🌀पोस्ट- 74 |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ फत्हे खैबर के बाद  हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) वापस आ रहे थे की रास्ते में आपकी खिदमत में एक गधा हाजीर हुआ और अर्ज करने लगा :-
हुजुर! मेरी भी अर्ज सुनते जाइये।

हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) उस मिस्किन जानवर की अर्ज सुनने को ठहर गये और फरमाया:-
"बताओ क्या कहना चाहते हो??"

वह बोला हुजुर मेरा नाम यजीद बिन शहाब है और मेरे दादा के नस्ल से खुदा ने साठ खर पैदा किये हैं, उन सब पर अल्लाह के नबी सवार होते रहे हैं। हुजुर! मेरी दिल की यह तमन्ना है की मुझ मिस्किन पर हुजुर सवारी फरमायें। या रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)! मैं इस बात का मुस्तहिक हुँ, वह इस तरह की मेरे दादा की औलाद मे सिवाए मेरे कोइ बाकी नही रहा, अल्लाह के रसुलों में से सिवा आपके कोई बाकी नही
रहा।

हुजुर ने उसकी यह ख्वाहीश सुनकर फरमाया:-
अच्छा हम तुम्हे अपनी सवारी के लिए मंजुर फरमाते हैं और तुम्हारा नाम बदलकर याफुर रखते हैं।

📕»» हुज्जतुल्लाहु अलल आलमीन सफा-460


🌹सबक ~
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हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की खत्मे नुबुव्वत का इकरार एक गधा भी कर रहा है। फिर जो खत्मे नुबुव्वत का इंकार करे, वह क्यों ना गधा से भी बदतर है।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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