🌀 पोस्ट- 33 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ एक रात आसमान साफ था और सितारे चमक रहे थे। हुजूर सरवरे कयेनात दो आलम ﷺ से हजरत उम्मुल मोमीनीन हजरत आइशा सिद्दीका (रजी अल्लाहु अन्हा) ने आसमान की तरफ देखकर हुजूर ﷺ से दर्याफत फरमाया :
"या रसुलल्लाह ﷺ जितने आसमान के तारे है इतनी किसी की नेकींया भी है।??
हुजूर ﷺ ने फरमाया हां! हजरत आइशा ने अर्ज किया किसकी ??
हुजूर ﷺ ने फरमाया उमर की। आइशा (रजी अल्लाहु अन्हा) का ख्याल था की सिद्दीके अकबर का नाम लेंगे मगर हजरत उमर का नाम सुनकर हजरत आइशा (रजी अल्लाहु अन्हा) ने अर्ज किया :-
या रसुलल्लाह! ﷺ मेरे वालीद की नेकीयां किधर गयी??
हुजूर ﷺ ने फरमाया : आइशा उमर की सब नाकीयां अबु-बक्र की नेकीयों मे से एक नेकी के बराबर है।
📜 मिश्कात शरिफ, सफा-552
🌹 सबक ~
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सिद्दीके अकबर (रजी अल्लाहु अन्हु) की बहुत बड़ी शान है। नबीयो के बाद सबसे बड़ी मर्तबा आप
ही का है।
आप जो शबे हिजरत हुजूर ﷺ के साथ मे रहे उस एक ही नेकी का इतना बड़ा दर्जा है की आसमान के तारो के बराबर नेकीयां भी उस एक नेकी के बराबर नही हो सकती।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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