🌀पोस्ट- 78, ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ एक दफा हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम)
अपने दौलतकदा मे लेटे हुए थे। आपकी राने मुबारक या पिन्डली मुबारक से कपड़ा हटा हुआ था। इतने मे हजरत सिद्दिके अकबर तशरिफ ले आये। अंदर आने की इजाजत मांगी।
हुजुर ने इजाजत दे दी। आप अंदर आये और हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) उसी तरह बदस्तुर लेटे रहे। राने मुबारक या पिन्डली से कपड़ा बदस्तुर हटा रहा। आप गुफ्तागु फरमाते रहे।
फिर हजरत उमर (रजी अल्लाहु अन्हु) भी आ गये और अंदर आने की इजाजत मांगी। हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने उन्हे भी इजाजत दे दी, वह अंदर आ गये। हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फिर भी बदस्तुर लेटे रहे।
फिर हजरत उसमान (रजी अल्लाहु अन्हु) भी आ गये। आपने अंदर आने की इजाजत मांगी तो
हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फौरन उठ बैठे और अपना कपड़ा बराबर फरमाते हुए रान या पिन्डली मुबारक को ढ़ाप लिया। फिर हजरत उसमान को अंदर आने की इजाजत दी।
हजरत आयशा सिद्दिका (रजी अल्लाहु अन्हा) फरमाती हैं कि जब वह लोग चले गये तो मैने हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) से पुछा या रसुलल्लाह(सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम)! यह क्या बात है की जब सिद्दिके अकबर आये तो आप बदस्तुर लेटे रहे फिर फारुके आजम आये तो बदस्तुरे लेटे रहे । मगर जब उसमान आये तो आप फौरन उठ बैठे और कपड़ा बराबर फरमा लिया।
हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया ऐ आयशा! मै उस शख्स से शर्म क्यों न करुं जिससे फरिश्ते भी हया करते हैं।
📕»» मिश्कात शरिफ, सफा-553
🌹सबक ~
=========
हजरत उसमान (रजी अल्लाहु अन्हु) की यह शान की फरिश्ते और खुदा का रसुल भी उनसे हया फरमाते हैं फिर जो शख्स हजरत उसमान (रजी अल्लाहु अन्हु) की जाते वाला बेअदबी और गुस्ताखी करे किस कद्र बेहया है।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
🔴और भी हिंदी हिक़ायत पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/sacchi-hikaayat.html
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अपने दौलतकदा मे लेटे हुए थे। आपकी राने मुबारक या पिन्डली मुबारक से कपड़ा हटा हुआ था। इतने मे हजरत सिद्दिके अकबर तशरिफ ले आये। अंदर आने की इजाजत मांगी।
हुजुर ने इजाजत दे दी। आप अंदर आये और हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) उसी तरह बदस्तुर लेटे रहे। राने मुबारक या पिन्डली से कपड़ा बदस्तुर हटा रहा। आप गुफ्तागु फरमाते रहे।
फिर हजरत उमर (रजी अल्लाहु अन्हु) भी आ गये और अंदर आने की इजाजत मांगी। हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने उन्हे भी इजाजत दे दी, वह अंदर आ गये। हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फिर भी बदस्तुर लेटे रहे।
फिर हजरत उसमान (रजी अल्लाहु अन्हु) भी आ गये। आपने अंदर आने की इजाजत मांगी तो
हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फौरन उठ बैठे और अपना कपड़ा बराबर फरमाते हुए रान या पिन्डली मुबारक को ढ़ाप लिया। फिर हजरत उसमान को अंदर आने की इजाजत दी।
हजरत आयशा सिद्दिका (रजी अल्लाहु अन्हा) फरमाती हैं कि जब वह लोग चले गये तो मैने हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) से पुछा या रसुलल्लाह(सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम)! यह क्या बात है की जब सिद्दिके अकबर आये तो आप बदस्तुर लेटे रहे फिर फारुके आजम आये तो बदस्तुरे लेटे रहे । मगर जब उसमान आये तो आप फौरन उठ बैठे और कपड़ा बराबर फरमा लिया।
हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया ऐ आयशा! मै उस शख्स से शर्म क्यों न करुं जिससे फरिश्ते भी हया करते हैं।
📕»» मिश्कात शरिफ, सफा-553
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हजरत उसमान (रजी अल्लाहु अन्हु) की यह शान की फरिश्ते और खुदा का रसुल भी उनसे हया फरमाते हैं फिर जो शख्स हजरत उसमान (रजी अल्लाहु अन्हु) की जाते वाला बेअदबी और गुस्ताखी करे किस कद्र बेहया है।
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