🌀 पोस्ट- 9  | ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ मुल्क समरकंद मे एक बेवा सय्यदजादी रहती थी। उसके चन्द बच्चे भी थे ।

एक दिन वह अपने भुखे बच्चो को लेकर एक रईस आदमी के पास पहंची और कहा: मै सय्यदजादी हूं मेरे बच्चे भुखे है। इन्हे खाना खिलाओ । वह रईस आदमी जो दौलत के नशे मे चुर और बराए नाम मुस्लमान था, कहने लगा तुम अगर वकाई सय्यदजादी हो तो कोई दालील पेश करो। सय्यदजादी बोली मै एक गरिब बेवा हुं। जबान पर एतेबार करो की सय्यदजादी हुं और दलील कया पेश करू??

वह बोले : मै जुबानी जमा खर्च को नही मानता अगर कोइ दलील है तो पेश करो वरना जाओ। वह सय्यदजादी अपने बच्चे को लेकर वापस चली आई एक माजूसी (पारसी आग पुजने वाले) रइस के पास पहुंची और अपना सारा किस्सा ब्यान किया। वह मजूसी बोला मोहतरमा! अगरचे मै मुस्लमान नही हुं मगर तुम्हारी सयादत की ताजीम व तौकीर व कद्र करता हुं। आओ और मेरे यहां ही क्याम फरमाओ। मै तुम्हारी रोटी और कपड़े का जमीन हुं । यह कहा और उसे अपने यहां ठहराकर उसे और उसके बच्चे को खाना खिलाया और उसकी बड़ी खिदमत की। रात हुई तो वह बराए नाम मुस्लमान रईस सोया और उसने ख्वाब मे हुजूर ﷺ को देखा जो एक बहुत बड़े नुरानी महल के पास तशरीफ फरमा थे।

उस रइस आदमी ने पुछा : या रसुलल्लाह: ﷺ यह नुरानी महल किसके लिए है।??
'हुजूर ﷺ ने फरमाया मुस्लमान के लिए। वह बोला हुजूर मै मुस्लमान हुं। यह मुझे अता फरमा दिजीए।

हुजूर ﷺ ने फरमाया: अगर तु मुस्लमान है तो अपने इस्लाम की कोइ दलील पेश कर। वह रइस यह सुनकर बड़ा घबराया। हुजूर ﷺ ने फिर उससे फरमाया: मेरी बेटी तुम्हारे पास आई तो तु उससे सयादता की दलील तलब करे और खुद बगैर दलील पेश किये इस महल मे चला जाए, नामुमकिन है। यह सुनकर उसकी आँखे खुल गयी और बड़ा रोया। फिर उस सय्यदजादी की तलाश मे निकला तो उसे पता चला की फला मजूसी
के घर क्याम पजीर है। चुनांचे उस मजुसी के पास गया और कहा एक हजार रूपये ले लो और वह सय्यदजादी मेरे सुपुर्द कर दो।

"मजूसी बोला :: क्या मै वह नुरानी महल एक हजार रूपये मे बेच दुं?? नामुमकीन है। सुन लो! हुजूर ﷺ जो तुम्हे ख्वाब मे मिलकर उस महल से दुर कर गये है। वह मुझे ख्वाब मे मिलकर और कलीमा पढ़ाकर उस महल मे दाखील फरमा गये है। अब मै भी बिबी भी बच्चो समेत मुस्लमान हुँ। मुझे हुजूर बशारत दे गये है की तु अहल व अयाल समेत जन्नती है।

📜 नुजहतुल मजालिस, जिल्द-2, सफा-64


🌹 सबक ~
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दलील तलब करने वाला बराए नाम मुस्लमान भी जन्नत से महरूम रह गया! और निस्बते रसुल का लिहाज करके बगैर दलील के भी ताजीम व अदब करने वाला एक मजूसी भी दौलते ईमान से मुशर्रफ होकर जन्नत पा गया।

मालूम हुवा की अदब व ताजीमे रसूल के बाब मे बात बात पर दलील तलब करने वाला बराए नाम मुस्लमान बदबख्त और महरूम रह जाने वाला है।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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