♥ हदीस : अबु जर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने कहा के,रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया-
"अपने किसी (मुस्लमान) भाई के सामने (खुशी से) तुम्हारा मुस्कुरा देना ये भी सदका है,.."
▫️और किसी को अच्छी बात का हुक्म देना और बुरी बात से रोकना ये सदका है,
▪️और किसी भटके हुवे को रास्ता बता देना ये भी सदका है,
▫️और किसी अन्धे की मदद कर देना ये भी सदका है,
▪️और रास्ते से पत्थर और कांटा और हड्डी हटा देना ये भी सदका है,
▫️और अपने डोल मे से अपने भाई के डोल मे पानी डाल देना ये भी सदका है,
💫 मतलब ये है के इन सब कामो पर सदका देने का सवाब मिलता है।
📜 मिश्कात शरिफ, जिल्द-1, सफा-169, जन्नती जेवर-235
•नोट : पुरे जमाने मे कुवें से पानी खिचवाने के लिये इस्तिमाल की जाने वाली बुकेट को डोल
या डुल कहा जाता है।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
🔴और भी हिंदी हदीस-ए-पाक पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
http://www.MjrMsg.blogspot.com/p/hindi-hadees.html
"अपने किसी (मुस्लमान) भाई के सामने (खुशी से) तुम्हारा मुस्कुरा देना ये भी सदका है,.."
▫️और किसी को अच्छी बात का हुक्म देना और बुरी बात से रोकना ये सदका है,
▪️और किसी भटके हुवे को रास्ता बता देना ये भी सदका है,
▫️और किसी अन्धे की मदद कर देना ये भी सदका है,
▪️और रास्ते से पत्थर और कांटा और हड्डी हटा देना ये भी सदका है,
▫️और अपने डोल मे से अपने भाई के डोल मे पानी डाल देना ये भी सदका है,
💫 मतलब ये है के इन सब कामो पर सदका देने का सवाब मिलता है।
📜 मिश्कात शरिफ, जिल्द-1, सफा-169, जन्नती जेवर-235
•नोट : पुरे जमाने मे कुवें से पानी खिचवाने के लिये इस्तिमाल की जाने वाली बुकेट को डोल
या डुल कहा जाता है।
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