🌀 पोस्ट- 4 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️उन्दलुस के एक मर्द सालेह (नेक आदमी) के लड़के को शाह रोम ने कैद कर लिया था । वह मर्द सालेह फरयाद लेकर मदिन मुनव्वरा को चल पड़ा। रस्ते मे एक दोस्त मिला । उसने पुछा कहां जा रहे हो ??
तो उसने बताया की मेरे लड़के को शाहे रोम ने कैद कर लिया है और तीन सौ रूपये उस पर जुर्माना कर दिया है।मेरे पास इतने रूपये नही जो देकर मै उसे छुड़ा सकूं। इसलिए हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के पास फरियाद लेकर जा रहा हुँ।
उस दोस्त ने कहा : मगर मदिना मुनव्वरा ही पहुचने की क्या जरूरत है।??
हुजूर से तो हर मकाम पर शफाअत कराइ जा सकती है।
उसने कहा ठिक है । मगर मै तो वही हाजीर हुंगा।
चुनांचे वह मदिना मुनव्वरा हाजीर हुवा और रौजाए मुनव्वरा की हाजीर के बाद अपनी हाजत अर्ज की । फिर ख्वाब मे हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की ज्यारत हुइ तो हुजूर ने उससे फरमाया : जाओ अपने शहर पहुंचो ।
चुनांचे वह वापस आ गया और घर आकर देखा की लड़का घर आ गया है। लड़के से रिहाई का किस्सा पुछा तो उसने बताया की फुलां रात मुझे और मेरे सब साथी कैदीयों को बादशाह ने खुद ही रिहा कर दिया है। उस मर्दे
सालेह ने हिसाब लगाया तो यह वही रात थी जिस रात हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की ज्यारत हुई थी और आप ने फरमाया था जाओ अपने शहर पहुँचो।
🌹 सबक ~
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♥ हमारे हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) हर मुसीबत जदा की मदद फरमाते है। कब्र अनवर मे तशरीफ फरमा होकर भी अपने गुलामो की मदद फरमाते है। उनके गुलाम किसी मकान पर भी उनकी तवज्जह करे हुजूर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की रहमत उनका काम कर देती है।
•यह भी मालुम हुआ की पहले के बुजूर्ग भी हुजूर की बारगाह मे फरयाद किया करते थे।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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