अंजीर बुनियादी तौर पर मशरिके वुस्ता और एशियाई कोचक का फल है अगर चे अब ये हिंदुस्तान में भी पाया जाता है मगर मुसलमानों की हिंदुस्तान में आमद से पहले इसका कोई सुराग नहीं मिलता, इसलिए यही सही है कि इसे मुसलमान ही हिंदुस्तान लेकर आये और इसकी काश्त की मगर 1000 साल गुज़र जाने के बाद भी आज इसकी काश्त इस तौर पर नहीं की जाती कि वो तमाम लोगों की ज़रूरत को पूरा कर सके लिहाज़ा तुर्की, इटली, स्पेन, पुर्तगाल, ईरान, फिलिस्तीन, शाम और लेबनान से इसे मंगाया जाता है, कहते हैं फलों में ये सबसे नाज़ुक फल है कि पकने के बाद खुद ही पेड़ से गिर जाता है और दूसरे दिन तक इसे महफूज़ रखना मुश्किल हो जाता है सो इसे सुखाकर ही इस्तेमाल लायक बनाया जाता है, इसके फज़ायल के लिए इतना ही काफी है कि क़ुर्आन में अल्लाह तबारक व तआला इसकी कसम याद फरमाता है, इरशाद फरमाया ~
 
कंज़ुल ईमान - कसम अंजीर और ज़ैतून की

📕 पारा 30, सूरह वत्तीन, आयत 1


तफसीर - अंजीर एक उम्दा मेवा है जिसमे फुज़्ला नहीं है बहुत तेज़ हज़म होने वाला जिगर और मेदे की इस्लाह करने वाला बलगम को निकालने वाला और कमज़ोर जिस्म को फरबा करने वाला है ।

📕 खज़ाएनुल इरफान, सफह 709


हदीस - हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में अंजीर से भरा हुआ एक तश्त आया तो आप फरमाते हैं कि अगर कोई कहे कि क्या जन्नत से फल ज़मीन पर आ सकता है तो मैं कहूंगा यही है वो, तो इसे खाओ कि अंजीर बवासीर को खत्म कर देता है और गठिया यानि जोड़ों के दर्द में मुफीद है।

तिब - इसके अलावा ये गुर्दे और पित्त से पथरी को तोड़कर निकाल देने में कारगर है मगर बासी मुंह 6 दाने के
अंजीर के साथ कलौंजी और कासनी (हिन्दबा-chicori) का मुरक़्क़ब इस्तेमाल करें, हलक़ की सोजिश सीने पर बोझ फेफड़ों की सूजन जिगर और तिल्ली की सफाई पेट से हवा निकालता है और अगर इसके साथ बादाम मिलाकर खाया जाे तो पेट की बहुत सारी बीमारियों का इलाज हो जाये, पुरानी खांसी और प्यास की शिद्दत को कम करता है अगर चे ये खुद मीठा है मगर शुगर के मरीज़ को नुकसान नहीं पहुंचाता, पुरानी क़ब्ज़ दमा खांसी चेहरे का रंग निखारने के लिए 5 दाने जबकि मोटापा कम करने के लिए 3 दाने ही काफी है, औरत को हैज़ की तकलीफ से निजात के साथ साथ उसके दूध बढ़ाने में भी मुफीद है, खून की नालियों में जमी हुई गलाज़त को साफ करता है और ब्लड प्रेशर के मरीज़ को राहत देता है।

तरीक़ा - रात को 5 या 7 अंजीर को धोकर पानी में भिगो दें और सुबह बासी मुंह अंजीर को खा लें और उस पानी को कपड़े से छानकर पियें ताकि उसमे बैठा हुआ गर्द छन जाये वरना नुकसान देह हो सकता है ।

📕 तिब्बे नब्वी और जदीद साईंस, सफह 17-27

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ नौशाद अहमद ज़ेब रज़वी (ज़ेब न्यूज़)

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