🌀 पोस्ट- 13 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ हजरत आदम अलैहीस्सलाम जब जन्नत से जमीन पर तशरिफ लाये तो जमीन के जानवर आपकी ज्यारत को हाजीर होने लगे। हजरत आदम अलैहीस्सलाम हर जानवर के लिए उसके लायक दुआ फरमाते।
इसी तरह जंगल के हिरन भी सलाम करने और ज्यारत के नियत से हाजीर हुए। आपने अपना हाथ मुबरक उनकी पुस्तो (पिठो) पर फेरा उनके लिए दुआ फरमाई । तो उनमे नाफ-ए-मुश्क पैदा हो गयी। वह हिरन जब यह खुश्बु का तोहफा लेकर अपने कौम मे वापस आये तो हिरनो के दुसरे गिरोह ने पुछा की यह खुश्बु तुम कहां से लाये?
वह बोले: अल्लाह के पैगम्बर आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से जमीन पर तशरिफ लाये है। हम उनकी ज्यारत के लिए हाजीर हुए थे तो उन्होने रहमत भरा अपना हाथ हमारी पुश्तो पर फेरा तो यह खुश्बु पैदा हो गयी।
हिरनो का वह दुसरा गिरोह बोला : तो फिर हम सभी जाते है। चुनांचे वह बी गये । हजरत आदम अलैहीस्सलाम ने उनकी पुश्तो पर भी हाथ फेरा मगर उनमे वह खुश्बु पैदा न हुइ । वह वैसे ही वापस आ
गये। वापस आकर वह तअज्जुब मे होकर बोले की क्या बात है।? तुम गये तो खुश्बु मिल गई और हम गये तो कुछ न मिला ।
पहले गिरोह ने जवाब दिया - उसकी वजह यह है की हम गये थे सिर्फ जियारत की नियत से तुम्हारी नियत दुरूस्त न थी।
📜 नुजहतुल मजालिस, जिल्द-1, सफा-4
🌹सबक ~
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अल्लाह वालो के पास नेक नियत से हाजीर होने मे कुछ मिलता है।
मगर किसी बदबख्त को कुछ न मिले तो उसकी नियत का कुसूर होता है। अल्लाह वालो की दैन व अता का कोइ कुसूर नही होता। —
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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