🌀 पोस्ट- 11  |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ खुदावंद करीम ने फरिश्तो मे जब ऐलान फरमाया की मै जमीन पर अपना एक खलीफा बनाने वाला हुँ। तो शैतान ने इसका बुरा माना । अपने जी ही जी मे हसद की आग मे जलने लगा।

चुनांचे- जब खुदा ने हजरत आदम अलैहीस्सलाम को पैदा फरमाकर फरिश्तो को हुक्म दिया की मेरे खलीफा के आगे सज्दे मे झुक जाओ तो सब सज्दे मे झुक गये। मगर शैतान अकड़ा रहा और न झुका।

खुदावंद करीम को उसका यह तकब्बुर पसन्द न आया । उससे दरयाफ्त फरमाया :
की ऐ इबलीस ! मैने जब अपने दस्ते कुदरत से बनाए हुए खलीफा के आगे सज्दा करने का हुक्म दिया तो तुमने क्यो न सज्दा किया ??

शैतान ने जवाब दिया : मै आदम से अच्छा हुं। इसलिए की मै आग से बना हुं और वह मिट्टी से बना है। फिर मै एक बशर को सजदा क्यों करता??

खुदा तआला ने इसका यह तकब्बुर भरा जवाब सुना तो फरमाया-
"मरदुद! निकल जा मेरी बारगाहे रहमत से । जा तु क्यामत तक के लिए मरदुद व मलऊन है।

📜 सुर: बकरा


🌹 सबक ~
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खुदा के रसुल और उसके मकबुलो की इज्जत व ताजीम करने से खुदा खुश होता है। और उनको अपनी मिस्ल
बशर समझकर उनकी ताजीम से इन्कार कर देना फेअले शैतानी है ।

एक पैगम्बरे खुदा को सबसे पहले तहकीरन (हकीर नजर से) बशर कहने वाला शैतान है।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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