🌀 पोस्ट- 45  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ जंगे अहजाब में हजरत जाबीर (रजी अल्लाहु अन्हु) ने हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की दावत की और एक बकरी जबह की हुजुर जब सहाबा_ए_किराम के साथ जाबीर के घर पहुंचे तो जाबीर ने खाना लाकर आगे रखा। खाना थोड़ा था और खाने वाले ज्यादा थे। हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया थोड़े थोड़े आदमी आते जाओ और बारी बारी खाना खाते जाओ।

चुनांचे:-
ऐसे ही हुआ की जितने आदमी खाना खा लेते वह निकल जाते इस तरह सबने खाना खा लिया। जाबीर फरमाते थे की हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने पहले ही फरमा दिया था की कोइ शख्स गोश्त की हड्डी न तोड़े न फेके सब एक जगह रखते जाए। जब सब खा चुके तो आपने हुक्म दिया की छोटी मोटी सब हड्डीयां जमा कर दो।

जमा हो गयी तो आपने अपना दस्ते मुबारक उनपर रखकर कुछ पढ़ा आपका दस्त मुबारक अभी हड्डीयो के ऊपर ही था और जबाने मुबारक से कुछ पढ़ ही रहे थे की वह हड्डीयां कुछ का कुछ बनने लगी। यहां तक की गोश्त पोश्त तैयार होकर कान झाड़ते हुइ वह बकरी उठ खड़ी हुई। हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने
फरमाया जाबीर! ले यह अपनी बकरी ले जा।

📜 दलाइलुल नुबुव्व जिल्द-2, सफा-224


🌹 सबक ~
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हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) मंबऊल-हयात हयात बख्श है। आपने मुर्दा दिलो और मुर्दा जिस्मो को भी जिन्दा फरमा दिया फिर जो हुजुर को मर कर मिट्टी मे मिलने वाला कहते है । (माज अल्लाह) किस कद्र जाहील और बेदिन है।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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