🌀 पोस्ट- 32 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ हजरत ईसा अलैहिस्सलाम जब चलने फिरने लगे तो मरयम आपको उस्ताद के पास ले गयी। कहा की इस बच्चे को पढ़ाइये। उस्ताद ने हजरत ईसा अलैहिस्सलाम से कहा! ऐ ईसा! पढ़ "बिस्मिल्लाह" हजरत ईसा अलैहिस्सलाम ने फरमाया "बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्राहमानिर्रहीम"। उस्ताद ने कहा अलीफ, बे, जीम, दाल,। हजरत ईसा अलैहिस्सलाम ने फरमाया । क्या तुम जानते हो इन हुरूफो के मायने क्या है?
उस्ताद ने कहा इन हुरूफो के मायने तो मै नही जानता।
फरमाया: तो मुझसे सुन लो।
"अलीफ से मुराद "अल्लाह"
"बे से मुराद "अल्लाह की बहजत"।
"जीम से मुराद है। "अल्लाह का जलाल" और
"दाल से मुराद है। "अल्लाह का दिन"
उस्ताद ने हजरत मरयम (रजी अल्लाहु अन्हा) से कहा कि आप इस बच्चे को वापस ले जाये। यह किसी उस्ताद का मोहताज नही। भला मै इसे क्या पढ़ा सकता हुं। जबकी यह खुद मुझे पढ़ा सकता है।
📜 नुजहतुल मजालिस जिल्द-2, सफा-432
🌹 सबक ~
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नबी किसी दुनियावी उस्ताद के मोहताज नही होते। उसका उस्ताद व मुअल्लिम खुदा होता है। नबी ऐसे उलुम
का चश्मा होता है। जिनसे दुसरे लोग बे-खबर होते है।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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