सफा-93
🌹सबक ~
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हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) अद्ल व इंसाफ और रहम व करम के पैगम्बर हैं। आपने हमे दर्स दिया है की हम भी ईंसाफ को अपनाये। यह भी मालुम हुआ की सहाबा_ए_किराम (रजी अल्लाहु अन्हुम) का यह इमान था की हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के बदन अनवर के छु जाने से इंसान का बेड़ा पार हो जाता है।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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〽️ जंगे बदर में हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) अपने हाथ मुबारक में एक तीर पकड़कर मुजाहिदिन की सफे दुरुस्त फरमा रहे थे। हजरत सवाद (रजी अल्लाहु अन्हु) सफ से बाहर निकले हुए थे।
हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने उस तीर से हजरत सवाद की पीठ से छुकर फरमाया:-
ऐ सवाद! सफ के बराबर हो जाओ।
हजरत सवाद (रजी अल्लाहु अन्हु) ने अर्ज किया या रसुलल्लाह! आपके तीर के मेरे बदन के साथ छु जाने से मुझे ठोकर सी लगी है मैं इसका बदला लेना चहता हुँ।
हुजुर आप अद्ल व इंसाफ के चश्मे और खजाने हैं मुझे इसका बदला लेने दिजीए। हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने वही तीर हजरत सवाद को दिया और कहा लो तुम भी इस तीर से मेरे बदन पर ठोकर लगा दो।
हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) बदला देने को अपनी कमीज पुश्त अनवर (पिठ मुबारक) से उठाई तो हजरत सवाद ने हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के बदन अनवर से चिमटकर मोहरे नूबुव्वत को चूम लिया और अर्ज किया मेरे आका! मैनें तो इस बहाने से अपना बदन आपके बदन अनवर से लगाया है ताकी बदने
अनवर की बरकतों से माला माल हो जाऊं।
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हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) अद्ल व इंसाफ और रहम व करम के पैगम्बर हैं। आपने हमे दर्स दिया है की हम भी ईंसाफ को अपनाये। यह भी मालुम हुआ की सहाबा_ए_किराम (रजी अल्लाहु अन्हुम) का यह इमान था की हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के बदन अनवर के छु जाने से इंसान का बेड़ा पार हो जाता है।
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