▫Post--4B | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

Chapter- 4 " FAZA'ILE WAZU "
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🖌️HADEES:

Jo Eik Eik Bar Wazu Kare (Wazu Me Apne Aaza Ko 1-1 Bar Dhoye) To Ye Zaroori (Farz) Hai Aur Jo 2-2 Bar Dhoye Uske Liye Doona Sawab Hai, Aur Jo 3-3 Bar Dhoye Ye Mera Aur Pichle Ambiya Ka Wazu Hai.
{Musnade Imam Ahmad Bin Hambal, Jild-2, Page-417, Hadees No-5739}


🖌️HADEES:

Jo Shakhs Wazu Par Wazu Kare (Wazu Hote Huye Bhi Taza Wazu Kare) Uske Liye 10 Nekiyan

▫Post--4A | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

Chapter- 4  " FAZA'ILE WAZU "
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Wazu Namaz Ki Kunji Hai.
Wazu Ko TAHARATE SUGRA Kehte Hain.
Bagair Kamil Wazu Ke Namaz Na Hogi.
Pehle Wazu Ke Fazayel Quran O Hadees Se Padhen, Phir Wazu Ke Tamam Masayel.

🖌️ QURAN:

Aye Iman Walo Jab Namaz Ko Khade Hona Chaho To Apna Muh Dhowo Aur Kohniyon Tak Hath, Aur Saron Ka Masah Karo, Aur Gatton Tak Paon Dhowo.
_*📜 {Para-6, Ruku-6, Sure Maydah, Ayat No-6}*_


🖌️ HADEES:

Qayamat Ke Din Meri Ummat Is Haal Me Pukari Jayegi Ke Muh Aur Hath Paon Wazu Ke Aasaar Se Chamakte Honge To Jo Chahe Apni Chamak Ziyadah Kare (Wazu Ziyadah Kare)

☆ अल्लाह की पनाह मांगो मोहताजी जिल्लत और जुल्म से ☆

  हदीस : अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) रिवायत करते है की,
रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -

"अल्लाह की पनाह मांगो मोहताजी से और कामी और जिल्लत से और जुल्म करने से और (अपने उपर) जुल्म किये जाने से ।"

📚 सुनन इब्ने मजा, हदीस-3842

दुआ :- अल्लाह तआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे :-

☆ मै अल्लाह की पाकी ब्यान करता हुं उसकी मख्लुकात की तदाद के बराबर ☆

  हदीस : उम्मुल मोमीनीन जुवैरियाह (रजी अल्लाहु तआला अन्हा) से रिवायत है की,
रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) सुबह को उनके पास से निकले, ओ अपनी नमाज की जगह मे सुबह की नमाज अदा कर रही थी,

आप (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) वापस चाश्त के वक्त लौटे तो देखा की ओ वही बैठी हुई है,

आप (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने पुछा की जब से मै तुम्हे छोड़कर गया था तब से क्या तुम इसी हाल मे रही...??

उन्होंने कहा : "जी हां"

आपने फरमाया - "मै तुम्हारे बाद चार कलमे तीन बार पढ़े, अगर इन कलमो का वजन किया जाये उन कलमो के साथ जो तुमने आज अभी तक पढ़े है तो यही भारी रहेंगे ओ कलीमात ये है :-
سُبْحـانَ اللهِ وَبِحَمْـدِهِ عَدَدَ خَلْـقِه
وَرِضـا نَفْسِـه
وَزِنَـةَ عَـرْشِـه
وَمِـدادَ كَلِمـاتِـه
`
सुब्हानल्लाही व बिहम्दीही अदादा खलकीही, व रिदा नफसीही, व जिनाता अर्शीही व मिदादा कलीमातीही

〽️ तर्जमा : मै अल्लाह सुब्हानहु की पाकी ब्यान करता हुं उसकी मख्लुकात के तदाद के बराबर, और उसकी

☆ मुर्दो के लिये मगफिरत तलब किया करो ☆

  हदीस : नबी_ए_करिम (सल्ल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) जब किसी मय्यत की तदफीन से फारिग हो जाते तो कब्र के पास रुकते और फरमाते,
"अपने भाई के लिये मगफिरत तलब करो,
और उसके लिये साबीत कदमी की इजतिजा करो,
क्योंकी अब उससे सवाल किये जायेगें ।"

📚 सुनन अबु दाऊद, हदीस-3221

☆ रोज मर्रा के कामो मे भी सदका का सवाब ☆

हदीस : अबु जर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने कहा के,रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया-

"अपने किसी (मुस्लमान) भाई के सामने (खुशी से) तुम्हारा मुस्कुरा देना ये भी सदका है,.."

▫️और किसी को अच्छी बात का हुक्म देना और बुरी बात से रोकना ये सदका है,

▪️और किसी भटके हुवे को रास्ता बता देना ये भी सदका है,

▫️और किसी अन्धे की मदद कर देना ये भी सदका है,

▪️और रास्ते से पत्थर और कांटा और हड्डी हटा देना ये भी सदका है,

▫️और अपने डोल मे से अपने भाई के डोल मे पानी डाल देना ये भी सदका है,

💫 मतलब ये है के इन सब कामो पर सदका देने का सवाब मिलता है।

📜 मिश्कात शरिफ, जिल्द-1, सफा-169, जन्नती जेवर-235

•नोट : पुरे जमाने मे कुवें से पानी खिचवाने के लिये इस्तिमाल की जाने वाली बुकेट को डोल

☆ जिना, चोरी, शराब खोरी, मोमीन का काम नही ☆

  हदीस : अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है की,
रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -

"जिना करने वाला जिना करते वक्त मोमीन नही रहता,

शराब पिने वाला शराब पिते वक्त मोमीन नही रहता,

चोरी करने वाला चोरी करते वक्त मोमीन नही रहता,

जब कोई लुटने वाला लुटता है और लोग उसे देखते है उस वक्त ओ भी मोमीन नही रहता।

☆ रिश्तेदारो से भलाई का हुक्म हर हाल मे ☆

  अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है की,एक शख्स ने अर्ज की - "या रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम)!

मेरे बाज रिश्तेदार है, मै उनसे ताअल्लुक जोड़ता हुं ओ मुझसे ताअल्लुक तोड़ते है,

मै उनके साथ अच्छा सुलुक करता हुं, ओ मेरे साथ बदसुलुक करते है,

और मै उनकी ज्यादतीयों को बरदाश्त करता हुं, ओ मेरे साथ जहालत से पेश आते है,"

▫️ रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया -
"जैसा तुम कह रहे हो अगर ऐसा ही है तो गोया तुम उनके मुंह मे गर्म गर्म राख झोक रहे हो,"

☆ कब्रो की ज्यारत मर्दो पर हलाल औरतों पर हराम ☆

▫  हदीस : अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है की,रसुलल्लाह (सलल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -
"तुम कब्रो की जियरत किया करो क्योंकी ओ तुम्हे मौत की याद दिलाती है ।"

📚 सहीह मुस्लिम, वो-2, 2259


▪  हदीस : बुरैदा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है की,
रसुलल्लाह (सलल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -
'मैंने तुम्हे मना किया था कब्रो की जियरत करने से लेकीन अब तुम जियरत करो उनकी".

📚सहीह मुस्लिम, वो-5, 5114


▫️  हदीस : अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है की,

☆ शौहर का मकाम ☆

हजरत माअज बिन जब्बल (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है की,
रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया -

"दुनियां मे जब कोई औरत अपने शौहर को सताती है तो जन्नत मे मौजुद उसकी खुबसुरत आंखो वाली हुर बिवी उसकी दुनियांवी बिवी से कहती है,

तेरा सतयानास हो, उसको मत सता ये तो तेरे पास चंद दिनो का मेहमान है और जल्द ही तुझसे जुदा होकर

☆ मोमीन दुसरे मोमीन का आईना है ☆

हदीस : रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फरमाते है~
"मोमीन दुसरे मोमीन का आईना (Mirror) है,

और मोमीन दुसरे मोमीन कि भाई है जो नुकसान को उस से दुर करता है,

और उसकी गैर मौजुदगी मे उसकी हिफाजत करता है ।"

📚 सुनन अबु दाऊद, वो-3, हदीस-1486

#सुब्हान_अल्लाह __🌸

आईने की मिसाल बहुत ही हिकमत भरी है, और ओ ये है के:

जब हम आईने के सामने जाते है तो ओ हमारा मजाक नही उड़ता,

बल्कि हमारे ऐबो को हमारे सामने पेश करता है,

और सबसे अहम हिकमत ये के एक ही आईने के सामने मां भी अपने ऐबो को देखती है,
बाप भी अपनी इस्लाह करता है,
भाई और बहन तमाम उसके सामने अपने ऐबो को लेकर जाते है,
लेकीन ओ आईना बाप के ऐब मां को या किसी और को नही दिखाता,
यानी हमारे पिठ पिछे हमारे ऐब किसी और को नही बताता.."
-
सुब्हान अल्लाह!! हमारे इत्तेहाद के लिए कितनी नयाब मिसाल ब्यान की है,

☆ सखावत के दरख्त की जड़ बहीश्त मे और ☆

हदीस : उम्महतुल-मोमीन आईशा (रजी अल्लाहु अन्हा) रिवायत करती है की,
रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया -

सखावत (दरियादीली) के दरख्त की जड़ बहीश्त मे और उसकी टहनियां दुनियां मे झुकी हुई है,

जो इसकी एक टहनी को पकड़ लेगा ओ टहनियां-टहनियां जन्नत मे पहुंच जाएगा,!

और कंजुसी के दरख्त की जड़ बिच दोजख मे और इसकी शाखें दुनिया मे फैली हुई है, एक टहनी सिधी दोजख

☆ जबरदस्ती बदकारी (Rape) करने पर सजा__ए__मौत ☆

#औरत के साथ जबरदस्ती बदकरी (Rape) करने पर #सजा__ए__मौत

हदीस : इबाने हुज्र (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि,

रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) के जमाने मे एक औरत (सहाबीया) नमाज के लिए निकली रास्ते मे एक आदमी उनसे मिला और उसने उस औरत के साथ जबरदस्ती बदकारी की (यानी उसका Rape किया),

तो आप (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने उस शख्स को संगसार यानी राजम करने का हुक्म दिया (यानी उसे जमीन मे आधा डालकर तब तक पत्थर मारा जाये जब तक वह मर न जाये)।

📚 सुनन अबु दाऊद, वो-3, 973

सबक : आज बहुत से मुल्क मे Rape के लिए मौत की सजा की डिमान्ड कर रहे है,

पुल-सिरात की राहदारी

🌀 पोस्ट- 35  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ एक दिन सिद्दिके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) हजरत मौला अली की तरफ देखकर मुस्कुराए। मौला अली (रजी अल्लाहु अन्हु) ने दर्याफ्त किया: मुझे देखकर आप मुस्कुराए क्यों??

सिद्दिके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) ने फरमाया ऐ अली! मुबारक हो मुझसे हुजूर ﷺ ने फरमाया कि जब तक अली किसी को पुल-सिरात से गुजरने की छुट्टी न देगा तब तक वह पुल-सिरात से गुजर ना सकेगा। इस पर हजरत अली (रजी अल्लाहु अन्हु) भी मुस्कुरा पड़े और फरमाया : ऐ खलीफतुल मुस्लिमीन! आपको भी मुबारक हो। मुझसे हुजूर ﷺ ने फरमाया : की ऐ अली! तुम उस शख्स को पुल-सिरात की राहदारी (परवाना) हरगीज न देना जिसके दिल मे अबु-बक्र की अदावत हो बल्कि उसी को देना जो अबु बक्र का मुहीब (मुहब्बत करने वाला) हो।

📜 नुजहतुल मजालिस, जिल्द-2, सफा-306


🌹 सबक ~
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हजरत अली (रजी अल्लाहु अन्हु) की मुहब्बत व गुलामी से कुछ फायदा जब ही हासील हो सकता है, जबकी

पाँच चिजे

🌀 पोस्ट- 34   |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ एक दिन हजरत अली (रजी अल्लाहु अन्हु) ने हजरत सिद्दीक अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) से पछा जनाब यह तो फरमाइए आप इतने बड़े मर्तबे को किन बातो से पहुंच गये।

"सिद्दीक अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) ने फरमाया पांच बातों से -

(1)- मैने लोगो को दो तरह के पाया। एक वह जो दुनियां के तलब मे लगे रहते है। दुसरा वह जो आखीरत के तलब मे लगे रहते है। मैने मौला की तलब मे कोशीश की है ।

(2)- मै जबसे इस्लाम मे आया हुं। कभी दुनिया का खाना पेट भरकर नही खाया क्योंकी इरफाने हक (हक पसंदी) की लज्जत ने मुझे इस दुनिया के खाने से बेनियाज कर दिया।

(3)- जब से इस्लाम मे आया हुं। कभी सैराब होकर पानी नही पिया क्योंकी मुहब्बते इलाही के पानी से सैराब हो चुका हुं।

(4)- जब भी मुझे दुनियां व आखिरत के दो काम पेश आये तो मैने उखरवी काम को मुकद्दम (आखिरत के अमल को तरजीह) किया और दुनियांवी काम की कुछ परवाह किये बेगैर उखरवी काम ही को एख्तेयार किया।

(5)- मै हुजूर ﷺ की सोहबत मे रहा। मेरी यह सोहबत हुजूर ﷺ के साथ बड़ी अच्छी रही।

📜 नुजहतुल मजालिस, जिल्द-2, सफा-304


🌹सबक ~
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हजरत सिद्दिक अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) उम्मत मे सबसे बड़े तालीबे मौला है। (अल्लाह की तलब) आरिफे

आसमान के तारे

🌀 पोस्ट- 33  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ एक रात आसमान साफ था और सितारे चमक रहे थे। हुजूर सरवरे कयेनात दो आलम ﷺ से हजरत उम्मुल मोमीनीन हजरत आइशा सिद्दीका (रजी अल्लाहु अन्हा) ने आसमान की तरफ देखकर हुजूर ﷺ से दर्याफत फरमाया :

"या रसुलल्लाह ﷺ जितने आसमान के तारे है इतनी किसी की नेकींया भी है।??
हुजूर ﷺ ने फरमाया हां! हजरत आइशा ने अर्ज किया किसकी ??

हुजूर ﷺ ने फरमाया उमर की। आइशा (रजी अल्लाहु अन्हा) का ख्याल था की सिद्दीके अकबर का नाम लेंगे मगर हजरत उमर का नाम सुनकर हजरत आइशा (रजी अल्लाहु अन्हा) ने अर्ज किया :-
या रसुलल्लाह! ﷺ मेरे वालीद की नेकीयां किधर गयी??

हुजूर ﷺ ने फरमाया : आइशा उमर की सब नाकीयां अबु-बक्र की नेकीयों मे से एक नेकी के बराबर है।

📜 मिश्कात शरिफ, सफा-552


🌹 सबक ~
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सिद्दीके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) की बहुत बड़ी शान है। नबीयो के बाद सबसे बड़ी मर्तबा आप

शागीर्द या उस्ताद

🌀 पोस्ट- 32   |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत ईसा अलैहिस्सलाम जब चलने फिरने लगे तो मरयम आपको उस्ताद के पास ले गयी। कहा की इस बच्चे को पढ़ाइये। उस्ताद ने हजरत ईसा अलैहिस्सलाम से कहा! ऐ ईसा! पढ़ "बिस्मिल्लाह" हजरत ईसा अलैहिस्सलाम ने फरमाया "बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्राहमानिर्रहीम"। उस्ताद ने कहा अलीफ, बे, जीम, दाल,। हजरत ईसा अलैहिस्सलाम ने फरमाया । क्या तुम जानते हो इन हुरूफो के मायने क्या है?

उस्ताद ने कहा इन हुरूफो के मायने तो मै नही जानता।
फरमाया: तो मुझसे सुन लो।
"अलीफ से मुराद "अल्लाह"
"बे से मुराद "अल्लाह की बहजत"।
"जीम से मुराद है। "अल्लाह का जलाल" और
"दाल से मुराद है। "अल्लाह का दिन"

उस्ताद ने हजरत मरयम (रजी अल्लाहु अन्हा) से कहा कि आप इस बच्चे को वापस ले जाये। यह किसी उस्ताद का मोहताज नही। भला मै इसे क्या पढ़ा सकता हुं। जबकी यह खुद मुझे पढ़ा सकता है।

📜 नुजहतुल मजालिस जिल्द-2, सफा-432


🌹 सबक ~
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नबी किसी दुनियावी उस्ताद के मोहताज नही होते। उसका उस्ताद व मुअल्लिम खुदा होता है। नबी ऐसे उलुम

युसूफ अलैहिस्सलाम और आईना

🌀 पोस्ट- 31  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत युसूफ अलैहिस्सलाम का एक दोस्त आपसे मुलाकात करने आया। हजरत युसूफ अलैहिस्सलाम ने उससे फरमाया भाई दोस्त, दोस्त के पास आया है तो उसके लिए कोई तोहफा लाता है। बताओ तुम मेरे लिए क्या लाए हो??

दोस्त ने जवाब दिया इस वक्त दुनिया मे आपसे बढ़कर कोई और हसीन व जमील चीज है ही नही जो मै आपके लिए लाता । इसलिए मै तो आपकी खिदमत मे आप ही को लाया हुं। युसुफ के लिए तोहफा भी युसूफ ही लाया हुं। यह कहकर एक आईना युसूफ अलैहिस्सलाम के सामने रख दिया । कहा लिजीए इसमे अपने हुश्न व जमाल का नजारा किजीए इससे बढ़कर और क्या तोहफा होगा?

📜 मसनवी शरिफ


🌹 सबक ~
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इंसान को चाहिए के वह अपना दिल मिस्ल आईने के साफ व शफ्फाफ बना ले। कल जब खुदा पुछे की मेरे लिए

मां कि ममता

🌀 पोस्ट- 30   |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम के जमाने मे दो औरतें थीं। दोनो की गोद मे दो बेटे थे । वह दोनो कही जा रहे थे। कि रास्ते मे एक भेड़ीया आया। एक बच्चा उठा ले गया और वह औरत जिसका बच्चा भेड़ीया उठाकर ले गया था, दुसरी औरत के बच्चे को छिनकर बोली की यह बच्चा मेरा है। भेड़ीया तेरे बच्चे को उठाकर ले गया है।

▫️दोनो का झगड़ा बढ़ गया तो दोनो हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम की अदालत मे हाजीर हुई। हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम ने वह बच्चा बड़ी औरत को दिला दिया। हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम को जब इस बात की खबर हुई तो आपने फरमाया अब्बाजान एक फैसला मेरा भी है। वह यह है की छुरी मंगवाई जाये मै इस बच्चे को दो टुकड़े करता हुं और आधा बड़ी को और आधा छोटी को दे देता हुं यह फैसला सुनकर बड़ी खामोश रही और छोटी बोली की हुजूर आप बच्चा बड़ी को ही दे दे लेकीन खुदारा बच्चे को टुकड़े न कीजीए। हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने फरमाया बच्चा इसी छोटी का है जिसके दिल मे सफकते मादरी पैदा हो गयी चुनांचे वह बच्चा

तुफान के बाद

🌀 पोस्ट- 29  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ कौमे आद बड़ी जबरदस्त कौम थी जो ईलाका यमन के एक रेगीस्तान अहकाफ मे रहती थी। उन लोगो ने जमीन को बदकारियों से भर दिया था। अपने जौर व कुव्वत के घमन्ड मे दुनिया की दुसरी कौमो को अपनी जफाकारियों से पमाल कर डाला था।

यह लोग बूत-परास्त थे अल्लाह तआला ने उनकी हिदायत के लिए हजरत हुद अलैहिस्सलाम को मबऊस फरमाया । आपने उनको दर्शे तौहीद दिया और जौर व सितम से रोका तो वह लोग आपके मुनकिर और मुखालिफ हो गयें । कहने लगे आज हमसे ज्यादा जोर आवर कौन है ??

कुछ लोग हजरत हुद अलैहिस्सलाम पर ईमान लाये मगर वह बहुत थोड़े थे। उस कौम ने जब हद से ज्यदा बगावत व शकावत का मुजाहिरा किया और अल्लाह के पैगम्बर की मुखालिफत की तो एक काले रंग का अब्र आया और कौमे आद पर छा गया।

वह लोग देखकर खुश हुए की पानी की जरुरत है। इसमे पानी खुब बरसेगा। मगर उसमे एक हवा चली वह इस शिद्दत से चली की उंट और आदमी को उड़ा कर कही से कही ले जाती थी। यह देखकर वह लोग घरो मे दाखील हुए और अपने दरवाजे बन्द कर लिए । मगर हवा की तेजी से न बच सके । उसने दरवाजे भी उखाड़ दिये उन

बनी-इस्राईल की गुमराही

🌀 पोस्ट- 28  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ बनी-इस्राईल ने हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के साथ फिरऔन से नजात पाई। दरिया को पार करके जब पार हो गये तो उनका गुजर एक बुत-परस्त कौम पर हुआ जो बुतो के आगे आसन मारे बैठे थे। उन बुतो की पुजा कर रहे थे। यह बुत गाय की शक्ल के थें।

बनी-इस्राईल ने हजरत मुसा अलैहिस्सलाम से कहने लगे की ऐ मुसा! जिस तरह इन लोगो के लिए इतने खुदा है। उसी तरह हमे भी आप एक खुदा बना दे।

हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने फरमाया जाहीलो यह क्या बकने लगे। यह बुत-परस्त तो बर्बादी व हलाकत के हाल मे है और जो कुछ कर रहे है। बिलकुल बातील है। क्या मै एक अल्लाह के सिवा कोई दुसरा खुदा तुम्हारे लिए तलाश करू??

📕 कुरआन करीम पारा-9, रुकु-7


🌹 सबक ~
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खुदा तआला की इतनी मेहरबानीयो के बा-वजुद जो उसे भुल जाये और बुतों के आगे झुकने पर

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और एक बुढ़िया

🌀 पोस्ट- 27 |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम दरिया पार करने के लिए जब दरिया के पास पहुँचे तो सवारी के मुँह अल्लाह ने फेर दिये की खुद बा खुद वासस पलट आये, तो मूसा अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया की :- या ईलाही! यह क्या हाल है?

इरशाद हुआ " तुम क़ब्रे युसूफ के पास हो। उनका जिस्म मुबारक अपने साथ ले लो।" मूसा अलैहिस्सलाम को क़ब्र का पता मालूम न था। फ़रमाया क्या तुममे कोई जनता है?

शायद बानी इस्राईल की बुढ़िया को मालूम हो। उसके पास आदमी भेजा की तुझे युसूफ अलैहिस्सलाम की क़ब्र मालूम है? उसने कहा हाँ! मालूम है।

हजरत मुसा अलैहीस्सलाम ने फरमाया : तो मुझे बता दे। वह बोली: खुदा की क़सम मै न बताउंगी जब तक की जो कुछ मै आपसे मांगू आप मुझे अता न फ़रमाये। मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया तेरी अर्ज़ क़ुबूल है मांग क्या मांगती है?

वह बुढ़िया बोली तो हुज़ूर से मैं मांगती हूं की जन्नत में आपके साथ रहूँ उस दर्जे में जिसमें आप होंगे। मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया जन्नत मांग ले यानि तुझे यही काफी है इतना बढ़ा सवाल न कर।

बुढ़िया खुद बोली ख़ुदा की क़सम ! मैं न मानूँगी मगर यही की आपके साथ रहूं । मूसा अलैहिस्सलाम उससे यही

नमकहराम गुलाम

🌀 पोस्ट- 26  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ एक मर्तबा हजरत जिब्रइल अलैहिस्सलाम फिरऔन के पास एक सवाल लाये। जिसका मजमुन यह था की बादशाह का क्या हुक्म है, ऐसे गुलाम के हक मे जिसने एक शख्स के माल व नेमत मे परवरिश पाई फिर उसी के नाशुक्री की और उसके हक मे मुन्कीर हो गया और अपने आप मौला होने का दावेदार हो गया।

इस पर फिरऔन ने जवाब लिखा की जो नमकहराम गुलाम अपने आका की नेमतो का इन्कार करे और उसके मुकाबील आये उसकी यह सजा है की उसको दरिया मे डुबो दिया जाए।

चुनांचे:- फिरऔन जब खुद दरिया मे डुबने लगा तो हजरत जिब्रइल अलैहिस्सलाम ने उसका वही फतवा उसके सामने पेश कर दिया और उसको उसने पहचान लिया।।

📜 खजाइनुल ईरफान, सफा-611


🌹 सबक ~
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इंसान अगर अपने गुलाम की ना-फरमानी पर गुस्सा मे आ जाता है और उसे सजा देता है तो फिर वह खुद भी

फिरऔन की हलाकत (मौत)

🌀 पोस्ट- 25   |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सला फिरऔनीयो के ईमान न लाने से मायुस हो गये तो आपने उनकी हलाकत की दुआ की और कहा :-

"ऐ हमारे रब! उनके माल बर्बाद कर दे और उनके दिल सख्त कर दे की ईमान न लाये जब तक दर्दनाक अजाब ना देख ले।"

हजरत मुसा अलैहिस्सलाम की ये दुआ कुबुल हुई। खुदा ने उन्हे हुक्म दिया की वह बनी इस्राईल को लेकर रातो रात शहर से निकल जाए।

चुनांचे:- हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने अपनी कौम को निकल चलने का हुक्म फरमाया और बनी इस्राईल के औरते, फिरऔनी औरतों के पास गयी और कहने लगी हमे एक मेले मे शरीक होना है। वहां पहनकर जाने के लिये हमे उधार के तौर पर अपने जेवर दे-दो। चुनांचे फिरऔनी औरतो ने अपने अपने जेवर उन बनी इस्राईल की औरतों को दे दिये। फिर सब बनी इस्राईल औरतों और बच्चो समेत हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के साथ रातो रात ही निकल गये। उन सब मर्द औरतो, छोटो बड़ो की तदाद 6 लाख थी।

फिरऔन को जब इस बात की खबर पहुंची तो वह भी रातो रात ही पिछा करने के लिये तैयार हो गया। अपनी सारी कौम को लेकर बनी इस्राईल के पिछे निकल पड़ा।

फिरऔनीयो की तदाद बनी इस्राईल से दो गुनी थी। सुबह होते ही फिरऔन के लश्कर ने बनी इस्राईल को पा लिया। बनी इस्राईल ने देखा की पिछे फिरऔन लश्कर के साथ आ रहा है। आगे दरिया भी आ गया है। उन्होने हजरत मुसा अलैहिस्सलाम से अर्ज किया तो हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने अपना असा_ए_मुबारक दरिया पर मारा तो दरिया कट गया और उसमे 12 रास्ते जाहीर हो गये। बनी इस्राईल उन रास्तो से दरिया पार कर गये।

जब फिरऔनी लश्कर दरिया के किनारे पहुचे तो वह भी दरिया पार करने के लिये उन रास्तो पर चल पड़े जब

खुन ही खुन

🌀 पोस्ट- 24  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम की बद्दुआ से फिरऔनीयो पर जुओ, मेंढ़कों का अजाब नाजील हुआ। फिर आपकी दुआ से वह अजाब रफा हो गया। मगर फिरऔनी फिर भी ईमान न लाये और कुफ्र पर कायम रहे।

▪️हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने फिर बद्दुआ फरमायी तो तमाम कुंओ का पानी, नहरो और चश्मो का पानी, दरिया_ए_निल का पानी, गर्ज हर पानी उनके लिए ताजा खुन बन गया। वह ऐसे नयी मुसीबत से बहुत परिशान हुए, जो भी पानी उठाते उनके लिए खुन बन जाता। कुदरते खुदा का करिश्मा देखीये की बनी इस्राईल के लिए पानी, पानी ही था मगर फिरऔनीयों के लिए हर पानी खुन बन गया था।

आखिर तन्ग आकर फिरऔनीयों ने बनी इस्राईल के साथ मिलकर एक ही बर्तन से पानी लेने का ईरादा किया तो जब बनी इस्राईल पानी निकालते तो पानी निकलता। जब फिरऔनी निकालते तो उसी बर्तन से खुन निकलता था।

यहाँ तक की फिरऔनी औरते प्यास से तन्ग आकर बनी इस्राईल की औरतों के पास आई और उन से पानी माँगा तो वह पानी बर्तन मे आते ही खुन हो गया तो फिरऔनी औरते कहने लगी की तु पानी अपने मुंह में लेकर मेरे मुंह में कुल्ली कर दे । जब तक वह पानी बनी इस्राईल की औरतों के मुंह मे रहा पानी था और जब फिरऔनी औरतों के मुंह मे पहुंचा खुन हो गया।

फिरऔन खुद प्यास से लाचार हुआ तो उसने दरख्तो की रतुबत चुसी। वह रतुबत मुंह मे पहुंचते ही खुन बन

जुएं और मेढ़क

🌀 पोस्ट- 23  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम की बद्दुआ से फिरऔनीयो पर टिड्डी दल का अजाब आ गया । वह फिरऔनीयों की सब खेती दरख्त फल और घरो के दरवाजे और छाते तक खा गयी। फिरऔनीयो ने आजिज़ आकर हजरत मुसा अलैहिस्सलाम से यह अजाब टल जाने की इल्तीजा की और हजरत मुसा अलैहिस्सलाम पर इमान लाने का वादा किया। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने दुआ की और आपकी दुआ से यह अजाब टल गया।

▫️ मगर फिरऔनी अपने अहद पर कायम न रह सके और ईमान न लाये। इस पर हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने फिर बद्दुआ फरमायी और फिरऔनीयो पर जुंओ का अजाब नाजील हो गया । यह जुंए फिरऔनीयों के कपड़ो मे घुसकर उनके जिस्मो को काटती। उनके खाने मे भर जाती थीं। घुन के शक्ल मे उनके गेंहु की बोरीयों मे फैल फैलकर उनके गेहुं को तबाह करने लगीं अगर कोई 10 बोरी गेहुं को चक्की पर ले जाता तो 3 सेर वापस लाता। फिरऔनीयों के जिस्मो पर इस कसरत से चलने लगी की उनके बाल, भवें, पलके चाटकर जिस्म पर चेचक की तरह दाग कर दियें। उन्हे सोना दुसवार कर दिया।

यह मुसीबत देखकर उन्होने हजरत मुसा अलैहिस्सलाम से बला टल जाने की इल्तेजा की और ईमान लाने का वादा किया हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने दुआ की और यह भी बला टल गई। मगर वह काफ़िर अपने अहद पर कायम न रह सके और कुफ्र से बाज न आये। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने फिर उनके लिए बद्दुआ की तो अल्लाह तआला ने उन पर मेंढ़को का अजाब नाजील किया।

हाल यह हुआ की आदमी बैठते थे तो उसकी गोद मे मेंढ़क भर जाते थे। बात करने के लिये मुंह खोलता तो मेंढ़क कुदकर मुंह मे पहुंचता। हांडीयो मे मेंढ़क, खानो मे मेंढ़क और चुल्हो मे मेंढ़क भर जाते थे। आग बुझ जाती थी। लेटते तो मेंढ़क उपर सवार होते थें। इस मुसीबत से फिरऔनी रो पड़े ।

हजरत मुसा अलैहिस्सलाम से अर्ज किया की अबकी बार हम अपनी अहद पर कायम रहेंगें और पक्की तौबा

टिड्डी दल

🌀 पोस्ट- 22  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ फिरऔन के कौम ने हजरत मुसा अलैहिस्सलाम को सताया तो मुसा अलैहिस्सलाम की बददुआ से उन पर पानी का अजाब आ गया जिससे वह बुरी तरह घबरा गये। फिर हजरत मुसा अलैहिस्सलाम से ही इल्तिजा करने लगे की इस अजाब को टल जाने की दुआ किजीए। हम आप पर इमान ले आयेंगे । हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने दुआ फरमायी तो पानी का अजाब टल गया और वह पानी रहमत के शक्ल मे तबदील होकर जमीन की सरसब्जी व शदाबी का सबब बन गया। खेतीयाँ खुब हुई। दरख्त खुब फले। इस तरह के सरसब्जी पहले कभी न देखी। फिरऔनी कहने लगे यह पानी तो नेमत था। हमे मुसा पे इमान लाने की क्या हाजत है।??

चुनांचे - वह मगरूर अपने अहद से फिर गये। तो मुसा अलैहिस्सलाम ने फिर उनके लिए बददुआ फरमाई और एक महीने अफीयात से गुजर जाने के बाद अल्लाह ने फिर उन पर टिड्डियां भेज दी। जो खेतीयां और दरख्तो के फल हत्ता के फिरऔनीयों के दरवाजे और छतें भी खा गई।

कुदरते हक का करिश्मा देखिये कि टिड्डियां फिरऔनियों के घरो मे तो घुस आई मगर बनी इस्राईल के घरो मे मुतलक न गई । तन्ग आकर उन मगरूरो ने हजरत मुसा अलैहिस्सलाम से फिर इस अजाब के टल जाने की ईल्तेजा की और वादा किया की यह बला टल जाये तो हम जरूर ईमान ले आयेंगे। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने

पानी का अजाब

🌀पोस्ट- 21  |  ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के असाए मुबारक का अजदहा बन जाना देखकर फिरऔन के खुशनसीब जादुगर हजरत मुसा अलैहिस्सलाम पर इमान ले आये । लेकीन फिरऔन और उसकी सरकश कौम अपने कुफ्र से बाज न आई।

हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने यह सरकशी देखकर उसके हक मे बद्दुआ फरमा दी और अर्ज किया की :-

✳️ इलाही फिरऔन बहुत सरकश हो गया है। इसकी कौम भी अहद शिकन और मगरूर हो गयी है। उन्हे ऐसे अजाब मे गिरफ्तार कर जो इनके लिए सजा हो और मेरे कौम और बाद वालो के लिए इबरत।

▪️हजरत मुसा अलैहिस्सलाम की यह दुआ कबुल हो गई। अल्लाह ने फिरऔनीयो पर एक तुफान भेजा। अब्र आया, अंधेरा छा गया। कसरत से बारिश होने लगी। फिरऔनीयो के घरो मे पानी उनके गर्दन तक आ गया। उनमे जो बैठा डुब गया। न हिल सकते थे, न कुछ कर सकते थे। हफ्ते से हफ्ते तक सात रोज तक इसी मुसीबत मे मुबतला रहे।

कदरते खुदावंदी का करिशमा देखीये कि बावजुद इसके बनी इस्राईल के घर उन फिरऔनीयो के घर से मिले हुए थे मगर बनी इस्राईल के घरो मे पानी न आया। जब यह लोग आजिज़ हुए तो हजरत मुसा अलैहिस्सलाम से अर्ज किया की हमारे लिए मुसीबत टल जाने की अपने रब से दुआ फरमाइये। यह मुसीबत टल गई तो हम आप

जादुगरों की शिकस्त (हार)

🌀 पोस्ट- 20  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के असा का सांप बन जाना फिरऔन के लिए बड़ी मुश्किल का बाइस हुआ। वह घबरा गया। फिरऔन के दरबारी फिरऔन से कहने लगे की मुसा कही से जादु सिखकर आया है। अब तुम भी अपनी सारे ममलिकत से जादुगरो को जमा करो और उनको मुसा के मुकाबले मे लाओ।

▪️फिरऔन ने अपने आदमी सारे ममलिकत मे भेज दिये। वह हर मकाम से जादुगरो को जमा करके ले आये। जब हजारो की तदाद मे जादुगर जमा हो गये तो फिरऔन ने हजरत मुसा अलैहिस्सलाम को उन जादुगरो से मुकाबला करने का चैलेंज दिया हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने वह चैलेंज कुबुल कर लिया।

फिरऔन ने पुछा : कौन सा दिन होगा?? आप ने फरमाया तुम्हारे मेले के दिन मुकर्रर करता हुं। यह फिरऔनीयो का एक ऐसा दिन था जिस दिन वह जिनते करके दुर-दुर से जमा होते थे। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने यह दिन इस लिए मुकर्रर फरमाया की यह रोज उसकी गायत शौकत का दिन था। इस दिन का मुकर्रर करना सब लोगो पर हक वाजेह (जाहीर) कर देने के लिए था।

▫️ चुनांचे जब वह दिन आया तो हजारो जादुगर मकामे मुकर्रर पर पहुच गयें। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम भी तशरिफ ले आये। हजारो के इस भीड़ से उन जादुगरो ने अपनी अपनी रस्सियां और लाठीया डाल दी। जब लठीया डाली तो वह सब के सब सांप बन गयी और दौड़ने लगी।

हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने देखा की जमीन सांपो से भर गयी है और मेले के मैदान मे सांप ही सांप दौड़ रहे है। यह हैबतनाक मंजर देखकर लोग हैरान रह गये इतने मे हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने भी अपना असा डाल दिया

अजदहा का हमला

🌀 पोस्ट- 19  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम शर्फ नुबुव्वत से मुशार्रफ होकर जब फिरऔन के पास पहुंचे तो उससे फरमाया की ऐ फिरऔन! मै अल्लाह का रसुल हुं और हक व सदाकत का अलमबर्दार हुं। दावा-ए-खुदाई को छोड़ और एक अल्लाह का इबदत करने वाला बन ।

फिरऔन ने कहा: तुम अल्लाह के रसुल हो तो कोइ निशानी दिखाओ।

हजरत मुसा अलैहीस्सलाम ने फरमाया : तो लो देखो । आपने असा मुबारक जमीन पर डाल दिया। जब आपने वह असा जमीन पर डाला तो वह एक बड़ा अजदहा बन गया। जर्द रंग मुंह खोले हुए जमीन से एक मिल उचा, अपनी दुम पर खड़ा हो गया ।

वह एक जबड़ा उसने जमीन पर रखा और एक शाही महल के दिवार पर फिर उसने फिरऔन की तरफ मुंह किया तो फिरऔन तख्त से कुद कर भागा ।

लोगो की तरफ रुख किया तो ऐसी भगदड़ पड़ी की हजारो आदमी कुचल कर मर गये। फिरऔन घर मे जाकर

खौफनाक सांप

🌀 पोस्ट- 18  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के हाथ मे एक असा था। खुदा ने फरमाया ऐ मुसा ! जरा इस असा को जमीन पर डालो। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने उसे जमीन पर डाला तो वह खौफनाक सांप बनकर लहरने लगा। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने यह मंजर देखकर पिठ मोड़ ली। पिछे मुड़कर न देखा।

खुदा ने फरमाया : ऐ मुसा ! डरो नही । इसे पकड़ लो, यह फिर वही असा बन जाएगा।

आप ने उस सांप को पकड़ा तो वह फिर से असा बन गया। अल्लाह तआला ने यह भी एक मोजीजा अता फरमाकर हजरत मुसा अलैहीस्सलाम से फरमाया की अब फिरऔन की तरफ जाओ । उसे डराओ और उसे समझाओ की वह कुफ्र व तुगयानी को छोड़ दे अगर वह मोजीजा तलब करे तो यह असा डाल कर उसे दिखाओ।।

📕 कुरआन करीम, पारा-16, रूकू-10, पारा-20, रुकू-7


🌹 सबक ~
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अंबीया अलैहिस्सलाम को अल्लाह तआला ने बड़े-बड़े मोजीजात अता फरमाये है। वह ऐसे ऐसे

दरख्त से अवाज

🌀 पोस्ट- 17  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम हजरत शोएब अलैहिस्सलाम के पास 10 साल तक रहे। फिर हजरत शोएब अलैहिस्सलाम ने अपनी साहबजादी का निकाह हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के साथ कर दिया।

इतने अरशे के बाद आप हजरत शोएब अलैहिस्सलाम से इजाजत लेकर अपनी वलीदा से मिलने के लिये मिश्र की तरफ रवाना हुए। आपकी बिबी भी साथ थी। रास्ते मे जबकी आप रात के वक्त एक जंगल मे पहुचे तो रास्ता गुम हो गया। अंधेरी रात और सर्दी का मौसम था।

उस वक्त आपने जंगल मे दुर एक चमकती हुई आग देखी और बिवी से फरमाया : तुम यही ठहरो मैने वह दुर आग देखी है। मै वही जाता हुँ। शायद वहां से कुछ खबर मिले। तुम्हारे तापने के लिए कुछ आग ला सकउंगा ।

चुनांचे: आप अपनी बिवी को वही बैठाकर उस आग की तरफ चले और जब उसके पास पहुचे तो वहां एक सरसब्ज व शादाब दरख्त (हरा भरा पेड़) देखा जो उपर से निचे तक निहायत रौशन था। जितना उसके करीब जाते वह दुर हो जाता है। जब ठहर जाते तो वह करीब हो जाता। आप इस नुरानी दरख्त के इस अजीब हाल को देख रहे थे, की उस नुरानी दरख्त से आवाज आयी, ऐ मुसा! मै सारे जहाँ का रब अल्लाह हुं। तुम बड़े पकीजा मकाम पे गये हो । अपने जुते उतार डालो । जो तुझे वहय होती है कान लगा कर सुनो! मै तुम्हे पसन्द कर लिया।

मदयन का कुंआ

🌀 पोस्ट- 16  |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने बड़े होकर जब हक का ब्यान और फिरऔन और फिरऔनीयो की गुमराही का ब्यान शुरू किया तो बनी इसराइल के लोग आपकी बात सुनते और आपकी इत्तेबा करते।

आप फिरऔनीयो के दीन की मुखालाफत फरमाते। रफ्ता-रफ्ता इस बात का चर्चा हुआ । फिरऔनी जुस्तजु मे हुए। फिर फिरऔन के बावरची का मुसा अलैहिस्सलाम के मुक्का से मारा जाना भी जब उन लोगो को मालूम हुआ तो फिरऔन ने हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के कत्ल का हुक्म दिया।

लोग हजरत मुसा अलैहिस्सलाम की तलाश मे निकले। फिरऔनियो मे से एक मर्दे नेक, हजरत मुसा अलैहिस्सलाम का खैर ख्वाह भी था । वह दौड़ते हुआ आया और हजरत मुसा अलैहिस्सलाम को खबर दी। कहा : आप यहां से कही तशरिफ ले जाए । हजरत मुसा अलैहिस्सलाम उसी हालत मे निकल पड़े और मदयन की तरफ रूख किया।

मदयन वह मकाम है, जहां हजरत शोएब अलैहिस्सलाम तशरिफ रखते थे । यह शहर फिरऔन के हुदुदे सल्तनत से बाहर था। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने उसका रास्ता भी न देखा था न कोइ सवारी साथ थी न कोइ हमराही।

चुनांचे अल्लाह ने एक फरिश्ता भेजा जो आपको मदयन तक ले गया ।

हजरत शोएब अलैहिस्सलाम इसी शहर मे रहते थे। आपकी दो लड़कीयां थी और बकरिया आपका रोजी रोटी का जरिया । मदयन मे एक कुआं था। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम पहले उसी कुंए पर पहुचे । आपने देखा की बहुत से लोग उस कुंए मे से पानी खिचते है। और अपने जानवरो को पिला लेते है। हजरत शोएब अलैहिस्सलाम की दोनो लड़कीयां भी अपनी बकरियों को अलग रोक कर वही खड़ी है।

हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने उन लड़कीयों से पुछा कि तुम अपनी बकरियों को पानी क्यों नही पिलाती??
उन्होने कहा की हमसे डोल खिंचा नही जाता। यह लोग चले जायेगे तो जो पानी हौज मे बच जायेगा वह हम अपनी बकरियों को पिला लेंगें ।

हजरत मुसा अलैहिस्सलाम को रहम आ गया । पास ही एक दुसरा कुआं था जिस पर एक बहुत बड़ा पत्थर ढका हुआ था और जिसको बहुत से आदमी मिलकर हटाते थे। आपने तन्हा उसको हटा दिया और उस मे से डोल खिचकर उनकी बकरियो को पिला दिया ।

घर जाकर उन दोनो लड़कीयों ने हजरत शोएब अलैहिस्सलाम से कहा अब्बाजान! एक बड़ा नेक और नया मुसाफिर आया है जिसने आज हम पर रहम खाकर हमारी बकरियों को सैराब कर दिया है। हजरत शोएब अलैहिस्सलाम ने एक शहबजादी से फरमाया की जाओ और उस नेक मर्द को मेरे पास बुला लाओ ।

चनांचे बड़ी शहबजादी चेहरे को आस्तीन से ढ़के हुए और जिस्म को छुपाए हुए बड़ी शर्म व हया से चलते हुई हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के पास आयी और कहा की मेरे अब्बाजान आपको बुलाते हैं ताकी आपको

मुसा अलैहीस्सलाम का तमांचा

🌀 पोस्ट- 15   |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के पास जब मलकुल मौत हाजीर हुए तो हजरत मुसा अलैहीस्सलाम ने मलकुल मौत को एक ऐसा तमांचा मारा की मलकुल मौत की आँखे निकल आई ।

मलकुल मौत फौरन वापस पलटे और अल्लाह के हुजूर अर्ज करने लगे : इलाही! आज तो तुने मुझे एक ऐसे अपने बन्दे की तरफ भेजा है। जो मरना ही नही चाहता । यह देख की उसने मुझे तमांचा मार कर मेरी आँखे निकाल दी है।

खुदा ताअला ने मलकुल-मौत की आँखे दुरुस्त फरमा दी और फरमाया : मेरे बन्दे मुसा के पास फिर जाओ और एक बैल साथ लेते जाओ। मुसा से कहना की अगर तुम और जिना चाहते हो तो इस बैल के पुस्त पर हाथ फेरो । जितना बाल तुम्हारे हाथ के निचे आ जाएगें उतने ही साल जिन्दा रह लेना ।

चुनांचे : मलकुल-मौत बैल लेकर फिर हाजीर हुए और अर्ज करने लगे : हुजूर! इसकी पुस्त पर हाथ फेरीये। जितने बाल आपके हाथ के निचे आ जायेंगे उतना साल आप और जीन्दा रह ले। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने फरमाया फिर इसके बाद तुम आ जाओगे??
अर्ज किया हाँ! तो फरमाया फिर अभी ले चलो।

📜 मिश्कात शरीफ, सफा-466


🌹सबक ~
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अल्लाह के नबीयो की यह शान है कि चाहे तो मलकुल-मौत को

मुसा अलैहीस्सलाम का मुक्का

🌀 पोस्ट- 14  |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम जब 30 साल के हो गये तो एक दिन फिरऔन के महल से निकल कर शहर मे दाखील हुए। आप दो आदमीयो को आपस मे लड़ते हुए झगड़ते देखे।

एक तो फिरऔन का बावरची था और दुसरा हजरत मुसा अलैहिस्सलाम की कौम यानी बनी इसराइल मे से था। फिरऔन का बावरची लकड़ीयो की गट्ठर उस दुसरे आदमी पर लाद कर उसे हुक्म दे रहा था की वह फिरऔन के बावरचीखाने तक वह लकड़ीयो को लेकर चले।

हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने यह बात देखी तो फिरऔन के बावरची से फरमाया: इस गरिब आदमी पर जुल्म न कर, लेकीन वह बाज न आया और बदजुबानी पर उतर आया ।

हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने उसे एक मुक्का मारा तो उस एक मुक्के से उस फिरऔनी का दम निकल गया और वह वही ढ़ेर हो गया।

📕 कुरआने करीम पारा 20, रुकू 5, रूहुल ब्यान जिल्द-2, सफा-625


🌹 सबक ~
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अंबिया_ए_किराम मजलूमो के हामी बनकर तशरिस

हजरत आदम अलैहीस्सलाम और जंगली हिरन

🌀 पोस्ट- 13  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत आदम अलैहीस्सलाम जब जन्नत से जमीन पर तशरिफ लाये तो जमीन के जानवर आपकी ज्यारत को हाजीर होने लगे। हजरत आदम अलैहीस्सलाम हर जानवर के लिए उसके लायक दुआ फरमाते।

इसी तरह जंगल के हिरन भी सलाम करने और ज्यारत के नियत से हाजीर हुए। आपने अपना हाथ मुबरक उनकी पुस्तो (पिठो) पर फेरा उनके लिए दुआ फरमाई । तो उनमे नाफ-ए-मुश्क पैदा हो गयी। वह हिरन जब यह खुश्बु का तोहफा लेकर अपने कौम मे वापस आये तो हिरनो के दुसरे गिरोह ने पुछा की यह खुश्बु तुम कहां से लाये?

वह बोले: अल्लाह के पैगम्बर आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से जमीन पर तशरिफ लाये है। हम उनकी ज्यारत के लिए हाजीर हुए थे तो उन्होने रहमत भरा अपना हाथ हमारी पुश्तो पर फेरा तो यह खुश्बु पैदा हो गयी।

हिरनो का वह दुसरा गिरोह बोला : तो फिर हम सभी जाते है। चुनांचे वह बी गये । हजरत आदम अलैहीस्सलाम ने उनकी पुश्तो पर भी हाथ फेरा मगर उनमे वह खुश्बु पैदा न हुइ । वह वैसे ही वापस आ

शैतान का थूक

🌀 पोस्ट- 12  |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ अल्लाह ने जब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का पुतला मुबारक तैयार फ़रमाया तो फ़रिश्ते हज़रात आदम अलैहिस्सलाम के इस पुतला मुबारक की ज़ियारत करते थें । मगर शैतान जल भून गया।

एक मर्तबा उस मरदूद ने बुग्ज़ व कीने में आकर हज़रते आदम अलैहिस्सलाम के पुतले मुबारक पर थूक दिया। यह थूक हज़रते आदम अलैहिस्सलाम के नाफ मुबारक के मक़ाम पर पड़ी । अल्लाह तआला ने जिब्रइल अलैहिसलाम को हुक्म दिया की इस जगह से उतनी मिटटी निकल कर उस मिटटी का कुत्ता बना दो ।

चुनांचे उस शैतान के थूक से मिली मिटटी का कुत्ता बना दिया गया।

यह कुत्ता आदमी से मानूस इसलिए है की मिटटी हज़रते आदम अलोहिस्सलाम की है और पलीद (गन्दा) इसलिए है की थूक शैतान की है। रात को जगता इसलिए है की हाथ इसमें जिब्राइल अलैहिस्सलाम के लगे हैं।

📜 रिहूल ब्यान जिल्द 1, सफा 68


🌹 सबक ~
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शैतान के थूक से हज़रते आदम अलैहिस्सलाम का कुछ नहीं बिगड़ा। मगर मक़ामे नाफ़ शिकम (पेट) के लिये

हजरत आदम अलैहीस्सलाम और शैतान

🌀 पोस्ट- 11  |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ खुदावंद करीम ने फरिश्तो मे जब ऐलान फरमाया की मै जमीन पर अपना एक खलीफा बनाने वाला हुँ। तो शैतान ने इसका बुरा माना । अपने जी ही जी मे हसद की आग मे जलने लगा।

चुनांचे- जब खुदा ने हजरत आदम अलैहीस्सलाम को पैदा फरमाकर फरिश्तो को हुक्म दिया की मेरे खलीफा के आगे सज्दे मे झुक जाओ तो सब सज्दे मे झुक गये। मगर शैतान अकड़ा रहा और न झुका।

खुदावंद करीम को उसका यह तकब्बुर पसन्द न आया । उससे दरयाफ्त फरमाया :
की ऐ इबलीस ! मैने जब अपने दस्ते कुदरत से बनाए हुए खलीफा के आगे सज्दा करने का हुक्म दिया तो तुमने क्यो न सज्दा किया ??

शैतान ने जवाब दिया : मै आदम से अच्छा हुं। इसलिए की मै आग से बना हुं और वह मिट्टी से बना है। फिर मै एक बशर को सजदा क्यों करता??

खुदा तआला ने इसका यह तकब्बुर भरा जवाब सुना तो फरमाया-
"मरदुद! निकल जा मेरी बारगाहे रहमत से । जा तु क्यामत तक के लिए मरदुद व मलऊन है।

📜 सुर: बकरा


🌹 सबक ~
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खुदा के रसुल और उसके मकबुलो की इज्जत व ताजीम करने से खुदा खुश होता है। और उनको अपनी मिस्ल

अब्दुल्लाह बिन मुबारक और एक सय्यदजादा

🌀 पोस्ट- 10  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत अब्दुल्लाह बिन मुबारक रहमतुल्लाह अलैहि एक बड़े मजमे के साथ मस्जिद से निकले तो एक सय्यदजादा ने उन से कहा:
"ऐ अब्दुल्लाह यह कैसा मजमा है ? देख मैं फरजन्दे रसुल हुँ और तेरा बाप तो ऐसा न था।

हजरत अब्दुल्लाह बिन मुबारक ने जवाब दिया : मै वह काम करता हुँ जो तुम्हारे नाना जान किया करते थे और तुम नही करते और यह भी कहा की बेशक तुम सय्यद हो और तुम्हारे वालीद रसुलुल्लाह ﷺ ही है और मेरा वालीद ऐसा न था मगर तुम्हारे वालीद से इल्म की मिरास बाकी रही। मैने तुम्हारे वालीद की मिरास ली और मै अजीज और बुजुर्ग हो गया। तुमने मेरे वालीद की मिरास ली तुम इज्जत न पा सके।

उसी रात ख्वाब मे हजरत अब्दुल्लाह बिन मुबारक ने हुजूर ﷺ को देखा की आपका चेहराए मुबारक बदला हुआ है।

अर्ज किया :
"या रसुलुल्लाह! ﷺ यह रंजीश क्यो है।?
फरमाया : तुमने मेरे एक बेटे पर नुक्ताचीनी की है। अब्दुल्लाह बिन मुबारक जागे और उस सय्यद की तलाश मे निकले ताकी उससे माफी तलबी करे। उधर उन सय्यदजादे ने भी उसी रात को ख्वाब मे हुजूर ﷺ को देखा और उससे फरमाया: की बेटा! अगर तु अच्छा होता तो क्या ऐसा कलीमा कहता।

वह सय्यदजादे भी जागे और हजरत अब्दुल्लाह बिन मुबारक की तलाश मे निकले । चुनांचे दोनो की मुलाकात

एक सय्यदजादी और मजूसी

🌀 पोस्ट- 9  | ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ मुल्क समरकंद मे एक बेवा सय्यदजादी रहती थी। उसके चन्द बच्चे भी थे ।

एक दिन वह अपने भुखे बच्चो को लेकर एक रईस आदमी के पास पहंची और कहा: मै सय्यदजादी हूं मेरे बच्चे भुखे है। इन्हे खाना खिलाओ । वह रईस आदमी जो दौलत के नशे मे चुर और बराए नाम मुस्लमान था, कहने लगा तुम अगर वकाई सय्यदजादी हो तो कोई दालील पेश करो। सय्यदजादी बोली मै एक गरिब बेवा हुं। जबान पर एतेबार करो की सय्यदजादी हुं और दलील कया पेश करू??

वह बोले : मै जुबानी जमा खर्च को नही मानता अगर कोइ दलील है तो पेश करो वरना जाओ। वह सय्यदजादी अपने बच्चे को लेकर वापस चली आई एक माजूसी (पारसी आग पुजने वाले) रइस के पास पहुंची और अपना सारा किस्सा ब्यान किया। वह मजूसी बोला मोहतरमा! अगरचे मै मुस्लमान नही हुं मगर तुम्हारी सयादत की ताजीम व तौकीर व कद्र करता हुं। आओ और मेरे यहां ही क्याम फरमाओ। मै तुम्हारी रोटी और कपड़े का जमीन हुं । यह कहा और उसे अपने यहां ठहराकर उसे और उसके बच्चे को खाना खिलाया और उसकी बड़ी खिदमत की। रात हुई तो वह बराए नाम मुस्लमान रईस सोया और उसने ख्वाब मे हुजूर ﷺ को देखा जो एक बहुत बड़े नुरानी महल के पास तशरीफ फरमा थे।

उस रइस आदमी ने पुछा : या रसुलल्लाह: ﷺ यह नुरानी महल किसके लिए है।??
'हुजूर ﷺ ने फरमाया मुस्लमान के लिए। वह बोला हुजूर मै मुस्लमान हुं। यह मुझे अता फरमा दिजीए।

हुजूर ﷺ ने फरमाया: अगर तु मुस्लमान है तो अपने इस्लाम की कोइ दलील पेश कर। वह रइस यह सुनकर बड़ा घबराया। हुजूर ﷺ ने फिर उससे फरमाया: मेरी बेटी तुम्हारे पास आई तो तु उससे सयादता की दलील तलब करे और खुद बगैर दलील पेश किये इस महल मे चला जाए, नामुमकिन है। यह सुनकर उसकी आँखे खुल गयी और बड़ा रोया। फिर उस सय्यदजादी की तलाश मे निकला तो उसे पता चला की फला मजूसी

फंसा हुवा जहाज

🌀 पोस्ट- 8   |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ एक मर्दे सालेह को एक काफिर बादशाह ने गिरफ्तार कर लिया, वह फरमाते हैं की उस बादशाह का एक बहुत बड़ा जहाज दरिया मे फंस गया था जो बड़ी कोशीश के बावजूद दरिया से निकल न सका।

आखीर एक दिन जिस कदर कैदी थे उनको बुलाया गया। ताकी वह सब मिलकर उस जहाज को निकाले । चुनाँचे उन कैदीयो ने जिनकी तादाद तीन हजार थी, मिलकर कोशीश की।

फिर भी वह जहाज निकल न सका। फिर ऊन कैदीयो ने बादशाह से कहा की जिस कदर मुस्लमान कैदी हो उनको कहिये वह यह जहाज को निकाल सकेंगे। लेकीन शर्त यह है की वह जो भी नारा लगाये उन्हे रोका न जाए। बादशाह ने यह बात तस्लिम कर ली। सब मुस्लमान कैदीयो को रिहा करके कहा की तुम अपनी मर्जी के मुताबीक जो नारा लगाना चाहो लगाओ और जहाज को निकालो ।

वह मर्दे सालेह फरमाते हैं कि हम सब मुस्लमान कैदीयो की तादाद चार सौ थी। हमने मिलकर नारा-ए-रिसालत लगाया और एक अवाज मे या रसुलल्लाह ﷺ कहा और जहाज को एक धक्का लगाया तो वह जहाज अपनी

अबुल-हसन खरकानी और हदीस का दर्स

🌀  पोस्ट- 7  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत अबुल हसन खरकानी अलैहीर्रहमा  के पास एक शख्स इल्मे हदीस पढ़ने के लिए आया और दरयाफ्त किया की आप ने हदीस कहाँ से पढ़ी ??

हजरत ने फरमाया: बराहे रास्त हुजूर ﷺ से । उस शख्स को यकीन न आया । रात को सोया तो हुजूर ﷺ ख्वाब मे तशरीफ लाये और फरमाया-

▫️अबुल हसन सच कहता है। मैने ही उसे पढ़ाया है। सुबह वह हजरत अबुल हसन की खिदमत मे हाजीर हुआ और हदीस पढ़ने लगा । बाज मकामात पर हजरत अबुल हसन ने फरमाया: यह हदीस हुजूर ﷺ से मरवी नही है।

उस शख्स ने पुछा आपको कैसे मालुम??

फरमाया : तुमने हदीस मुबारक पढ़ना शुरू किया तो मैने अबरूए मुबारक को देखना शुरू किया । मेरी यह आँखे हुजूर ﷺ के चेहराए मुबारक पर है। जब हुजूर ﷺ के चेहरे मुबारक पर शिकन पड़ती है तो मै समझ जाता हूँ की हुजूर ﷺ इस हदीस से ईन्कार फरमा रहे है।

📜 तजकिरतुल औलीया, सफा 466


🌹 सबक ~
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हमारे हुजूर ﷺ जिन्दा है और हाजीर व

जजीरे का कैदी

🌀 पोस्ट- 6  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ इब्ने मरजुक ब्यान करते है कि जजीर_ए_शकर के एक मुस्लमान को दुश्मन ने कैद कर लिया और उसके हाथ पाँव लोहे की जंजीरो से बाँधकर कैदखाने मे डाल दिया।

उस मुस्लमान ने हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम) का नाम लेकर फरियाद की । जोर से कहने लगा या रसुलल्लाह!

यह नारा सुनकर काफीर बोले : अपने रसुल से कहो तुम्हे इस कैद से छुड़ाने आये । फिर जब रात हुई और आधी रात का वक्त हुआ तो कैदखाने मे कोई शख्स आया और उसने कैदी से कहा उठो अजान कहो।

कैदी ने अजान देना शुरू किया और जब वह इस जुमले ``अशहदुअन्न न मुहम्मदर्रसुल्लाह`` पर पहुचा तो उसकी सब जंजीरे टुट गइ और वह आजाद हो गया । फिर उसके सामने एक बाग जाहीर हो गया । वह उस बाग से होता हुआ बाहर आ गया सुबह उसकी रिहाइ का सारे जजीरे मे चर्चा होने लगा।

📜 शवाहिदुल हक, सफा-162


🌹सबक ~
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मुस्लमान हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम) का नार _ए_ रिसालत हमेशा लगाते है। इस नारे को मजाक

कातील की रिहाई

🌀 पोस्ट-5  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ बगदाद के हाकीम इब्राहीम बिन इस्हाक ने एक रात ख्वाब मे हुजूर अकरम (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) को देखा । हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने उससे फरमाया कातील को रिहा कर दो। यह हुक्म सुनकर हाकीमे बगदाद कांपता हुआ उठा और मतेहत अमला से पुछा की क्या कोइ ऐसा मुजरिम भी है जो कातील है??

उन्होने बताया की हां! एक शख्स भी है जिस पर कत्ल का इलजाम है। हाकीमे बगदाद ने कहा: उसे मेरे सामने लाओ। चुनांचे उसे लाया गया । हाकीमे बगदाद ने पूछा सच सच बताओ वक्या क्या है ? उस ने कहा सच कहुंगा झुठ हरगीज ना कहुंगा ।

बात यह हुई की हम चन्द आदमी मिलकर एय्यासी व मदमाशी किया करते थे । एक बढ़ी औरत को हमने मुकर्रर कर रखा था जो हर रात किसी बहाने से कोइ न कोइ औरत ले आती थी ।

एक रात वह एक ऐसी औरत को लाइ जिस ने मेरी दुनीयाँ मे इन्कलाब बरपा कर दिया -

● बात यह हूई की वह औरत जब हमारे सामने आई तो चिख मारकर बेहोश होकर गिर गई । मैने उसे उठाकर एक दुसरे कमरे मे लाकर उसे होश मे लाने की कोशीश की । जब वह होश मे आ गइ तो उससे चिखने और बेहोश होने की वजह पुछी।

वह बोली: ऐ नौजवान मेरे हक मे अल्लाह से डर। फिर कहती हुँ की अल्लाह से डर । यह बुढ़ीया तो मुझे बहाने से इस जगह ले आई है। देख मै एक शरीफ औरत हुँ। सय्यदा हूँ मेरे नाना रसूलूल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) और माँ फातीमा जुहरा है। खबरदार! इस निस्बत का लिहाज रखना और मेरी तरफ बद-निगाही से न देखना ।

मै जब उस पाक औरत से, जो सय्यदा थी यह बात सुनी तो, लरज गया और अपने दोस्तो के पास हकीकते हाल से आगाह किया। कहा की अगर आकबत की खैर चाहते हो तो इस मुकर्ररमा मोअज्जमा खातुन की बे अदबी न होने पाये । मेरे दोस्तो ने यह बात से यह समझा की शायद मै उनको हटाकर खूद तन्हा ही यह गुनाह करना चाहता हुँ। उनसे धोखा कर रहा हुँ। इसी ख्याल से वह मुझसे लड़ने पर आमादा हो गये।

मैने कहा :  मै तुम लोग को किसी सुरत मे इस गलत और बुरे काम की ईजाजत न दुँगा। लड़ुंगा मर जाऊंगा मगर इस सय्यदा की तरफ बद-निगाही मंजूर न करूंगा। चुनाँचे वह मुझपर झपट पड़े और मुझे उनके हमले से

शाहे रोम का कैदी

🌀 पोस्ट- 4  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️उन्दलुस के एक मर्द सालेह (नेक आदमी) के लड़के को शाह रोम ने कैद कर लिया था । वह मर्द सालेह फरयाद लेकर मदिन मुनव्वरा को चल पड़ा। रस्ते मे एक दोस्त मिला । उसने पुछा कहां जा रहे हो ??

तो उसने बताया की मेरे लड़के को शाहे रोम ने कैद कर लिया है और तीन सौ रूपये उस पर जुर्माना कर दिया है।मेरे पास इतने रूपये नही जो देकर मै उसे छुड़ा सकूं। इसलिए हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के पास फरियाद लेकर जा रहा हुँ।

उस दोस्त ने कहा : मगर मदिना मुनव्वरा ही पहुचने की क्या जरूरत है।??

हुजूर से तो हर मकाम पर शफाअत कराइ जा सकती है।
उसने कहा ठिक है । मगर मै तो वही हाजीर हुंगा।

चुनांचे वह मदिना मुनव्वरा हाजीर हुवा और रौजाए मुनव्वरा की हाजीर के बाद अपनी हाजत अर्ज की । फिर ख्वाब मे हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की ज्यारत हुइ तो हुजूर ने उससे फरमाया : जाओ अपने शहर पहुंचो ।

चुनांचे वह वापस आ गया और घर आकर देखा की लड़का घर आ गया है। लड़के से रिहाई का किस्सा पुछा तो उसने बताया की फुलां रात मुझे और मेरे सब साथी कैदीयों को बादशाह ने खुद ही रिहा कर दिया है। उस मर्दे

ख्वाब का दुध

🌀  पोस्ट- 3  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हजरत शेख अबु अब्दुल्लाह फरमाते है कि एक मर्तबा हम मदिना मुनव्वरा हाजीर हुए तो मस्जिद-ए-नबवी मे मेहराब के पास एक बुजूर्ग आदमी को सोये हुए देखा । थोड़ी देर मे वह जागे । जागते ही रौजा-ए-अनवर के पास जाकर हुजूर ﷺ पर सलाम अर्ज किया और फिर मुस्कुराते हुए लौटे । एक खादिम ने उनसे इस मुस्कुराहट की वजह पुछी।

"तो बोले : मै सख्त भुखा था। इसी आलम मे मै रौजा-ए-अनवर पर हाजीर होकर भुख की शिकायत की तो ख्वाब मे मैने हुजूर ﷺ को देखा। आपने मुझे एक प्याला दुध अता फरमाया। मैने खूब पेट भरकर दुध पिया। फिर उस बुजुर्ग ने अपनी हथेली पर मुंह से थुक कर दिखाया तो हमने देखा कि हथेली पर वाकइ दुध ही था।

📜 हुज्जतुल्लाह अलल आलमीन, सफा-804


🌹 सबक ~
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हुजूर ﷺ को ख्वाब मे देखने वाला हुजूर ही को देखता है। हुजूर ﷺ कि ख्वाब मे भी जो अता हो वह वकाइ

मुकद्दस पानी

🌀 पोस्ट- 2  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ एक मकाम पर हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) वजु फरमाया तो हजरत बिलाल (रजी अल्लाहु अन्हु) ने वजू से बचा हुवा पानी ले लिया।

दिगर (और दुसरे) सहाबा-ए-किराम ने जब देखा की हजरत बिलाल (रजी अल्लाहु अन्हु) के पास हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के वजू का बचा हुवा पानी है। तो हजरत बिलाल (रजी अल्लाहु अन्हु) की तरफ दौड़े और मुकद्दस पानी को हासील करने की कोशीश करने लगे।

जिस किसी को उस पानी से थोड़ा पानी मिलता ओ उस पानी को अपने मुंह पर मल लेते। और जिस किसी को न मिल सका तो उसने किसी दुसरे के हाथ से तरी लेकर मुंह पर हाथ फेर लेते।

📜 मिसकात शरिफ, पेज-65


🌹 सबक ~
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सहाबा-ए-किराम (रजी अल्लाहु अन्हु) को हर उस चिज से जिसे हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) से कोइ

रसुलल्लाह ﷺ का पैगाम एक मजूसी के नाम

🌀पोस्ट- 1  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️शीराज के एक बुजुर्ग हजरत फाश फरमाते हैं कि मेरे यहां एक बच्चा पैदा हुवा !
मेरे पास खर्च करने के लिए कुछ भी न था ! वह मौसम इन्तीहाइ सर्द था, मै इसी फिक्र मे सो गया तो ख्वाब मे हुजूर ﷺ की ज्यारत नसीब हुई !

आपने फरमाया : कया बात हैं ??

▫️मैने अर्ज किया : हुजुर खर्च के लिए मेरे पास कुछ भी नही ! बस इसी फिक्र मे था,
हुजूर ﷺ ने फरमाया : दिन चढ़े तो फला मजूसी के घर जाना और उस से कहना की रसुलल्लाह ﷺ ने तुझे कहा है की बिस दिनार तुझे दे दे,

हजरत फाश सुबह उठे तो हैरान हूए की एक मजूसी के घर कैसे जाऊं और रसुलल्लाह का हुक्म वहां कैसे सुनाऊं ??
फिर यह बात भी दूरूस्त है की ख्वाब मे हुजूर नजर आये तो वह हुजूर ही होते हैं !
इसी शश-व-पंज मे वह दिन भी गुजर गया !

▪️दुसरी रात फिर हुजुर कि ज्यरत हुई !
हुजुर ﷺ ने फरमाया : तुम इस ख्याल को छोड़ दो और उस मजूसी के पास मेरे पैगाम पहुंचा दो !

▫️चुनांचे हजरते फाश सुबह उठे और उस मजूसी के घर चल पड़े। क्या देखते है की वह मजूसी अपने हाथ मे कुछ लिए हुए दरवाजे पर खड़ा है !
जब उनके पास पहुंचा तो (चुकी वह उनको जानता न था ! यह पहली मर्तबा उनके पास आए थे) इस लिए शर्मा

▫Post--3D | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 3 " NAPAK CHIZON KE PAK KARNE KA TARIQAH "
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Mas'ala:

Mani Agar Kapde Me Lag Kar Sookh Gai To Use Mal Kar Jhadne Se Kapda Pak Ho Jayga Agarche Uska Asar Nazar Aata Ho.
Isme Aurat, Mard, Insan, Janwar, Sab Ki Mani Ka Eik Hi Hukm Hai.
Badan Pe Agar Mani Lag Jaye To Wo Bhi Is Tarah Pak Hoga.
Jis Mani Lage Kapde Ko Mal Kar Pak Kiya Agar Wo Pani Me Bheeg Jaye To Napak Na Hoga.
Mani Agar Kapde Me Lagi Aur Ab Tak Geeli Hai To Dhona Padega Malna Kafi Nahi.
Malne Ka Hukm Khush Mani Ke Bare Me Hai.
{Fatawa Alamgeeri, Volume-1, Page-44}

Mas'ala:

Napak Zameen Sookh Gai Aur Napaki Ka Rang Aur Boo Jata Raha Wo Pak Hai, Chahe Hawa Se Sookhe Ya Dhoop Se Ya Aag Se Uspe Namaz Padh Sakte Hain Haan Uski Mitti Se Tayam'mum Jayez Nahi.
{Fatawa Alamgeeri, Jild-1, Page-44}

Mas'ala:

Jo Chiz Zameen Se Lagi Hai Napak Ho Gai Wo Sookhne Ke Bad Pak Hai.
Agar Use Zameen Se Alag Kiya Gaya Tab Bhi Pak Rahegi.
Napak Mitti Ke Bartan Banaye Jab Tak Wo Kachche Hain Napak Hain Aag Me Pakne Ya Dhoop Me Sukhne Ke Baad Pak Ho Gaye. {Fatawa Alamgeeri, Jild -1, Page-44}

Mas'ala:

Jo Chiz Sookhne Ya Ragadne Se Pak Ho Gai Wo Bheeg Gai To Napak Na Hogi.

▫Post--3C | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 3 " NAPAK CHIZON KE PAK KARNE KA TARIQAH "
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Mas'ala:

Kapde Ko 3 Martaba Dho Kar Har Baar Khoob Nichoda Tha Phir Use Sukhne Latkaya Ab Usse Koi Qatra Gire To Wo Pani Ka Qatra Pak Hoga.

Agar Khoob Nahi Nichoda Tha To Ye Pani Bhi Napak Hoga.
📜{Bahare-E-Shariat Hissa-2, Page-399}


Mas'ala:

Doodh Pite Ladke Ya Ladki Ke Peshab Ka Eik Hi Hukm Hai.

Kapde Ya Badan Pe Laga To 3 Baar Dhona Aur Nichorna Padega.
📜{Bahare-E-Shariat, Hissa-2, Page-399}


Mas'ala:

Jo Chiz Nichodne Ke Qabil Nahi (Juta, Chappal, Chatai, Bartan Etc) Use Dho Kar Chhod Den Ki Pani Tapakna Band Ho Phir Yun Hi 2 Martaba Aur Dhoyen Tisri Martaba Jab Pani Tapakna Band Ho Gaya To Wo Chiz Pak Ho Gai.

Aisa Hi Jo Kapda Nazuk Ho Ki Nichodne Se Phat Jayga Use Bhi Yun Hi Pak Kare.
📜{البحرالرائق، کتاب الطھارہ، باب الأنجاس، جلد-۱صفحہ-۴۱۳}


Mas'ala:

Agar Aisi Chizen Hai Ki Usme Najasat Jazb Na Ho Jaise Lohe, Tambe, Pital, Steel, Jarman Ki

▫Post--3B | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 3 " NAPAK CHIZON KE PAK KARNE KA TARIQAH "
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Mas'ala:

Kapde Ya Hath Pe Napak Rang Laga Ya Napak Menhdi Lagai To Itni Martaba Dhoyen Ke Saaf Paani Girne Lage Pak Ho Jayga AgarChe Phir Bhi Uska Rang Baqi Ho.
📕{FATHUL QADEER, Volume-1, Page-184}

Mas'ala:

Kapdo Me Agar Mani Mazi Wadi Ya Sharab Jaisi Koi Patli Napaki Lagi To Use Pak Karne Ka Tariqah Ye Hai👇.

Sirf us Kapde Ko 3 Martaba Saaf Paani Me Daal Kar Hath Se Napaki Ki Jagah Mal Len Aur Phir Puri Taqat Se Nichoden Taqat Itni lagayen Ki Usme Dobara Nichodne Se Koi Qatra Na Nikle, Jisne Nichoda Uske Baad Agar Koi Dusra Nichode To Ye Kapda Us Dusre Ke HAQ Me Pak Na Hoga Pehle Wale Ke Haq Me Pak Ho Gaya.

Is Tarah in Kapdo Ko 3 Bar Puri Taqat Se Nichoda Jaye.

Pehli Aur Dusri Bar Nichodne Par Hath Bhi New Pani Se Dhul Len 3ri Bar Me Kapda aur Hath Dono Pak Hai.
📕{Durre Mukhtar, Jild-1, Page-594}

Hamare Kuch Bhai Napak Kapde Ghar Ki Aurton Se Dhulwate Hain Kya Aurten Aap Se Ziyadah Taqat Ke Saath Kapda Nichod Payengi?

Nahi Na, To Kapda Kaise Pak Hua? Wo To Ab Bhi Napak Hai Na Uspe To Aapki Namaz Hi Nahi Hui.

Aur Aurten To Ghar Me Sab Kapde 1 Saath Mila Kar Dhoti Hai Isse To Pak Kapde Bhi Napak Hi

▫Post--3A | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 3 " NAPAK CHIZON KE PAK KARNE KA TARIQAH "
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Kya Chizen Napak Hain Aur Kis Darje Ki Napak Hain Aur Kitni Miqdar Me Najasat Lage To Kya Hukm Hoga Ye Sab Guzar Chuka.

Ab Napaki Kapde Ya Badan Pe Lage To Kaise Pak Kiya Jaye ?

 Mas'ala:

Jo Cheez Khud Se Napak Nahi Balki Kisi Napaki Ke Lagne Se Napak Hui Unke Pak Karne Ke Mukhtalif Tariqe Hain.

Paani Aur Har RAQEEQ Behne Wali Chiz Se Dhokar Najis Chiz Ko Pak Kar Sakte Hain.

Masalan Sirka Aur Gulab Se Bhi Najasat Door Kar Sakte Hain, Magar Bagair Zarurat Gulab Aur Sirka Se Pak Karna Fuzool Kharchi Hai
📕 {Bahare-E-Shariat, Hissa-2, Page-397}

 Mas'ala:

Thook Se Agar Najasat Door Ho To Thook Se Bhi Pak Ho Jayega.
📕 {FATWA ALAMGIRI, Jild-1, Page-45}

 Mas'ala:

Najasat Agar Daldar Ho (Jaise Pakhana, Gobar, Khooon Etc) To Dhone Me Ginti Ki Koi Shart Nahi

☆ हरगीज तन्हा नही होगा कोई मर्द किसी औरत के साथ ☆

  हदीस : हजरत अमर (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि,रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) फरमाते है कि -


"हरगीज तन्हा नही होगा कोई मर्द किसी औरत के साथ! मगर होता है उनमे तिसरा शैतान और शैतान के कामो से तो वाकीफ ही है की शैतान कभी मुस्लमान को अच्छे काम की दावत नही देगा, बल्कि उसकी मौजुदगी हमेशा बुरे कामो की दावत देगी, चाहे भले ही बुरे नियत से जामा न हुए हो ।"

📚 जामेअ तिर्मीजी, जिल्द-2, पेज-391, हदीस-1174

☆ रसुलल्लाह का मोमीनो पर ज्यादा हक है ☆

  हदीस : अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि,रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -


"मै मोमीनो का खुद उनसे ज्यादा हकदार हुं, उनमे से जो कोई कर्जदार मरेगा और अदाएगी के लिए कुछ न छोड़ा तो हम पर उसकी अदाएगी की जिम्मेदारी है और कोई माल छोड़ा होगा तो ओ उसके वारिसो का हिस्सा है ।"

📚 सहीह बुखारी, वो-008, बुक-080, हदीस-723


अल कुरआन : बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम !!!

"नबी मोमीनो पर उनकी जानो से भी ज्यादा हक रखते है और नबी की बिवीयां उनकी (उम्मत की) मां हैं ।"

☆ ऐब वाली चीज तिजारत मे ☆

  हदीस :  रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया -


"एक मुस्लमान दुसरे मुस्लमान का भाई है और जब मुस्लमान अपने भाई के हाथ कोई चीज बेचे जिसमे ऐब (बुराई) हो तो जब तक ब्यान न करे उसे बेचना हलाल नही।"

📚 सुनन इब्ने मजा, किताब-उल-तिजारत, जिल्द-3, पेज-58, हदीस-2246


#सबक : तिजारत मे इस बात का हमेशा ख्याल रखे की अगर किसी को कोई चीज बेच रहे हो तो बेचने से पहले उस चीज की कमी और ऐबो को भी ब्यान करे की यह उस पर वाजीब है।

☆ नेअमतों के जवाल से बचने की दुआ ☆

♥  हदीस : अब्दुल्लाह बिन उमर (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि,

रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की दुआ ये थी,

 दुआ : اللهم إني اعوذ من زوال نعمتك وتحول عافيتك وفجأة نقمتك ، وجميع سخطك

"अल्लाहुमा इन्नी आऊजुबिका मीन जवाली निमतीका वा तहव्वुली अफयातीका,
वा फुजाती निकमातीका,
वा जमीअ सखातीका"

📌तर्जमा : "या अल्लाह मै पनाह मांगता हुं तेरी नेअमत के जवाल से,

और तेरी दी हुई आफीयात और सेहत के पलट जाने से,

और तेरे नागहानी अजाब से, और सब तेरे गजब (गुस्से) वाले कामों से"

☆ बे-अदबी और जहालत वाली बातों का अंजाम ☆

हदीस : रसुलल्लाह (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फरमाते हैं-

"बन्दा एक (1) बात जुबान से निकलता है और उसके मुतल्लिक सोचता नही (के कितनी कुफ्र और बे-अदबी की बात है,)

जिसकी वजह से ओ दोजख के घेरे मे इतनी दुर गीर पड़ता है जितना मशरिक से मगरिब दुर है।"

📚 बुखारी: 81 किताब-उल-रकाक: 23 बाब हिफ्ज अलसान

अस्तगफिरुल्लाह__!

♥अल्लाह हम सबको बचाये बे-अदबी और जहालत के कामो से...

▫सवानेह हयात | 💠 सय्यदना इमाम "हसन" रज़ियल्लाहु तआला अन्हु 💠

नाम ----- सय्यदना इमाम "हसन" रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

वालिद --- मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

वालिदा -- ख़ातूने जन्नत हज़रत फ़ातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा

विलादत - 15 रमज़ान, 3 हिजरी

विसाल --- 5 रबियुल अव्वल, 49 हिजरी

उम्र    -- 45 साल 6 महीने कुछ दिन


आपके फ़ज़ाइल बेशुमार हैं, हुसूले बरकत के लिए चंद यहां ज़िक्र करता हूं ~

▫️जब हुज़ूर का विसाल हुआ तो आपकी उम्र मुबारक 7 साल 6 महीना थी फिर भी आपसे 13 हदीसें मरवी है,इस उम्र में हदीसों को याद रखना और उसे नक़ल करके रखना ये आपके हाफ़िज़े का कमाल है ।

▪️ आप नबी के सर से लेकर सीने तक मुशाबह थे और सीने से पैर तक हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

▫️ हुज़ूर ने आपको सहाबा के मजमे में सय्यद यानि सरदार फ़रमाया

▪️ कभी हुज़ूर नमाज़ के सज्दे में होते तो आप सरकार की गर्दन और पुश्त पर सवार हो जाते और हुज़ूर अपना सज्दा लम्बा फरमा देते मगर आपको पुश्त से ना हटाते जब तक कि आप खुद ना उतर जाते,सुब्हान अल्लाह

▫️ एक मर्तबा हुज़ूर आपको अपनी गर्दन पर बिठाये कहीं जा रहे थी कि किसी ने कहा वह साहबज़ादे सवारी कितनी अच्छी है इस पर हुज़ूर फरमाते हैं कि बेशक सवार भी बहुत अच्छा है

▪️ आप बेहद सखी थे तीन बार अपना आधा माल राहे खुद में खर्च किया और दो मर्तबा पूरा माल लुटा दिया

                      करामत     

एक बार आप पैदल हज को जा रहे थी आपके पैरों में वरम आ गया,आपके ग़ुलाम ने आपको सवारी पेश की मगर आप उस पर बैठे नहीं और उससे फरमाया जब तुम मंज़िल पर पहुंचोगे तो एक हब्शी मिलेगा तुम उससे

▫सवानेह हयात | 💠 उम्मुल मोमेनीन हज़रत सय्यदना 'खुदैजा' रज़ियल्लाहु तआला अन्हा 💠

आलाहज़रत मुजद्दिदे दीनो मिल्लत इमाम इश्को मुहब्बत सय्यदना इमाम अहमद रज़ा खान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु तमाम उम्महातुल मोमेनीन व हज़रत सय्यदना 'खुदैजा' रज़ियल्लाहु तआला अन्हा की शाने अक़्दस में फरमाते हैं ~
अहले इस्लाम की मादराने शफीक़
बानवाने तहारत पे लाखों सलाम

जलवा गय्याने बैतुश शरफ पर दुरूद
पर्द गय्याने इफ्फत पे लाखों सलाम

सय्येमा पहली मां कहफे अमनो अमां
हक़ गुज़ारे रिफाक़त पे लाखों सलाम

अर्श से जिसपे तसलीम नाज़िल हुई
उस सराए सलामत पे लाखों सलाम

मंज़िलुन मिन कसब ला नसब ला सख़ब
ऐसे कोशक की ज़ीनत पे लाखों सलाम


नाम ----- उम्मुल मोमेनीन हज़रत सय्यदना 'खुदैजा' रज़ियल्लाहु तआला अन्हा

वालिद --- खवीलद बिन असद

वालिदा -- फातिमा बिन्त ज़ायदह

विलादत - नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की विलादत से 15 साल क़ब्ल

शौहर  --- नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम

निकाह --- ऐलाने नुबुव्वत से 15 साल क़ब्ल

औलाद --- (6) हज़रत क़ासिम, हज़रत अब्दुल्लाह, हज़रत ज़ैनब, हज़रत रुक़य्या, हज़रत उम्मे कुलसुम, हज़रत फातिमा

विसाल --- 10 रमज़ान, हिजरत से 3 साल क़ब्ल


◻️ इस पर कोई इख्तेलाफ नहीं कि नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर सबसे पहले आप ही ईमान लाईं ।

◼️ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के निकाह में आने से पहले आपकी 2 शादियां हो चुकी थी जिनसे आपको 3 औलादें भी थी, लड़कों में हज़रत हिन्द रज़ियल्लाहु तआला अन्हु सहाबी हुए और जंगे जमल में शहीद हुए ।

◻️ जिस वक़्त आपका निकाह नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से हुआ उस वक़्त आपकी उम्र 40 साल और नबी की उम्र 25 साल थी और हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अब तक कुंवारे थे ।

◼️ आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की रिफाकत में 25 साल रहीं और जब तक आप हयात में रहीं तब तक हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने दूसरा निकाह नहीं किया ।

◻️ रब ने बज़रिये हज़रत जिब्रईल के आपको सलाम कहलवाया ये खुसूसियत औरतों में सिर्फ आपको मिली और मर्दों में सिर्फ हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को ।

◼️ आप बहुत मालदार थीं पर अल्लाह और रसूल की खुशनूदी के लिए अपना सारा माल दीने राह में खर्च कर दिया ।

◻️ सिवाए हज़रत इब्राहीम के हुज़ूर की सारी औलादें आप ही से थी लड़के तो सब बचपन में ही इंतेक़ाल कर गए मगर लड़कियों में सबकी शादिेयां हुई, सय्यदह ज़ैनब का निकाह हज़रत अबुल आस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से हज़रत सय्यदह रुक़य्या व हज़रत सय्यदह उम्मे कुलसुम एक के बाद एक हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से व हज़रत सय्यदना फातिमातुत ज़ुहरा का निकाह मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से हुआ ।

◼️ आपकी क़ब्र मुबारक हिजून में है जिसको अब जन्नतुल मुअल्ला कहा जाता है आपकी नमाज़े जनाज़ा नहीं

▫सवानेह हयात | 💠 खातूने जन्नत हज़रत फातिमा ज़ुहरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा 💠

आलाहज़रत अज़ीमुल बरकत मुजद्दिदे दीनो मिल्लत इमाम इश्को मुहब्बत सय्यदना इमाम अहमद रज़ा खान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु जिनकी शाने अक़्दस में फरमाते हैं ~
उस बुतूले जिगर पार-ए-मुस्तफा
मजला आरा-ए-इफ्फत पे लाखों सलाम

जिसका आंचल ना देखा मा ओ महर ने
उस रिदाए नज़ाहत पे लाखों सलाम

सय्यदा ज़ाहिरा तय्यबा ताहिरा
जाने अहमद की राहत पे लाखों सलाम

नाम ----- हज़रत फातिमा ज़ुहरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा

लक़ब ---- ज़ुहरा व बुतूल

वालिद --- रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम

वालिदा -- हज़रत खदीजा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा

विलादत - ऐलाने नुबुव्वत से 1 साल क़ब्ल

शौहर   --- मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

निकाह --- 17 रजब, पीर, 2 हिजरी

औलाद --- (6) हज़रत इमाम हसन, हज़रत इमाम हुसैन, हज़रत मोहसिन, हज़रत ज़ैनब, हज़रत कुलसुम, हज़रत रुक़य्या रिज़वानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन

विसाल --- 3 रमज़ान, मंगल,11 हिजरी

आप रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के फज़ाइलो मनाक़िब बेशुमार हैं तहरीर में नहीं आ सकते मगर हुसूले बरकत के लिए चन्द का ज़िक्र करता हूँ ~

◼️ आप नबीये पाक की सबसे छोटी साहबज़ादी हैं, नबीये पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को आपसे बेहद्द मुहब्बत थी, आपके आने पर नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फौरन खड़े हो जाते आपकी पेशानी चूमकर अपनी मसनद पर बिठाते ।

◻️ उम्मुल मोमेनीन सय्यदना आईशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा फरमाती हैं कि मैंने उठने बैठने चाल ढाल और बर्ताव में फातिमा से बढ़कर हुज़ूर के मुशाबह किसी को नहीं देखा ।

◼️ मशहूर है कि आप की रूह क़ब्ज़ करने के लिए हज़रत इस्राईल अलैहिस्सलाम नहीं आये बल्कि खुद रब्बे ज़ुलजलाल के हुक्म से आपकी रूह क़ब्ज़ हुई ।

◻️ आप रज़ियल्लाहु तआला अन्हा कभी नमाज़ के क़याम में ही होतीं और रात गुज़र जाती कभी रुकू में और कभी एक ही सजदे में सारी रात निकल जाती आप रज़ियल्लाहु तआला अन्हा फरमाती हैं ऐ मौला तूने कैसे छोटी छोटी रातें बनायीं है कि फातिमा दिल खोलकर इबादत भी नहीं कर पाती ।

◼️ आप एक ही वक़्त में हाथों से आता गूंधतीं, ज़बान से क़ुरआन पढ़तीं, दिल में उसकी तफसीर करतीं, पैरों से हसनैन का झूला झूलातीं और आंखों से खुदा की याद में रोतीं ।

📕 मदारेजुन नुबुव्वत, जिल्द 2, सफह 127-787-788
📕 सच्ची हिक़ायत, सफह 325
📕 ज़रक़ानी, जिल्द 3, सफह 200
📕 शरह सलामे रज़ा, सफह 459


◻️ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि फातिमा मेरे गोश्त का एक टुकड़ा है तो जिसने उसे नाराज़ किया उसने मुझे नाराज़ किया और जिसने उसे तकलीफ दी उसने मुझे तकलीफ दी (इसी लिए आपके निकाह में रहते हुए हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने मौला अली पर दूसरा निकाह हराम फरमा दिया था) ।

📕 मिश्कात, सफह 568


◼️ जिस तरह हज़रत इमाम हसन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु व हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु जन्नती जवानों के सरदार हैं उसी तरह हज़रते फातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा तमाम जन्नती खवातीनों की सरदार हैं ।

📕 बुखारी, जिल्द 1, सफह 532


◻️ एक मर्तबा मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से पूछा कि आप किसको ज़्यादा महबूब रखते हैं मुझे या फातिमा को तो आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि

▫सवानेह हयात | 💠 सय्यदना आइशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा 💠

आलाहज़रत मुजद्दिदे दीनो मिल्लत इमाम इश्को मुहब्बत सय्यदना इमाम अहमद रज़ा खान रज़ियल्लाहु तआला अन्हु, हज़रत सय्यदना 'आइशा' सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा की शाने अक़्दस में फरमाते हैं ~
बिन्ते सिददीक़ आरामे जाने नबी
उस हरीमे बराअत पे लाखों सलाम

यानि है सूरह नूर जिनकी गवाह
उनकी पुरनूर सूरत पे लाखों सलाम

जिन में रुहुल क़ुदुस बे इजाज़त न जायें
उस सुरादिक़ की अज़मत पे लाखों सलाम

शम्ये ताबाने काशानए इज्तिहाद
मुफ्तिये चार मिल्लत पे लाखों सलाम

नाम ----- उम्मुल मोमेनीन हज़रत सय्यदना 'आइशा' सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा

वालिद* --- हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़

वालिदा -- हज़रत ज़ैनब बिन्त आमिर (उम्मे रूमान)

विलादत - ऐलाने नुबुव्वत से 4 साल बाद

निकाह --- ऐलाने नुबुव्वत से 10 साल बाद

विसाल --- 17 रमज़ान,57 हिजरी,इतवार

◼️ जिस वक़्त आपका निकाह नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से हुआ उस वक़्त आपकी उम्र 6 साल और हुज़ूर की उम्र 50 साल थी ।

◻️ आपकी रुखसती हिजरत के दूसरे साल यानि 9 साल की उम्र में हुई।

◼️ 8 साल 5 महीने आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की रफाक़त में रहीं हुज़ूर के विसाल के वक़्त आपकी उम्र 18 साल थी ।

◻️ आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की तन्हा ऐसी बीवी हैं जो निकाह के वक़्त कुंवारी थी ।

◼️ आपसे 2210 हदीसें मरवी हैं जिनमें से 174 मुत्तफिक़ अलैहि है यानि बुखारी व मुस्लिम दोनो में है ।

◻️ जब आप पर तोहमत लगायी गई तो आपकी पाक दामनी के लिए अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने सूरह नूर में 18 आयतें नाज़िल फरमाई ।

◼️ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि मुझे दुनिया में सबसे ज़्यादा मुहब्बत आइशा से है

▫सवानेह हयात | 💠 हज़रत सय्यदना अमीर हमज़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु 💠

◼️ आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के चचा हैं, आप उम्र में हुज़ूर से 2 या 4 साल ही बड़े थे चुंकि हज़रते सोबिया रज़ियल्लाहु तआला अन्हा का आपने भी दूध पिया है और हुज़ूर ने भी सो इस तरह आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के रज़ाई भाई भी हैं ।
आप हुज़ूर से बेहद मुहब्बत करते थे यही वजह है कि जब अबु जहल ने हुज़ूर को बुरा कहा और आपको सख्त अज़ीयत दी तो आप जोशे गज़ब में कमान लिए हुए अबु जहल के पास पहुंचे और उसके सर पर कमान से ऐसा मारा कि उसका सर फट गया हालांकि आप अब तक ईमान नहीं लाये थे, उसी के बाद आपने अलल ऐलान कल्मा पढ़ा और मुसलमान हो गए और दरबारे नुबूवत से आपको असदुर्रसूल यानि रसूल का शेर का खिताब मिला ।

3 हिजरी में जंगे उहद में आपकी शहादत हुई और फरिश्तों ने आपको गुस्ल दिया, हज़रते अमीर मुआविया रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के दौर में जब नहरें खोदने का काम चल रहा था तो एक कुदाल आपके पैर में लगी और पैर फट गया तो ताज़ा खून जिस्म से बह निकला हालांकि आपको दफ्न हुए 46 साल गुज़र चुके थे ।

इसी तरह हज़रते फातिमा खाज़िया व शैख महमूद कर्दी जब आपकी क़ब्र की ज़ियारत को गए और सलाम पेश किया तो आपने बा आवाज़े बुलन्द उनको क़ब्र से ही जवाब दे दिया ।

📕 ज़रक़ानी, जिल्द 3, सफह 270
📕 हुज्जतुल्लाहि अलल आलमीन, जिल्द 2, सफह 863


💝 जो क़ादिर होने के बावजूद गुनाह ना करे वो जन्नती है 🌹

◻️ एक मर्तबा खलीफा हारून रशीद और उनकी बीवी ज़ुबैदा खातून में किसी बात पर तकरार हो गयी और ज़ुबैदा खातून ने जलाल में खलीफा को जहन्नमी कह दिया खलीफा ने कहा कि अगर मैं जहन्नमी हूं तो तुझे तलाक़ है, चुंकि हारुन रशीद को अपनी बीवी से बेहद मुहब्बत थी सो वो बेचैन हो गए और उसका जवाब ढूंढ़ने लगे मगर कोई भी इसका जवाब नहीं दे सका क्योंकि कौन जन्नती है और कौन जहन्नमी इसका इल्म तो सिर्फ रब को है।

दरबार लगा हुआ था कि अचानक एक छोटा लड़का खड़ा हुआ और बोला कि अगर आप कहें तो मैं इसका जवाब दे सकता हूं खलीफा ने हां कहा तो, लड़का बोला कि आपको मेरी ज़रूरत है या मुझे आपकी तो खलीफा ने कहा कि यकीनन मुझे तुम्हारी ज़रूरत है तो लड़का बोला फिर ये कैसे हो सकता है कि मैं नीचे खड़ा होकर जवाब दूं और आप तख्त पर बैठकर सवाल पूछें लिहाज़ा आप नीचे आयें और मैं तख्त पर बैठता हूं, सब उसकी इस जुर्रत पर हैरान व शशदर थे मगर खलीफा इल्म की क़द्र करना जानते थे सो फौरन तख्त से नीचे उतर आये और लड़का तख्त पर बैठ गया ।

लड़का बोला कि आपके सवाल का जवाब देने से पहले मुझे इसका जवाब दीजिये कि क्या कभी ऐसा हुआ है कि आप गुनाह करने पर क़ुदरत रखते हों और सिर्फ खुदा के डर से गुनाह ना किया हो तो खलीफा बोले कि खुदा की कसम ऐसा हुआ है कि मैंने क़ुदरत रखने के बावजूद गुनाह नहीं किया है तो लड़का बोला कि मैं फतवा देता हूं कि आप जन्नती हैं और आपका तलाक़ नहीं हुआ।

दरबार के सारे उल्मा उससे दलील मांगने लगे तो लड़का बोला कि मौला तआला क़ुर्आन में इरशाद फरमाता है कि गुनाह का कस्द किया और फिर गुनाह ना किया तो उसका ठिकाना जन्नत है सब उस लड़के की

▫सवानेह हयात | 💠 हज़रत उस्मान ग़नी 💠

◼️ आपका सिलसिलाये नस्ब इस तरह है -उस्मान बिन अफ्फान बिन अबुल आस बिन उमैय्या बिन अब्दे शम्श बिन अब्दे मुनाफ, अब्दे मुनाफ पर आपका नस्ब हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से जा मिलता है, और आपकी वालिदा का नाम उर्वी बिन्त करीज़ बिन रबिया बिन हबीब बिन अब्दे शम्श है ये हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की फूफी ज़ाद बहन थी ।

◻️ आपकी विलादत आम्मुल फील यानि हाथी वाले वाक़िये के 6 साल बाद हुई ।

◼️ आप हज़रत अबु बक्र व हज़रत अली व हज़रत ज़ैद बिन हारिसा के बाद ईमान लाये और आप चौथे मुसलमान थे ।

◻️ आपका पहला निकाह हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की बेटी हज़रते रुकय्या रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के साथ हिजरत से क़ब्ल हुआ।

आप हर जंग में हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के साथ ही रहे मगर जंगे बद्र में शरीक ना हो सके क्योंकि उस वक़्त हज़रते रुकय्या की तबियत बहुत ज़्यादा अलील थी और हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने उन्हें उनकी देखभाल करने के लिए रोक दिया था, पर इसी बीमारी में ही 3 हिजरी में आपका इंतेक़ाल हो गया जिस वक़्त क़ासिद बद्र के फतह की खुश खबरी लेकर आया उस वक़्त आप हज़रते रुकय्या को दफ़्न फरमा रहे थे, चुंकि माले गनीमत में हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने बाक़ी गाज़ियों की तरह आपका भी हिस्सा लगाया इसलिए आपको भी ग़ज़्वये बद्र में शुमार किया जाता है,

उसके बाद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने अपनी दूसरी बेटी हज़रते उम्मे कुलसूम रज़ियल्लाहु तआला अन्हा का निकाह आपसे कर दिया, हज़रते रुकय्या से एक औलाद हज़रत अब्दुल्लाह पैदा हुए मगर वो भी 6 साल की उम्र में ही इंतेकाल फरमा गए और हज़रते उम्मे कुलसुम से आपको कोई औलाद न हुई और शअबान 9 हिज्री में हज़रते उम्मे कुलसूम भी वफात पा गईं ।

◼️ हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तक कोई ऐसा शख्स नहीं हुआ जिसके निकाह में किसी नबी की 2 बेटियां आयी हो सिवाये हज़रते उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के इसीलिए आपका लक़ब ज़ुन्नुरैन हुआ, हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अगर मेरी 40 बेटियां होती और वो सब एक के बाद एक इंतेक़ाल करती जाती तो मैं एक के बाद

▫सवानेह हयात | 💠 सिद्दीक़े अकबर 💠

नाम           - अब्दुल्लाह 
लक़ब        - सिद्दीक़े अकबर  
वालिद       - अबु कहाफा
वालिदा     - सलमा बिन्त सखर 
विलादत   -हुज़ूर की विलादत से 26 महीने बाद
विसाल     -22/6/13 हिजरी

आपकी सीरत एक पोस्ट में बता पाना नामुमकिन है मगर हुसूले फैज़ के लिए चंद हर्फ आपकी शान में लिखता हूं, मौला तआला क़ुबूल फरमाये ।

◼️ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि नबियों के बाद तमाम इंसानों में सबसे अफज़ल अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु हैं ।

◻️ आपका नस्ब युं है अब्दुल्लाह बिन अबु कहाफा बिन उस्मान बिन आमिर बिन उमर बिन कअब बिन सअद बिन तय्युम बिन मुर्राह बिन कअब, मुर्राह बिन कअब पर आपका नस्ब हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से जाकर मिल जाता है।

◼️ आपके बारे में मशहूर है कि आपने ज़मानये जाहिलियत में भी कभी बुत परस्ती नहीं की और ना कभी शराब पी, जब आप 4 साल के थे तो आपके बाप आपको लेकर अपने बुतों के सामने गए और उनसे कहा कि ये हमारे माबूद हैं तुम इनकी पूजा करो तो 4 साल के सिद्दीक़े अकबर उन बुतों से फरमाते हैं कि मैं भूखा हूं मुझे खाना दो मैं कुछ कहना चाहता हूं मुझसे बात करो जब उधर से कुछ जवाब नहीं आया तो आपने एक पत्थर उठाकर उस बुत पर ऐसा मारा कि वो आपके जलाल का ताब ना ला सका और चकना चूर हो गया, जब आपके बाप ने ये देखा तो आपको तमांचा मारा और घर वापस ले आये, और अपनी बीवी से सारा वाक़िया कह सुनाया तो वो फरमाती हैं कि इसे इसके हाल पर छोड़ दीजिये जब ये पैदा हुआ था तो किसी आवाज़ देने वाले ने ये कहा कि मुबारक हो तुझे कि ये मुहम्मद  सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का रफीक़ है मुझे नहीं मालूम कि ये  मुहम्मद  सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम कौन हैं ।

◻️ मर्दो में सबसे पहले आप ईमान लाये और सबसे पहले हुज़ूर के साथ नमाज़ पढ़ने का शर्फ आपको मिला ।

◼️ आपने दो मर्तबा अपनी पूरी दौलत हुज़ूर के क़दमो पर डाल दी ।

◻️ आपका लक़ब सिद्दीक़ होने का बड़ा मशहूर वाक़िया है कि जब हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मेराज शरीफ से वापस आये और ये वाक़िया लोगों में बयान किया तो अबु जहल भागता हुआ अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास पहुंचा और कहने लगा कि अगर कोई कहे कि मैं हालाते बेदारी में रात ही रात सातों आसमान की सैर कर आया जन्नत दोज़ख देख आया खुदा से भी मिल आया तो क्या तुम यक़ीन करोगे आपने फरमाया कि नहीं, तो कहने लगा कि जिसका तुम कल्मा पढ़ते हो वो *मुहम्मद* सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तो लोगों से यही कह रहे हैं तो आपने फरमाया कि क्या वाकई वो ऐसा कहते हैं तो अबु जहल बोला कि हां वो ऐसा ही कहते हैं तो आप फरमाते हैं कि जब वो ऐसा कहते हैं तो सच ही फरमाते हैं अब जब आपने उस वाक़िये की तस्दीक़ की तो वो मरदूद वहां से भाग निकला और उसी दिन से आपको सिद्दीक़ का खिताब मिला ।

◼️ आपने हुज़ूर की मौजूदगी में 17 नमाज़ों की इमामत फरमाई ।

◻️ आपके खलीफा बनने पर सबसे पहले हज़रते उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने आपकी बैयत की ।

◼️ जब आपने तमाम माल लुटा दिया तो फक़ीराना लिबास में बारगाहे नबवी में हाज़िर थे कि हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम हाज़िर हुए और कहा कि ऐ सिद्दीक़ आप मालदार होते हुए भी ऐसे कपड़ो में क्यों है तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि उन्होंने अपना पूरा माल दीने इस्लाम पर खर्च कर दिया तो हज़रत जिब्रील फरमाते हैं कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने अबु बक्र को सलाम भेजा है और पूछा है कि क्या इस हालत में भी अबु बक्र मुझसे राज़ी हैं इतना सुनते ही हज़रते अबु बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु वज्द में आ गए और बा आवाज़े बुलंद यही फरमाते रहे कि मैं अपने रब से राज़ी हूं मैं अपने रब से राज़ी हूं, अल्लाह अल्लाह क्या शान है सिद्दीक़े अकबर की कि खुद मौला उनसे पूछ रहा है कि क्या तुम मुझसे राज़ी हो अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर।

◻️ आप वो मुक़द्दस सहाबी हुए जिनकी 4 पुश्तें सहाबियत से सरफराज़ हैं, आपके वालिदैन ईमान लाये और सहाबी हुए आप खुद सहाबी हुए आपकी औलाद में मुहम्मद व अब्दुल्लाह व अब्दुर्रहमान व सय्यदना आयशा व सय्यदना अस्मा सब के सब सहाबी हुए और आपके पोते मुहम्मद बिन अब्दुर्रहमान भी सहाबी हुए, ये फज़ीलत आपके सिवा किसी को हासिल नहीं, रिज़वानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन ।

◼️ आपका और मौला अली का हालते जनाबत में भी मस्जिद में जाना जायज़ था ।

◻️ 2 साल 3 महीने 11 दिन आपकी खिलाफत रही ।

◼️ आपसे कई करामतें भी ज़ाहिर हैं, जब आपका विसाल होने लगा तो आपने अपनी प्यारी बेटी सय्यदना आयशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अंहा को बुलाया और फरमाया कि बेटी मेरा जो भी माल है उसे तुम्हारे दोनों भाई मुहम्मद व अब्दुर्रहमान और तुम्हारी दोनों बहनें हैं उनका हिस्सा क़ुर्आन के मुताबिक बाट देना, इस पर आप फरमाती हैं कि अब्बा जान मेरी तो एक ही बहन है बीबी अस्मा ये दूसरी बहन कौन है तो आप फरमाते हैं कि मेरी एक बीवी बिन्त खारेजा जो कि हामिला हैं उनके बतन में एक लड़की है वो तुम्हारी दूसरी बहन है, और आपके विसाल के बाद ऐसा ही हुआ उनका नाम उम्मे कुलसुम रखा गया, इसमें आपकी 2 करामत ज़ाहिर हुई पहली तो ये कि मैं इसी मर्ज़ में इन्तेक़ाल कर जाऊंगा और दूसरी ये भी कि पैदा होने से पहले ही बता देना कि लड़का है या लड़की ।

◻️ आपकी उम्र 63 साल हुई आपकी नमाज़े जनाज़ा हज़रते उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने पढ़ाई और खुद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की इजाज़त से आपको उन्ही के पहलु में दफ्न किया गया, ये आपकी शानो अज़मत है।

◼️ आपकी शान को समझने के लिए ये तन्हा हदीस ही काफी है हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अगर एक पलड़े में अबु बक्र का ईमान रखा जाए और दूसरे में तमाम जहान वालो का तो सिद्दीक़