🌀पोस्ट- 77,     ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के गुस्ल मुबारक के वक्त सहाबा_ए_किराम अलैहिमुर्रिजवान सोचने लगे और आपस मे कहने लगे - जिस तरह दुसरे लोगों के कपड़े उतारकर उनको गुस्ल दिया जाता है उसी तरह हुजुर के कपड़े मुबारक उतारकर हुजुर को गुस्ल दिया जाए या हुजुर को कपड़ो समेत गुस्ल दिया जाए।

इस बात पर गुफ्तगु कर रहे थे कि अचानक सब पर नींद तारी हो गयी और सबके सर उनके सीनो पर लुढ़क आये, फिर सब को एक अवाज आई, कहने वाला कह रहा था
'तुम जानते नही यह कौन है ?? खबरदारः यह रसुलुल्लाह हैं। इनको कपड़े न उतारना। इन्हे कपड़ो समेत ही
गुस्ल दो। फिर सबकी आंखे खुल गयी। हुजुर को कपड़ो समेत ही गुस्ल दिया।

📕»» मुवाहीब लदुन्निया जिल्द-2, सफा-378, मिश्कात शरिफ सफा-537


🌹सबक ~
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हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की शान सबसे मुमताज और बुरगजीदा है। कोइ शख्स ऐसा नही जो उनके मिस्ल हो।

आपकी यह जिन्दगी आपका विसाल शरिफ आपका गुस्ल शरिफ और आपका कब्रे अनवर मे रौनक अफरोज होना हर बात आपकी मुमताज है। कोइ शख्स किसी बात में आपका मिस्ल नही।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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