🌀पोस्ट- 1 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️शीराज के एक बुजुर्ग हजरत फाश फरमाते हैं कि मेरे यहां एक बच्चा पैदा हुवा !
मेरे पास खर्च करने के लिए कुछ भी न था ! वह मौसम इन्तीहाइ सर्द था, मै इसी फिक्र मे सो गया तो ख्वाब मे हुजूर ﷺ की ज्यारत नसीब हुई !
आपने फरमाया : कया बात हैं ??
▫️मैने अर्ज किया : हुजुर खर्च के लिए मेरे पास कुछ भी नही ! बस इसी फिक्र मे था,
हुजूर ﷺ ने फरमाया : दिन चढ़े तो फला मजूसी के घर जाना और उस से कहना की रसुलल्लाह ﷺ ने तुझे कहा है की बिस दिनार तुझे दे दे,
हजरत फाश सुबह उठे तो हैरान हूए की एक मजूसी के घर कैसे जाऊं और रसुलल्लाह का हुक्म वहां कैसे सुनाऊं ??
फिर यह बात भी दूरूस्त है की ख्वाब मे हुजूर नजर आये तो वह हुजूर ही होते हैं !
इसी शश-व-पंज मे वह दिन भी गुजर गया !
▪️दुसरी रात फिर हुजुर कि ज्यरत हुई !
हुजुर ﷺ ने फरमाया : तुम इस ख्याल को छोड़ दो और उस मजूसी के पास मेरे पैगाम पहुंचा दो !
▫️चुनांचे हजरते फाश सुबह उठे और उस मजूसी के घर चल पड़े। क्या देखते है की वह मजूसी अपने हाथ मे कुछ लिए हुए दरवाजे पर खड़ा है !
जब उनके पास पहुंचा तो (चुकी वह उनको जानता न था ! यह पहली मर्तबा उनके पास आए थे) इस लिए शर्मा
गये !
▪️वह मजूसी खुद ही बोल पड़ा बड़े मियां ! क्या कुछ हाजत है ??
हजरत फाश बोले हां! मुझे रसुलल्लाह ﷺ ने तुम्हारे पास भेजा है कि तुम मुझे बिस दिनार दे दो !
▫️उस मजुसी ने अपना हाथ खोला और कहे ले लिजीए ! यह बिस दिनार मैने आप ही के लिए निकाल कर रखे थे ! आपकी राह देख रहा था!
▪️हजरत फाश ने वह दिनार लिए और उस मजूसी से पुछा भाई मैं तो भला रसुलल्लाह ﷺ को ख्वाब मे देखकर यहां आया हूं ! मगर तुझे कैसे मेरे बारे मे इल्म हो गया??
▫️वह बोला रात को इस शक्ल व सुरत के एक नुरानी बुजूर्ग को ख्वाब मे देखा है जिन्होने फरमाया की एक शख्स
साहिबे हाजत है और वह कल तुम्हारे पास पहुंचेगा उसे दिनार दे देना !
▪️चुनांचे मै यह बिस दिनार लेकर तुम्हारा ही इन्तेजार मे था l
हजरत फाश ने जब उसकी जबानी रात को मिलने वाले नुरानी बुजुर्ग का हुलीया सुना तो वह हुजूर ﷺ का था,
चुनांचे हजरत फाश ने उससे कहा की यही हुजूर ﷺ हैं! वह मजूसी यह वाकिया सुनकर थोड़ी देर ठहरा और फिर कहा मुझे अपने घर ले चलो !
▫️चुनांचे वह हजरत फाश के घर आया और कलीमा पढ़कर मुस्लमान हो गया फिर उसकी बिवी बहन और उसकी औलाद भी मुस्लमान हो गए ।
📜 शवहिदुल हक, सफा-166
🌹 सबक ~
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हमारे हुजूर ﷺ की नजरे रहमत जिस पर पड़ जाये उसका बेड़ा पार हो जाता है!
यह भी मालूम हुवा कि हुजूर ﷺ अपने मोहताज गुलामो कि फरियाद सुनते है और विसाल शरिफ के बाद भी मोहताजो की मदद फरमाते है।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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