🌀 पोस्ट- 6  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ इब्ने मरजुक ब्यान करते है कि जजीर_ए_शकर के एक मुस्लमान को दुश्मन ने कैद कर लिया और उसके हाथ पाँव लोहे की जंजीरो से बाँधकर कैदखाने मे डाल दिया।

उस मुस्लमान ने हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम) का नाम लेकर फरियाद की । जोर से कहने लगा या रसुलल्लाह!

यह नारा सुनकर काफीर बोले : अपने रसुल से कहो तुम्हे इस कैद से छुड़ाने आये । फिर जब रात हुई और आधी रात का वक्त हुआ तो कैदखाने मे कोई शख्स आया और उसने कैदी से कहा उठो अजान कहो।

कैदी ने अजान देना शुरू किया और जब वह इस जुमले ``अशहदुअन्न न मुहम्मदर्रसुल्लाह`` पर पहुचा तो उसकी सब जंजीरे टुट गइ और वह आजाद हो गया । फिर उसके सामने एक बाग जाहीर हो गया । वह उस बाग से होता हुआ बाहर आ गया सुबह उसकी रिहाइ का सारे जजीरे मे चर्चा होने लगा।

📜 शवाहिदुल हक, सफा-162


🌹सबक ~
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मुस्लमान हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम) का नार _ए_ रिसालत हमेशा लगाते है। इस नारे को मजाक
उड़ाना दुश्मनाने रिसालत का काम है।

मालूम हुआ की हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम) का नाम मुश्किल कुशा है की यह नाम लेते ही मुसीबत की कड़ीयां टुट जाती है।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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