🌀 पोस्ट- 10 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ हजरत अब्दुल्लाह बिन मुबारक रहमतुल्लाह अलैहि एक बड़े मजमे के साथ मस्जिद से निकले तो एक सय्यदजादा ने उन से कहा:
"ऐ अब्दुल्लाह यह कैसा मजमा है ? देख मैं फरजन्दे रसुल हुँ और तेरा बाप तो ऐसा न था।
हजरत अब्दुल्लाह बिन मुबारक ने जवाब दिया : मै वह काम करता हुँ जो तुम्हारे नाना जान किया करते थे और तुम नही करते और यह भी कहा की बेशक तुम सय्यद हो और तुम्हारे वालीद रसुलुल्लाह ﷺ ही है और मेरा वालीद ऐसा न था मगर तुम्हारे वालीद से इल्म की मिरास बाकी रही। मैने तुम्हारे वालीद की मिरास ली और मै अजीज और बुजुर्ग हो गया। तुमने मेरे वालीद की मिरास ली तुम इज्जत न पा सके।
उसी रात ख्वाब मे हजरत अब्दुल्लाह बिन मुबारक ने हुजूर ﷺ को देखा की आपका चेहराए मुबारक बदला हुआ है।
अर्ज किया :
"या रसुलुल्लाह! ﷺ यह रंजीश क्यो है।?
फरमाया : तुमने मेरे एक बेटे पर नुक्ताचीनी की है। अब्दुल्लाह बिन मुबारक जागे और उस सय्यद की तलाश मे निकले ताकी उससे माफी तलबी करे। उधर उन सय्यदजादे ने भी उसी रात को ख्वाब मे हुजूर ﷺ को देखा और उससे फरमाया: की बेटा! अगर तु अच्छा होता तो क्या ऐसा कलीमा कहता।
वह सय्यदजादे भी जागे और हजरत अब्दुल्लाह बिन मुबारक की तलाश मे निकले । चुनांचे दोनो की मुलाकात
हो गयी और दोनो ने अपने अपने ख्वाब सुनाकर एक दुसरे से माजरत तलब की।
📜 तजकिरतुल औलीया, सफा-173
🌹सबक ~
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हमारे हुजूर ﷺ उम्मत की हर बात पर शाहीद और हर बात से बाखबर है।
यह भी मालुम हुआ की हुजूर ﷺ से निस्बत रखने वाले किसी चीज पर नुक्तचीनी करना हुजूर की नराजगी की वजह है।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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