🌀 पोस्ट- 15 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के पास जब मलकुल मौत हाजीर हुए तो हजरत मुसा अलैहीस्सलाम ने मलकुल मौत को एक ऐसा तमांचा मारा की मलकुल मौत की आँखे निकल आई ।
मलकुल मौत फौरन वापस पलटे और अल्लाह के हुजूर अर्ज करने लगे : इलाही! आज तो तुने मुझे एक ऐसे अपने बन्दे की तरफ भेजा है। जो मरना ही नही चाहता । यह देख की उसने मुझे तमांचा मार कर मेरी आँखे निकाल दी है।
खुदा ताअला ने मलकुल-मौत की आँखे दुरुस्त फरमा दी और फरमाया : मेरे बन्दे मुसा के पास फिर जाओ और एक बैल साथ लेते जाओ। मुसा से कहना की अगर तुम और जिना चाहते हो तो इस बैल के पुस्त पर हाथ फेरो । जितना बाल तुम्हारे हाथ के निचे आ जाएगें उतने ही साल जिन्दा रह लेना ।
चुनांचे : मलकुल-मौत बैल लेकर फिर हाजीर हुए और अर्ज करने लगे : हुजूर! इसकी पुस्त पर हाथ फेरीये। जितने बाल आपके हाथ के निचे आ जायेंगे उतना साल आप और जीन्दा रह ले। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने फरमाया फिर इसके बाद तुम आ जाओगे??
अर्ज किया हाँ! तो फरमाया फिर अभी ले चलो।
📜 मिश्कात शरीफ, सफा-466
🌹सबक ~
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♥ अल्लाह के नबीयो की यह शान है कि चाहे तो मलकुल-मौत को
भी तमांचा मार दे। उसकी आँख तक निकाल दे। नबी वह होता है, जो मरना चाहे तो मलकुल-मौत करीब आता है। अगर न मरना चाहे तो मलकुल मौत वापस चले जाते हैं, हालाँकि अवाम की मौत इस शेअर के मिस्दाक होती है कि :-
लाई हयात आए कजा ले चली चले।
अपनी खुशी न आये न अपनी खुशी चले।।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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