🌀पोस्ट- 72,    ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की चार साहबजादियाँ थी: जैनब, रुकैय्या, उम्मेकुलसुम और फातिमा (रजी अल्लाहु अन्हन)। हजरत रुकैय्या की शादी हजरत उसमान (रजी अल्लाहु अन्हु) से हुई। हजरत रुकैय्या का इंतेकाल हो गया।

हजरत उसमान (रजी अल्लाहु अन्हु) को इस बात का बहुत रंज पहुंचा तो हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम)
ने अपनी दुसरी साहबजादी हजरत उम्मेकुलसुम (रजी अल्लाहु अन्हा) का भी निकाह हजरत उसमान से कर दिया। फरमाया - ऐ उसमान! अगर मेरी सौ लड़कीयां भी हो और उनका एक के बाद एक इंतेकाल होता जाये तो
मैं एक के बाद एक तुम्हारे निकाह मे देता जाऊ।

📕 »» मवाहिज जिल्द-7, सफ-196


🌹सबक ~
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यह खुसीयत सिर्फ हजरत उसमान (रजी अल्लाहु अन्हु) को हासील है की नबी की दो बेटीयां आपके निकाह मे आयीं ।

जब से दुनियां शुरु हुई उस वक्त से लेकर क्यामत तक (सिवाए हजरत उसमान के) ऐसा न हुआ न होगा जिसके निकाह मे नबी की दो बेटीयां आई हो इसलिए आपका लक्ब `जुन्नुरैन` है।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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