🌀 पोस्ट- 34 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ एक दिन हजरत अली (रजी अल्लाहु अन्हु) ने हजरत सिद्दीक अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) से पछा जनाब यह तो फरमाइए आप इतने बड़े मर्तबे को किन बातो से पहुंच गये।
"सिद्दीक अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) ने फरमाया पांच बातों से -
(1)- मैने लोगो को दो तरह के पाया। एक वह जो दुनियां के तलब मे लगे रहते है। दुसरा वह जो आखीरत के तलब मे लगे रहते है। मैने मौला की तलब मे कोशीश की है ।
(2)- मै जबसे इस्लाम मे आया हुं। कभी दुनिया का खाना पेट भरकर नही खाया क्योंकी इरफाने हक (हक पसंदी) की लज्जत ने मुझे इस दुनिया के खाने से बेनियाज कर दिया।
(3)- जब से इस्लाम मे आया हुं। कभी सैराब होकर पानी नही पिया क्योंकी मुहब्बते इलाही के पानी से सैराब हो चुका हुं।
(4)- जब भी मुझे दुनियां व आखिरत के दो काम पेश आये तो मैने उखरवी काम को मुकद्दम (आखिरत के अमल को तरजीह) किया और दुनियांवी काम की कुछ परवाह किये बेगैर उखरवी काम ही को एख्तेयार किया।
(5)- मै हुजूर ﷺ की सोहबत मे रहा। मेरी यह सोहबत हुजूर ﷺ के साथ बड़ी अच्छी रही।
📜 नुजहतुल मजालिस, जिल्द-2, सफा-304
🌹सबक ~
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हजरत सिद्दिक अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) उम्मत मे सबसे बड़े तालीबे मौला है। (अल्लाह की तलब) आरिफे
कामील, मुहिब्बे हक (अल्लाह की मुहब्बत मे) मुत्तकी (तकवे वाले परहेजगार) और रसुलुल्लाह ﷺ के सहाबी।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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