🌀पोस्ट- 83   |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत उमर (रजी अल्लाहु अन्हु) के अहदे खिलाफत में एक मर्तबा कहत पड़ गया तो हजरत बिलाल बिन हारिस मजनी (रजी अल्लाहु अन्हु) रौजए अनवर पर हाजीर हुए और अर्ज किया:-
"या रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम)! आपकी उम्मत हलाक हो रही है बारिश नही होती।"

हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) उन्हे ख्वाब में मिले और फरमाया : "ऐ बिलाल! उमर के पास जाओ । उसे मेरा सलाम कहो और कह दो की बारिश हो जाएगी। उमर से यह भी कहना की कुछ नर्मी इख्तियार करे। {यह हुजुर ने इस लिए फरमाया की हजरत उमर फारुख (रजी अल्लाहु अन्हु) दिन के मामले बड़े सख्त थे}।"

हजरत बिलाल उमर की खिदमत मे हाजीर हुए और हुजुर का सलाम व पैगाम पहुंचा दिया। हजरत उमर यह
सलाम व पैगामे महबुब पाकर रोए और फिर बारिश भी खुब हुई।

📕»» शवाहिदुल हक लिल नब्हानी सफा-67


🌹सबक ~
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मालुम हुआ की विसाल शरिफ के बाद भी सहाबा_ए_किराम मुश्किल के वक्त हुजुर ही की खिदमत में हाजीर होते थे। हर मुश्किल यहीं से हल होती थी।

यह भी मालुम हुआ की हजरत उमर फारुख (रजी अल्लाहु अन्हु) की बड़ी शान है। आप खलीफए बरहक है। इस कद्र खुशकिस्मत हैं की विसाल शरिफ के बाद भी हुजुर के सलाम व पैगाम से मुशर्रफ होते हैं, फिर जिसे फारुखे आजम से अदावत होगी वह हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) को क्यों न बुरा लगेगा??

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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