🌀 पोस्ट- 27 |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम दरिया पार करने के लिए जब दरिया के पास पहुँचे तो सवारी के मुँह अल्लाह ने फेर दिये की खुद बा खुद वासस पलट आये, तो मूसा अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया की :- या ईलाही! यह क्या हाल है?

इरशाद हुआ " तुम क़ब्रे युसूफ के पास हो। उनका जिस्म मुबारक अपने साथ ले लो।" मूसा अलैहिस्सलाम को क़ब्र का पता मालूम न था। फ़रमाया क्या तुममे कोई जनता है?

शायद बानी इस्राईल की बुढ़िया को मालूम हो। उसके पास आदमी भेजा की तुझे युसूफ अलैहिस्सलाम की क़ब्र मालूम है? उसने कहा हाँ! मालूम है।

हजरत मुसा अलैहीस्सलाम ने फरमाया : तो मुझे बता दे। वह बोली: खुदा की क़सम मै न बताउंगी जब तक की जो कुछ मै आपसे मांगू आप मुझे अता न फ़रमाये। मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया तेरी अर्ज़ क़ुबूल है मांग क्या मांगती है?

वह बुढ़िया बोली तो हुज़ूर से मैं मांगती हूं की जन्नत में आपके साथ रहूँ उस दर्जे में जिसमें आप होंगे। मूसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया जन्नत मांग ले यानि तुझे यही काफी है इतना बढ़ा सवाल न कर।

बुढ़िया खुद बोली ख़ुदा की क़सम ! मैं न मानूँगी मगर यही की आपके साथ रहूं । मूसा अलैहिस्सलाम उससे यही
रद्द वा बदल करते रहे। अल्लाह ने वहय भेजी। मूसा वह जो मांग रही है तुम उसे वही अता कर दो की इसमें तुम्हारा कोई नुक़सान नहीं।

चुनाचें:- मूसा अलैहिस्सलाम ने जन्नत में अपने रिफ़ाक़त उसे अता फरमा दी। उसने युसूफ़ अलैहिस्सलाम की क़ब्र बता दी। मूसा अलैहिस्सलाम जनाज़ा मुबारक को साथ लेकर दरिया पार फरमा गये।

📜 तबरानी शरीफ़, अल-अम्न वल-उला, सफ़ा 229


🌹 सबक ~
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हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने उस बुढ़ीया को न सिर्फ जन्नत ही बल्कि जन्नत मे अपनी रिफाकत भी दे-दी ।
मालुम हुआ की खुदा के मकबुलो को जन्नत पर ईख्तीयार हासील है फिर जो मकबुलो और रसुलो के सरदार हुजुरे अक्दस ﷺ को बे ईख्तेयार कहे बड़ा ही बे-खबर और जाहील है।

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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