🌀पोस्ट- 89  |   ✅ सच्ची हिकायत
_____________________________________


〽️ हजरत उमर बिन अब्दुल अजीज (रजी अल्लाहु अन्हु) की एक बांदी ने एक रोज सुबह अर्ज की: अमीरुल मोमीनीन! आज रात मैने एक ख्वाब देखा।

आप ने फरमाया:- ब्यान कर । वह बोली मैने देखा दोजख भड़काई गयी है। पुलसिरात उस पर रखा गया है। बाज खुल्फा को फरिश्ते लाए हैं। उसे हुक्म दिया गया पुल सिरात पर चल। वह थोड़ा सा चला की दोजख मे गीर गया।

हजरत उमर बिन अब्दुल अजीज बोले: फिर क्या हुआ?? जल्दी ब्यान करो।

वह बोली :- फिर मरवान के बेटे वलीद को लाया गया वह भी इसी तरह दोजख मे गीर गया।

आप बेचैनी से बोले : जल्दी से बोलो फिर क्या हुआ??

वह बोली : की फिर इब्ने अब्दुल मलीक को लाए वह भी इसी तरह दोजख मे गीर गया।

आपने कहा: फिर क्या देखा?? वह बोली : फिर आपको लाया गया। बांदी ने इतना ही कहा था की हजरत उमर बिन अब्दुल अजीज ने एक नारा मारा और बेहोश होकर गीर पड़े। इस डर से की कहीं मुझे भी इसी तरह दोजख
मे गिरती हुए न देखा गया हो।

बांदी ने चिख कर कहा: अमीरुल मोमीनीन खुदा की कसम! मैने देखा की आप सलामत गुजर गये। बांदी चिख चिला रही थी मगर हजरत उमर बिन अब्दुल अजीज बेचैनी से लौटते और हाथ पैर मारते थे। काफी देर के बाद आपको होश आया।

📕»» किमीया ए सआदत सफ़ा-46


🌹सबक ~
=========

अल्लाह के मकबुल बंदो के दिल मे आकीबत का खौफ रहता है वह कभी ऐसा काम नही करते जिसका अंजाम दोजख मे गिरना हो। एक वह पाक लोग भी थे की हर वक्त आकीबत की फिक्र रहती थी ।

--------------------------------------------------------
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

🔴और भी हिंदी हिक़ायत पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/sacchi-hikaayat.html