🌀 पोस्ट- 3 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ हजरत शेख अबु अब्दुल्लाह फरमाते है कि एक मर्तबा हम मदिना मुनव्वरा हाजीर हुए तो मस्जिद-ए-नबवी मे मेहराब के पास एक बुजूर्ग आदमी को सोये हुए देखा । थोड़ी देर मे वह जागे । जागते ही रौजा-ए-अनवर के पास जाकर हुजूर ﷺ पर सलाम अर्ज किया और फिर मुस्कुराते हुए लौटे । एक खादिम ने उनसे इस मुस्कुराहट की वजह पुछी।
"तो बोले : मै सख्त भुखा था। इसी आलम मे मै रौजा-ए-अनवर पर हाजीर होकर भुख की शिकायत की तो ख्वाब मे मैने हुजूर ﷺ को देखा। आपने मुझे एक प्याला दुध अता फरमाया। मैने खूब पेट भरकर दुध पिया। फिर उस बुजुर्ग ने अपनी हथेली पर मुंह से थुक कर दिखाया तो हमने देखा कि हथेली पर वाकइ दुध ही था।
📜 हुज्जतुल्लाह अलल आलमीन, सफा-804
🌹 सबक ~
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हुजूर ﷺ को ख्वाब मे देखने वाला हुजूर ही को देखता है। हुजूर ﷺ कि ख्वाब मे भी जो अता हो वह वकाइ
अता होती है। यह भी मालूम हुवा कि हुजूर ﷺ आज भी वैसे हि जिन्दा है, जैसे पहले थे।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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