🌀 पोस्ट- 20 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ हजरत मुसा अलैहिस्सलाम के असा का सांप बन जाना फिरऔन के लिए बड़ी मुश्किल का बाइस हुआ। वह घबरा गया। फिरऔन के दरबारी फिरऔन से कहने लगे की मुसा कही से जादु सिखकर आया है। अब तुम भी अपनी सारे ममलिकत से जादुगरो को जमा करो और उनको मुसा के मुकाबले मे लाओ।
▪️फिरऔन ने अपने आदमी सारे ममलिकत मे भेज दिये। वह हर मकाम से जादुगरो को जमा करके ले आये। जब हजारो की तदाद मे जादुगर जमा हो गये तो फिरऔन ने हजरत मुसा अलैहिस्सलाम को उन जादुगरो से मुकाबला करने का चैलेंज दिया हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने वह चैलेंज कुबुल कर लिया।
फिरऔन ने पुछा : कौन सा दिन होगा?? आप ने फरमाया तुम्हारे मेले के दिन मुकर्रर करता हुं। यह फिरऔनीयो का एक ऐसा दिन था जिस दिन वह जिनते करके दुर-दुर से जमा होते थे। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने यह दिन इस लिए मुकर्रर फरमाया की यह रोज उसकी गायत शौकत का दिन था। इस दिन का मुकर्रर करना सब लोगो पर हक वाजेह (जाहीर) कर देने के लिए था।
▫️ चुनांचे जब वह दिन आया तो हजारो जादुगर मकामे मुकर्रर पर पहुच गयें। हजरत मुसा अलैहिस्सलाम भी तशरिफ ले आये। हजारो के इस भीड़ से उन जादुगरो ने अपनी अपनी रस्सियां और लाठीया डाल दी। जब लठीया डाली तो वह सब के सब सांप बन गयी और दौड़ने लगी।
हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने देखा की जमीन सांपो से भर गयी है और मेले के मैदान मे सांप ही सांप दौड़ रहे है। यह हैबतनाक मंजर देखकर लोग हैरान रह गये इतने मे हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने भी अपना असा डाल दिया
तो वह एक अजीब व गरीब अजदहा बन गया। जादुगरो की तमाम सहरकारीयों को एक एक करके निगलने लगा तमाम रस्सियां और लाठीयां जो उन्होने जमा की थी और जो सांप बनकर फिर रही थी और जो तीन सौ ऊंटो का बोझ थी सबका खात्माकर दिया।
जब हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने उसे दस्ते मुबारक मे लिया । पहले की तरह वह फिर असा बन गया। उसकी मोटाइ और वजन अपने हाल पर रहा । यह देखकर जादुगरों ने पहचान लिया की यह असा_ए_मुसा सेहर (जादु) नही है। कुदरते बशरी (इंसानी) ऐसा करिश्मा नही दिखा सकती । जरूर यह अम्रे आसमानी है। यह बात समझकर वह सब कहते हुए सज्दे मे गिर गये और इमान ले आये।
📕 कुरआन करीम, पारा-9, रुकु-4, खजाइनुल इरफान सफा-237
🌹 सबक ~
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सारी खुदाइ एक तरफ फज्ले इलाही एक तरफ के मुताबीक सारी दुनिया मुकाबले को आ जाये मगर फतह व नुसरत उसी तरफ होगी जिसकी तरफ ताइदे हक होगी, बातील को कभी फरोग (तरक्की) न होगा।।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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