🌀पोस्ट- 81,    ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ मदीना मुनव्वरा में एक बार सुखा पड़ गया। बारिश होती ही न थी। लोग उम्मुल मोमीनीन हजरत आइशा (रजी अल्लाहु अन्हा) की खिदमत मे फरियाद लेकर हाजीर हुए।

हजरत उम्मुल मोमीनीन (रजी अल्लाहु अन्हा) ने फरमाया:-
"हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की कब्र अनवर पर से छत मे एक सुराख कर दो ताकी आसमान और कब्र मे कोई हिजाब न रहे।"

चुनांचे:-
लोगों ने ऐसा ही किया तो इस कद्र बारिश हुइ की खेतीयाँ हरी भरी हो गयी और जानवर मोटे हो गये। मुहद्दिसीन
लिखते हैं की आसमान ने जब कब्र अनवर देखा तो रो पड़ा था।

📕»» मिश्कात शरिफ सफा-527


🌹सबक ~
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हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) का फैज पाक विसाल शरिफ के बाद भी बदस्तुर जारी है। हुजुर की कब्रे अनवर की ज्यारत से हर आँख आंसुओ का फुल बरसाने लगती है। यह भी मालुम हुआ की अल्लाह से कुछ पाने के लिए हुजुर का वसीला भी जरुरी है

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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