आलाहज़रत
मुजद्दिदे दीनो मिल्लत इमाम इश्को मुहब्बत सय्यदना इमाम अहमद रज़ा खान
रज़ियल्लाहु तआला अन्हु, हज़रत सय्यदना 'आइशा' सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला
अन्हा की शाने अक़्दस में फरमाते हैं ~
बिन्ते सिददीक़ आरामे जाने नबी
उस हरीमे बराअत पे लाखों सलाम
यानि है सूरह नूर जिनकी गवाह
उनकी पुरनूर सूरत पे लाखों सलाम
जिन में रुहुल क़ुदुस बे इजाज़त न जायें
उस सुरादिक़ की अज़मत पे लाखों सलाम
शम्ये ताबाने काशानए इज्तिहाद
मुफ्तिये चार मिल्लत पे लाखों सलाम
नाम ----- उम्मुल मोमेनीन हज़रत सय्यदना 'आइशा' सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा
वालिद* --- हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़
वालिदा -- हज़रत ज़ैनब बिन्त आमिर (उम्मे रूमान)
विलादत - ऐलाने नुबुव्वत से 4 साल बाद
निकाह --- ऐलाने नुबुव्वत से 10 साल बाद
विसाल --- 17 रमज़ान,57 हिजरी,इतवार
◼️ जिस वक़्त आपका निकाह नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से हुआ उस वक़्त आपकी उम्र 6 साल और हुज़ूर की उम्र 50 साल थी ।
◻️ आपकी रुखसती हिजरत के दूसरे साल यानि 9 साल की उम्र में हुई।
◼️ 8 साल 5 महीने आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की रफाक़त में रहीं हुज़ूर के विसाल के वक़्त आपकी उम्र 18 साल थी ।
◻️ आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की तन्हा ऐसी बीवी हैं जो निकाह के वक़्त कुंवारी थी ।
◼️ आपसे 2210 हदीसें मरवी हैं जिनमें से 174 मुत्तफिक़ अलैहि है यानि बुखारी व मुस्लिम दोनो में है ।
◻️ जब आप पर तोहमत लगायी गई तो आपकी पाक दामनी के लिए अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने सूरह नूर में 18 आयतें नाज़िल फरमाई ।
◼️ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि मुझे दुनिया में सबसे ज़्यादा मुहब्बत आइशा से है
और मर्दों में अबु बक्र से ।
◻️ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के विसाल के बाद आपको इफ्ता का मनसब हासिल हुआ आपके इल्म की शान ये थी कि हर सहाबी हत्ता कि खुल्फाये राशेदीन भी मुश्किल मसायल में आपकी तरफ ही रुजू करते थे ।
◼️ जंगे जमल व जंगे सिफ्फीन में हक़ पर मौला अली ही थे और उम्मुल मोमेनीन व हज़रत अमीरे मुआविया से खताये इज्तेहादी हुई थी मगर मुज्तहिद की खताये इज्तेहाद भी अज्र की मुस्तहिक़ होती है लिहाज़ा तमाम सहाबा को हमेशा खैर से ही याद किया जाये किसी पर भी लअन तअन करना गुमराही है ।
📕 मदारेजुन नुबुव्वत, जिल्द 2, सफह 802-804
📕 शरह सलामे रज़ा, सफह 486
📕 उम्महातुल मोमेनीन, सफह 32
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
🔴इस उनवान के दीगर पार्ट के लिए क्लिक करिये ⬇
http://www.MjrMsg.blogspot.com/p/sawaaneh-hayaat-hindi.html
बिन्ते सिददीक़ आरामे जाने नबी
उस हरीमे बराअत पे लाखों सलाम
यानि है सूरह नूर जिनकी गवाह
उनकी पुरनूर सूरत पे लाखों सलाम
जिन में रुहुल क़ुदुस बे इजाज़त न जायें
उस सुरादिक़ की अज़मत पे लाखों सलाम
शम्ये ताबाने काशानए इज्तिहाद
मुफ्तिये चार मिल्लत पे लाखों सलाम
नाम ----- उम्मुल मोमेनीन हज़रत सय्यदना 'आइशा' सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा
वालिद* --- हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़
वालिदा -- हज़रत ज़ैनब बिन्त आमिर (उम्मे रूमान)
विलादत - ऐलाने नुबुव्वत से 4 साल बाद
निकाह --- ऐलाने नुबुव्वत से 10 साल बाद
विसाल --- 17 रमज़ान,57 हिजरी,इतवार
◼️ जिस वक़्त आपका निकाह नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से हुआ उस वक़्त आपकी उम्र 6 साल और हुज़ूर की उम्र 50 साल थी ।
◻️ आपकी रुखसती हिजरत के दूसरे साल यानि 9 साल की उम्र में हुई।
◼️ 8 साल 5 महीने आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की रफाक़त में रहीं हुज़ूर के विसाल के वक़्त आपकी उम्र 18 साल थी ।
◻️ आप हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की तन्हा ऐसी बीवी हैं जो निकाह के वक़्त कुंवारी थी ।
◼️ आपसे 2210 हदीसें मरवी हैं जिनमें से 174 मुत्तफिक़ अलैहि है यानि बुखारी व मुस्लिम दोनो में है ।
◻️ जब आप पर तोहमत लगायी गई तो आपकी पाक दामनी के लिए अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने सूरह नूर में 18 आयतें नाज़िल फरमाई ।
◼️ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि मुझे दुनिया में सबसे ज़्यादा मुहब्बत आइशा से है
और मर्दों में अबु बक्र से ।
◻️ हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के विसाल के बाद आपको इफ्ता का मनसब हासिल हुआ आपके इल्म की शान ये थी कि हर सहाबी हत्ता कि खुल्फाये राशेदीन भी मुश्किल मसायल में आपकी तरफ ही रुजू करते थे ।
◼️ जंगे जमल व जंगे सिफ्फीन में हक़ पर मौला अली ही थे और उम्मुल मोमेनीन व हज़रत अमीरे मुआविया से खताये इज्तेहादी हुई थी मगर मुज्तहिद की खताये इज्तेहाद भी अज्र की मुस्तहिक़ होती है लिहाज़ा तमाम सहाबा को हमेशा खैर से ही याद किया जाये किसी पर भी लअन तअन करना गुमराही है ।
📕 मदारेजुन नुबुव्वत, जिल्द 2, सफह 802-804
📕 शरह सलामे रज़ा, सफह 486
📕 उम्महातुल मोमेनीन, सफह 32
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)
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